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उत्तर प्रदेश का चुनाव इस बार कई मायनों में महत्वपूर्ण रहा। एक ओर बीजेपी को कई दशक के बाद यूपी में इतना बड़ा बहुमत हासिल हुआ। अब यूपी में बीजेपी सरकार बनाने जा रही है। यूपी चुनाव पार्टी ही नहीं कई दिगग्ज नेताओं के लिए राजनीतिक विरासत को भी आगे बढ़ाने का मुद्दा रहा। इसमें उन्हें काफी हद तक सफलता भी मिली। साथ ही यूपी के राजनीति में कई नए और कुछ पुराने चहरे फिर चमक उठें हैं।

अगले पेज पर देखें दिग्गजों के बेटों का दाव

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यूपी चुनाव जीतने वाले दिग्गजों के बेटे

पंकज सिंह

यूपी चुनाव के दौरान सबकी एक नज़र पंकज सिंह पर भी टिकी हुई थी। क्योंकि पंकज सिंह नोएडा सीट से बीजेपी के प्रत्याशी थे। साथ ही वह गृहमंत्री राजनाथ सिंह के बेटे भी है। इन्होंने चुनाव में सबसे बड़े वोट अंतर से जीत हासिल की। पंकज सिंह ने 1,04,016 वोट से सपा के सुनील चौधरी को हराया।

संदीप सिंह

संदीप सिंह उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के पोते है। संदीप सिंह ने पहली बार अलीगढ़ के अतरौली सीट से विधानसभा का चुनाव लड़ा। 26 साल के संदीप ने अपने पहले ही चुनाव में सपा के वीरेश यादव को 50,967 वोट अंतर से हाराकर अपनी जीत पुख्ता की।

आशुतोष टंडन उर्फ गोपाल जी

आशुतोष टंडन लखनऊ के पूर्व सांसद लालजी टंडन के बेटे है। यूपी चुनाव में वह बीजेपी के टिकट पर लखनऊ पूर्वी सीट से चुनाव लड़े। इन्होंने कांग्रेस के अनुराग सिंह को 79,230 वोट के अंतर से करारी शिकस्त देकर जीत हासिल की।

संजीव गोंड

सात बार विधायक चुने गए विजय सिंह गोंड के बेटे हैं संजीव गोंड। जानकारी के अनुसार बीजेपी से बेटे को टिकट दिलाने में विजय का बड़ा हाथ था। संजीव को बीजेपी ने सोनभद्र की ओबरा सीट से प्रत्याशी घोषित किया था। बीजेपी के इस दाव पर संजीव खरा उतरे और सपा के रवि गोंड को 44,269 वोट अंतर से शिकस्त देकर बीजेपी के खाते में एक और सीट डाल दी।

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सुनील दत्त द्विवेदी

सुनील दत्त द्विवेदी विधायक ब्रह्मदत्त द्विवेदी के बेटे हैं। ब्रह्मदत्त द्विवेदी वहीं हैं जिनकी 1996 में गोली मार हत्या कर दी गई थी। सुनील पिता की मौत के बाद सेना की नौकरी छोड़कर राजनीति में उतर गए थे। उन्होंने इस चुनाव में बीजेपी के टिकट पर सपा के मो. उमार खान को 45,427 वोट से हाराया है।

फतेह बहादुर सिंह

यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री और केंद्र सरकार में मंत्री रहे बहादुर सिंह के बेटे हैं फतेह बहादुर। इन्होंने बीजेपी के टिकट पर गोरखपुर की कैंपियरगंज सीट चुनाव लड़ा। फतेह बहादुर ने कांग्रेस के चिंता यादव को 32,854 वोट से हराया।

अनुराग सिंह

बीजेपी के दिग्गज कुर्मी नेता ओमप्रकाश सिंह के बेटे हैं अनुराग सिंह। ओमप्रकाश सिंह की कोशिशों के बाद ही बीजेपी हाईकमान ने उनके बेटे को मिर्जापुर की चुनार सीट से टिकट दिया था। अनुराग सिंह ने सपा के जगदम्बा सिंह पटेल को 62,228 भारी वोट अंतर से जीत हासिल की।

सौरभ सिंह

पूर्व मंत्री स्वर्गीय हरीश चन्द्र श्रीवास्तव के बेटे हैं सौरभ श्रीवास्तव। हरीश चन्द्र दो बार और उनकी पत्नी व सौरभ की मां ज्योत्सना श्रीवास्तव चार बार इस सीट से विधायक रह चुकी हैं। इसका फायदा भी सौरभ को इस चुनाव में मिला। सौरभ ने कांग्रेस के अनिल श्रीवास्तव को 61,326 वोट से हराया।

प्रतीक भूषण सिंह

प्रतीक बीजेपी सांसद बृजभूषण शरण सिंह के बेटे हैं। इन्हीं की मेहरबानी पर प्रतीक को बीजेपी ने गोंडा सीट से टिकट दिया था। प्रतीक ने मो. जलील खान को 11,698 वोट से हराकर जीत हासिल की।

यासर शाह

याशर शाह सपा की टिकट पर पांच बार विधायक रह चुके डॉ. वकार अहमद शाह के बेटे हैं। 2012 में बहराइच की मटेरा सीट से ही सपा को जीत दिलाने वाले यासर ने इस बार भी अपनी जीत दोहराई। इन्होंने बीजेपी के अरूण वीर सिंह को 1,595 वोट से हराया।

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अब्दुल्ला आजम खान

सपा के कद्दावर नेता आजम खान के बेटे हैं अब्दुल्ला आजम खान। अब्दुल्ला का यह पहला चुनाव था। सपा से इन्हें स्वार सीट के लिए टिकट मिला था। इस सीट पर बीजेपी के लक्ष्मी सैनी को 53,096 भारी वोट अंतर से हराया है।

यासर शाह

याशर शाह सपा की टिकट पर पांच बार विधायक रह चुके डॉ. वकार अहमद शाह के बेटे हैं। 2012 में बहराइच की मटेरा सीट से ही सपा को जीत दिलाने वाले यासर ने इस बार भी अपनी जीत दोहराई। इन्होंने बीजेपी के अरूण वीर सिंह को 1,595 वोट से हराया।

अमनमणि त्रिपाठी

अमनमणि त्रिपाठी बाहुबली नेता और मधुमिता हत्याकांड के दोषी अमरमणि त्रिपाठी के बेटे हैं। वहीं अमनमणि त्रिपाठी भी अपनी पत्नी सारा सिंह के हत्याकांड के आरोप में जेल में बंद है। इन्होंने जेल से ही चुनाव लड़ा। जेल जाने से पहले अमनमणि को सपा ने महाराजगंज की नौतनवा सीट से टिकट दिया था। हालांकि बाद में उनका टिकट काट दिया। इसके बाद अमनमणि ने निर्दलीय चुनाव लड़ा। अमनमणि ने सपा के कौशल किशोर सिंह को 32,256 वोटों से हराया है।

अदिति सिंह

अदिति सिंह बाहुबली नेता अखिलेश सिंह की बेटी है। अदिति सिंह पहली बार चुनाव में उतरी। अदिति ने कांग्रेस के टिकट पर रायबरेली सीट पर बसपा के शहबाज खान को 89,163 वोट के भारी अंतर से हराकर अपने राजनीतिक करियर की शुरूआत की है।

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