सुप्रीम कोर्ट ने यूपी पुलिस को निर्देश दिया था कि बलात्कार और यौन शोषण के मामले में गायत्री प्रजापति पर मुक़दमा दर्ज किया जाए. इस निर्देश के बाद गायत्री प्रजापति पर यूपी पुलिस ने मुक़दमा दर्ज किया है.
लखनऊ के गौतमपल्ली थाने में दर्ज हुआ मुक़दमा:
- सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश के बाद गौतमपल्ली थाने में मंत्री गायत्री प्रजापति पर मुकदमा दर्ज हो गया.
- क्राइम नंबर 29-17 पर गायत्री प्रजापति के अलावा 5 अन्य आरोपियों पर भी मुकदमा दर्ज किया गया है.
- आईपीसी की धारा 511 504, 506 के 3/4 और 376-D के अलावा गायत्री प्रजापति पर पॉक्सो एक्ट के तहत भी मुकदमा दर्ज किया गया है.
- बता दें कि एक महिला कार्यकर्ता ने गायत्री प्रजापति पर बलात्कार करने और उसकी बच्ची के साथ छेड़छाड़ करने का आरोप लगाया था.
- अंतत: सुप्रीम कोर्ट के दखल के बाद यूपी पुलिस ने अखिलेश के करीबी मंत्री के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है.
क्या है पॉक्सो:
‘पॉक्सो’ अंग्रेजी भाषा का शब्द है जिसका पूर्णकालिक अर्थ होता है ‘प्रोटेक्शन आफ चिल्ड्रेन फार्म सेक्सुअल अफेंसेस एक्ट 2012’ यानी ‘लैंगिक उत्पीड़न’ से बच्चों के संरक्षण का अधिनियम 2012. इस एक्ट के अनुसार, नाबालिग बच्चों के साथ होने वाले यौन अपराध और छेड़छाड़ के मामलों में कार्रवाई की जाती है और यह एक्ट बच्चों को सेक्सुअल हैरेसमेंट, सेक्सुअल असॉल्ट और पोर्नोग्राफी जैसे गंभीर अपराधों से सुरक्षा प्रदान करने के लिए अमल में लाया गया।
- 2012 में बनाये गए इस एक्ट की धारा 3 के तहत पेनेट्रेटिव सेक्सुअल असॉल्ट को भी परिभाषित किया गया है। इसमें बच्चे के शरीर के साथ किसी भी तरह की हरकत करने वाले शख्स को कड़ी सजा का प्रावधान है।
- धारा 4 के तहत वो मामले शामिल किए जाते हैं जिनमें बच्चे के साथ दुष्कर्म या कुकर्म किया गया हो। इसमें सात साल की सजा से लेकर उम्रकैद और जुर्माने का प्रावधान है।
- पॉक्सो एक्ट की धारा 6 के अधीन वे मामले लाए जाते हैं जिनमें बच्चों को दुष्कर्म या कुकर्म के बाद गम्भीर चोट पहुंचाई गई हो। आरोप साबित हो जाने पर आरोपी पर दस साल से लेकर उम्रकैद तक की सजा हो सकती है।
- धारा 7 और 8 के तहत वो मामले आते हैं जिनमें बच्चों के गुप्तांग से छेडछाड़ की जाती है। आरोप साबित होने के बाद पांच से सात साल तक की सजा और जुर्माने का प्रावधान है।
- 18 साल से कम उम्र के बच्चों से किसी भी तरह का यौन व्यवहार इस कानून के दायरे में आ जाता है। इस कानून में लड़के और लड़की को समान रूप से सुरक्षा प्रदान की जाती है। इस कानून के तहत पंजीकृत होने वाले मामलों की सुनवाई विशेष अदालत में होती है।
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Kamal Tiwari
Journalist @weuttarpradesh cover political happenings, administrative activities. Blogger, book reader, cricket Lover. Team work makes the dream work.