उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव के नतीजे सामने आ चुके हैं, जिसके तहत यूपी की जनता ने भारतीय जनता पार्टी को प्रचंड बहुमत दे दिया है। साथ ही सूबे की समाजवादी पार्टी को मात्र 54 सीटें मिली हैं। इसके साथ ही यूपी चुनाव में सबसे ख़राब प्रदर्शन बहुजन समाज पार्टी का रहा, पार्टी को सिर्फ 19 सीटों से संतोष करना पड़ा।

2012 से भी कम रहा आंकड़ा:

  • यूपी चुनाव की शुरुआत से ही बसपा सुप्रीमो मायावती बसपा के बहुमत में आने की बात कह रही थीं।
  • वहीँ कई राजनीतिक पंडितों का भी मानना था कि, बसपा अपने दलित-मुस्लिम-ब्राह्मण समीकरण के सहारे सरकार बनाने की दावेदार है।
  • ज्ञात हो कि, 2002 में सत्ता से बुरी तरह बाहर होने के बाद बसपा सुप्रीमो मायावती ने इसी समीकरण के सहारे सत्ता पायी थी।
  • वहीँ बात 2012 की करें तो बसपा को सपा के बहुमत के बावजूद करीब 80 सीटें मिली थीं।
  • इसके साथ ही 2017 के चुनाव में बसपा सुप्रीमो का प्रदर्शन 2012 से भी ख़राब रहा।
  • इस विधानसभा चुनाव में बसपा को मात्र 19 सीटें मिली हैं।

समीकरण में लगा गलत फार्मूला:

  • बसपा इस विधानसभा चुनाव में 2007 के समीकरण के साथ जीत दर्ज करना चाहती थी।
  • लेकिन लगता है बसपा के समीकरण में कहीं कोई फार्मूला गलत लग गया।
  • जिसके बाद बहुमत का सपना मात्र 19 सीटों पर आकर सिमट गया।
  • बसपा सुप्रीमो मायावती इस बार के चुनाव में 2007 की तर्ज पर दलित-मुस्लिम-ब्राह्मण के समीकरण के साथ आई थीं।
  • लेकिन यह समीकरण बुरी तरह फ्लॉप रहा।
  • बसपा ने यूपी चुनाव के लिए करीब 100 के आस-पास मुस्लिम प्रत्याशियों को टिकट दिया था।
  • पार्टी ने मुस्लिम मतदाताओं को आकर्षित करने के लिए ऐसा किया था।
  • लेकिन मायावती के इस पैंतरे को भी बुरी तरह मुंह की खानी पड़ी।
  • बसपा सुप्रीमो मायावती ने सभी सीटों पर समीकरणों को देखते हुए उनसे सम्बंधित नेताओं की जनसभाएं करायी थी।
  • जिसका कुछ ख़ास फायदा भी बसपा को नहीं हुआ।

बसपा को करने होंगे बदलाव:

  • यूपी चुनाव में बसपा को करारी हार का सामना करना पड़ा है।
  • जिसका काफी हद तक श्रेय बसपा के पुराने हो चुके जातीय समीकरणों को भी जाता हैं।
  • एक ओर जहाँ सभी दल मौजूदा समय में जमीन के साथ-साथ सोशल मीडिया पर भी एक्टिव रहती हैं।
  • लेकिन सोशल मीडिया पर बसपा की सक्रियता लगभग न के बराबर है।
  • इसके साथ ही जनता से सीधे जुड़ने वाले संवाद भी बसपा के नेताओं के लिखे-लिखाये और रटे-रटाये होते हैं।
  • जिनसे आज-कल के युवाओं को आकर्षित कर पाना मुश्किल काम है।
  • वहीँ यूपी चुनाव के परिणामों को देखने के बाद ये कहा जा सकता है कि, बसपा को अपनी चुनावी रणनीति के पुराने तरीकों को बदल लेना चाहिए।
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