उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले बसपा के लिए मुसीबतें बढ़ती ही जा रही हैं, पार्टी के कद्दावर नेता एक-एक करके दूसरी पार्टियों में जा रहे हैं।

बृजेश पाठक भाजपा में हुए शामिल:

  • बहुजन समाज पार्टी से एक और कद्दावर नेता ने इस्तीफा दे दिया है।
  • बसपा नेता बृजेश पाठक ने चुनाव से पहले भाजपा का दामन थाम लिया है।
  • इससे पहले बसपा छोड़कर जाने वालों में स्वामी प्रसाद मौर्य और आरके. चौधरी थे।
  • जिन्होंने बसपा सुप्रीमो पर पैसे लेकर टिकट देने के आरोप के चलते पार्टी से इस्तीफा दिया था।
  • गौरतलब है कि, स्वामी प्रसाद मौर्य भी भाजपा में ही शामिल हुए थे।

बिगड़ सकता है बसपा और सुप्रीमो का गणित:

  • बसपा से एक-एक करके बाहर हो रहे पार्टी के नामी-गिरामी चेहरों की वजह से बसपा सुप्रीमो की मुश्किलें बढ़ गयी हैं।
  • विधानसभा चुनाव में एक साल से भी कम का वक़्त बचा हुआ है।
  • ऐसे में पार्टी से बड़े चेहरों का जाना पार्टी और बसपा सुप्रीमो दोनों का ही गणित बिगाड़ सकता है।

बसपा के वोट बैंक में सेंध लगती हुई:

  • चुनाव से पहले पार्टी छोड़कर गए बसपा के स्वामी प्रसाद मौर्य और बृजेश पाठक ने बसपा के वोट बैंक में लगभग सेंध लगाने का काम किया है।
  • उत्तर प्रदेश में सामान्य वर्ग-94, अन्य पिछड़ा वर्ग-54.05, अनुसूचित जाति-24.95 व अनुसूचित जनजाति वर्ग-0.06 प्रतिशत हैं।
  • अल्पसंख्यक-6 प्रतिशत, यादव-10.46, मध्यवर्ती पिछड़ा वर्ग-10.22 प्रतिशत तथा अत्यंत पिछड़ा वर्ग-33.34 प्रतिशत हैं।
  • जिनमें अतिपिछड़ों की ही चुनाव में खास भूमिका होती है।
  • इसके अलावा अन्य पिछड़े वर्ग की आबादी में निषाद/मछुआरा-91, मौर्य-कुशवाहा-शाक्य-काछी-8.56 प्रतिशत।
  • कुर्मी-पटेल-46, लोध-किसान-6.06 प्रतिशत, पाल-बघेल-4.43, तेली-साहू-4.03, कुम्हार-प्रजापति-3.42, राजभर-2.44।
  • नोनिया-चौहान-33, विश्वकर्मा-बढ़ई-2.44, लोहार-1.81, जाट-3.7, गूजर-1.71, नाई-सविता-1.01 व भुर्जी-कांदू-1.43 प्रतिशत हैं।
  • इसके अलावा सूबे में करीब 14 फ़ीसदी ब्राह्मण मतदाता भी महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं।

भाजपा का किला मजबूत होता हुआ:

  • आगामी यूपी विधानसभा चुनाव से पहले बसपा के दो बड़े चेहरे भाजपा में शामिल हो चुके हैं।
  • जिसके बाद से बसपा का चुनावी गणित तो बिगड़ना लगभग तय है।
  • हाल ही में स्वामी प्रसाद मौर्य भाजपा में शामिल हुए थे और अब बसपा के ब्राह्मण नेता बृजेश पाठक भाजपा के साथ हैं।
  • चुनाव में काफी कम समय बचा है और उससे पहले ही भाजपा का खेमा मजबूत होता दिखाई दे रहा है।

बसपा का बड़ा नुक्सान:

  • महत्वपूर्ण चुनाव से पहले पार्टी से दो बड़े नेताओं का जाना बसपा के लिए काफी नुकसानदायक साबित हो सकता है।
  • सूबे की सामाजिक संरचना में ब्राह्मण और दलित वोट बैंक की अधिकता है।
  • बसपा से इन नेताओं का जाना पार्टी का वोट बैंक के मामले में एक बड़ा हिस्सा खोने जैसा है।
  • ऐसे में भाजपा की स्थिति मजबूत होती दिखाई दे रही है।
  • इसमें कोई दो राय नहीं है की बसपा को नुक्सान हुआ है और ये नुक्सान कितना बड़ा साबित होगा ये तो समय ही बताएगा।
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