उत्तर प्रदेश की समाजवादी पार्टी के सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव और मुख्यमंत्री अखिलेश यादव जहाँ चुनाव आयोग में पार्टी के चुनाव निशान को लेकर आमने-समाने हैं, वहीँ दोनों ने ही आगामी विधानसभा चुनाव के तहत अन्य विकल्पों पर भी नजर रखनी शुरू कर दी है।

सपा प्रमुख बना रहे हैं प्रत्याशियों की नई लिस्ट:

  • समाजवादी पार्टी में मचा घमासान पर पिता-पुत्र चुनाव आयोग में एक-दूसरे के सामने खड़े हुए हैं।
  • जिसके बाद उन सभी अटकलों पर विराम लग गया था, जिनमें सुलह की बात की जा रही थी।
  • इसी के साथ ही सूत्रों के अनुसार, सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव विधानसभा चुनाव के लिए नई लिस्ट तैयार कर रहे हैं।
  • यह लिस्ट चुनाव आयोग द्वारा साइकिल पर आशातीत परिणाम न आने के आधार पर बनायी जा रही है।
  • ऐसा भी माना जा रहा है कि, सपा प्रमुख चुनाव निशान फ्रीज किये जाने के बाद अन्य दलों में भी संभावनाएं तलाश सकते हैं।
  • वहीँ सूत्रों के मुताबिक, नेताजी लोक दल पार्टी के साथ आगामी विधानसभा चुनाव लड़ सकते हैं।
  • जिसके लिए लोक दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुनील सिंह और सपा प्रमुख लगातार संपर्क बने हुए हैं।
  • गौरतलब है कि, 11 जनवरी को दिल्ली पहुँचने के बाद सपा प्रमुख ने लोक दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष से फोन पर बात की थी।
  • इसके साथ ही सुनील सिंह ने सपा प्रमुख को लोक दल का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाने की भी बात कही थी।

अखिलेश कांग्रेस में तलाश रहे हैं संभावनाएं:

  • एक ओर जहाँ सपा प्रमुख लोक दल में जाने की तैयारी कर रहे हैं।
  • वहीँ मुख्यमंत्री अखिलेश भी चुनाव चिन्ह वाला दांव उल्टा पड़ने पर कांग्रेस का दामन थाम सकते हैं।
  • सूत्रों के मुताबिक, मुख्यमंत्री अखिलेश यादव बीते कई दिनों से प्रशांत किशोर के संपर्क में हैं।
  • वहीँ सूत्रों की जानकारी को मानें, तो दोनों के बीच सीटों के बंटवारे पर भी बात तय हो गयी है।
  • CM अखिलेश और राहुल गाँधी सपा घमासान के बीच सार्वजनिक मंच से एक-दूसरे की तारीफ भी कर चुके हैं।
  • ऐसे में पूरी सम्भावना है कि, मुख्यमंत्री अखिलेश विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस के खेमे में जा सकते हैं।

एक म्यान में दो तलवारें बनें पिता-पुत्र:

  • सपा प्रमुख और मुख्यमंत्री अखिलेश के बीच की खाई दिन प्रतिदिन गहराती ही जा रही है।
  • जिस प्रकार से अखिलेश यादव और सपा प्रमुख अन्य दलों में अपनी संभावनाएं तलाश रहे हैं।
  • उससे यह साफ़ जाहिर है कि, समाजवादी पार्टी में मचे घमासान में अब सुलह की कोई गुंजाईश नहीं बची है।
  • जिसके बाद ये कहा जा सकता है कि, समाजवादी पार्टी म्यान में अब पिता-पुत्र रुपी तलवारें साथ नहीं रह सकती हैं।
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