बहुजन समाज पार्टी के पूर्व सांसद व पूर्वांचल में क्षत्रियों के बड़े नेता माने जाने वाले बाहुबली ‘धनंजय सिंह’ एक बार फिर बसपा में शामिल होने जा रहे हैं। कहा जा रहा है कि उन्होंने अपनी शर्तों पर पार्टी में वापसी की है। गौरतलब है कि स्वामी प्रसाद मौर्य और बृजेश पाठक के रूप में बसपा को एक के बाद एक झटके लगने के बाद ये एक राहत की सांस है।

क्या है धनंजय सिंह का इतिहास?

  • क्षेत्र में उन्हें पार्टी से नहीं, पार्टी को उनसे पहचाना जाता है।
  • रारी विधानसभा सीट से लगातार दो बार जीत बना चुके हैं रिकॉर्ड।
  • 2009 में चुने गए थे सांसद, फिर नौकरानी हत्याकांड में जाना पड़ा था जेल।
  • 2014 में मिली थी हार, पकड़ कमजोर होने का लगाया गया था आरोप।

क्या हैं इस वापसी के मायने?

  • छात्र राजनीति के समय से ही धनंजय सिंह जौनपुर समेत पूरे सूबे में युवाओं के बीच ख़ासा लोकप्रिय हैं, जिसका सीधा फायदा बसपा को मिल सकता है।
  • कुछ ही सही, पर धनंजय के लौटने से क्षत्रिय वोट बुआजी की झोली में आएँगे।
  • स्वाति सिंह मामले के बाद सवर्णों के नज़र में खराब हुई छवि पर भी इस वापसी का असर देखा जाएगा।

कैसी हैं तैयारियां?

  • सूबे के कई क्षत्रिय नेताओं का प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष साथ लेकर धनंजय इलाहाबाद में अपना दम खम दिखाने पहुंचे हैं।
  • धनंजय सिंह अपने क्षेत्र से 5 विधानसभा की सीटें मांग रहे थे, ये वापसी क्या बुआजी की हाँ है?
  • धनंजय सिंह की वापसी इस बात का सूचक है कि यह चुनाव साम-दाम-दंड-भेद का होने वाला है।

2017 विधानसभा चुनावों की तस्वीर कमोवेश साफ़ होती जा रही है। पार्टियों की अदला-बदली जरूर होगी पर नेता वही होंगे, बाहुबलियों का भी कहना शायद यही होगा “रिश्ता वही, सोच नयी”।

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