उत्तर प्रदेश के आगामी विधानसभा चुनाव में अब सिर पर आ चुके हैं, ऐसे में सभी राजनैतिक दल अपनी-अपनी तैयारियों में लगे हैं। आगामी विधानसभा चुनाव की तैयारियों को लेकर हर दल की अपनी-अपनी रणनीति रही है। बहुजन समाज पार्टी 2017 में 2007 को दोहराने की तैयारियों में लगी हुई है।

भाईचारा सम्मेलन:

  • बहुजन समाज पार्टी ने आगामी चुनाव के लिए दलित-मुस्लिम-ब्राह्मण के समीकरण पर नजर जमाई हुई है।
  • जिसके चलते पार्टी ने हर विधानसभा क्षेत्र में भाईचारा सम्मेलन का आयोजन किया।
  • इन भाईचारा सम्मेलनों में पार्टी का कोई न कोई बड़ा चेहरा मौजूद रहा।
  • जिनमें नसीमुद्दीन सिद्दीकी, सतीश चन्द्र मिश्र और रामवीर उपाध्याय प्रमुख हैं।
  • हालाँकि, खुद बसपा सुप्रीमो मायावती भी सूबे में लखनऊ, आगरा समेत कई जगहों पर रैली कर चुकी हैं।
  • वहीँ ऐसा माना जा रहा है कि, बसपा ये चुनाव 2007 की तर्ज पर लड़ेगी, ज्ञात हो कि, बसपा को 2007 में ही बहुमत हासिल हुआ था।

2007 में बनी सरकार की गलतियाँ अब भी पीछा नहीं छोड़ रही हैं:

  • बहुजन समाज पार्टी ने 2007 में पूर्ण बहुमत हासिल किया था।
  • लेकिन सरकार में रहते हुए बसपा सुप्रीमो ने विकास के नाम पर सिर्फ पत्थरों वाले हाथियों के स्मारक बनवाए थे।
  • सूबे की जनता ने भी 2012 में इसी बात से नाराज रहते हुए बहुमत सपा की ओर खिसका दिया था।

मेट्रो प्रोजेक्ट पर ढुलमुल रवैया:

  • सपा सरकार लखनऊ में मेट्रो लाने का पूरा क्रेडिट 2017 के चुनाव में लेने की कोशिश करेगी।
  • गौरतलब है कि, लखनऊ मेट्रो बनाने का प्रस्ताव बसपा सरकार के शासनकाल में ही आया था।
  • लेकिन, बसपा सुप्रीमो का सारा ध्यान स्मारकों में रहा और एक सुनहरा अवसर बसपा के हाथों से निकल गया।

कानून-व्यवस्था मजबूत पक्ष:

  • बहुजन समाज पार्टी मुजफ्फरनगर के दंगों के बाद से ही सूबे की सपा सरकार को लॉ एंड आर्डर के मुद्दे पर घेरती रही है।
  • जिसका प्रमुख कारण है कि, बसपा के शासनकाल को लॉ एंड आर्डर में मात देना आसान नहीं है और सपा के तो बस की बात भी नहीं है।
  • यूपी की जनता भी लॉ एंड आर्डर की बात पर बसपा की ओर देखने लगती है।
  • अब बसपा अपनी 2007 की जीत को दोहराने में कामयाब होती है या नहीं, ये तो चुनाव के बाद ही पता चल पायेगा।
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