कांग्रेस-सपा के गठबंधन के साथ ही अब ये कयास तेज हो गए हैं कि प्रियंका गाँधी और डिम्पल यादव साथ-साथ चुनाव प्रचार करेंगी। प्रियंका अभी तक अमेठी-रायबरेली के अलावा अन्य जगहों पर प्रचार नहीं की हैं. हालाँकि राज बब्बर प्रियंका को चुनाव प्रचार में उतरने के प्रति आश्वस्त दिखाई दिए हैं। ऐसे में बहुत हद तक संभव है कि डिंपल-प्रियंका की जोड़ी साथ-साथ चुनाव प्रचार करे।

गठबंधन में हिट रहेगी डिंपल-प्रियंका की जोड़ी 

हालाँकि डिम्पल और प्रियंका के चुनाव प्रचार को लेकर विश्लेषकों की राय कुछ अलग है। इनका मानना है कि सूबे के युवा इन दोनों नेत्रियों से प्रचार से कितना आकर्षित होते हैं ये तो बाद में मालूम होगा लेकिन गठबंधन के लिए ये एक अच्छी रणनीति हो सकती है.

सबसे अहम बात है कि ये दोनों महिला मतदाताओं को बड़े पैमाने पर गठबंधन की ओर मोड़ने में कामयाब हो सकती हैं. क्योंकि दोनों ही महिलाओं के हितों वाले मुद्दे पर सकारात्मक रुख रखती हैं.

अपनी हाई प्रोफाइल लाइफ़ स्टाइल के कारण दोनों चर्चाओं में रहती हैं। गाँधी परिवार की बेटी हैं प्रियंका वहीँ, मुलायम सिंह यादव की बहू और अखिलेश यादव की पत्नी होने के साथ डिम्पल सांसद भी हैं।

बेल्लारी में सुषमा स्वराज के सामने जिस तरह से प्रियंका ने अपनी मां का प्रचार संभाला हुआ था, उसके बाद लोगों ने प्रियंका को दूसरी इंदिरा गाँधी की संज्ञा तक दे डाली। प्रियंका आम लोगों में एकदम घुलमिल जाती हैं। इंदिरा गाँधी जैसा अंदाज उनके प्रशंसकों को काफी अच्छा लगता है।

समाजवादी पार्टी-कांग्रेस गठबंधन के प्रचार में अखिलेश-राहुल की तरह ही प्रियंका-डिंपल भूमिका निभा सकती हैं। गठबंधन की घोषणा के दौरान राज बब्बर के एलायंस के एजेंडे से लगाया जा सकता है, जिसमें महिला सुरक्षा के मुद्दे को अहमियत दी गई है। महिला सुरक्षा को लेकर डिम्पल यादव भी अपना स्पष्ट रुख बयान कर चुकी हैं।

अखिलेश के छोटे भाई प्रतीक यादव की पत्नी अपर्णा यादव को लखनऊ कैंट से उम्मीदवार बनाया गया है। पार्टी उनको प्रचार का मौका देती है या नहीं इसका फैसला नहीं हो पाया है।

स्मृति-अनुप्रिया पर भी बड़ी जिम्मेदारी:

वहीं भाजपा की तरफ से स्मृति ईरानी को अभी तक मुख्यमंत्री पद का दावेदार माना जा रहा है और वे यूपी का लगातार चुनावी दौरा करती रही हैं। स्मृति अपने भाषण से भीड़ को आकर्षित करने में कामयाब रही हैं। अमेठी में भले ही स्मृति को हार मिली लेकिन स्मृति ने राहुल गाँधी को कड़ी टक्कर दी थी।

स्मृति ईरानी भाजपा की स्टार प्रचारक होंगी लेकिन राजनीति में अब तक मिले मौके को भूना नहीं पायी हैं। ऐसे में प्रियंका और डिंपल यादव के सामने उनकी छवि थोड़ी कमतर दिख रही है लेकिन मुकाबला रोचक रहने की उम्मीद की जा सकती है।

मथुरा से पार्टी की सांसद हेमा मालिनी भी मौजूद होंगी। इसके अलावा पिछले दिनों चर्चा में आयीं दयाशंकर सिंह की पत्नी स्वाति सिंह से पार्टी चुनाव प्रचार कराने पर भी विचार कर सकती है।

भाजपा की सहयोगी पार्टी अपना दल की अनुप्रिया पटेल भी महिला नेता के तौर पर प्रचार करेंगी। अनुप्रिया पटेल बीते कुछ महीनों से लगातार उत्तर प्रदेश में चुनावी दौरा करती रही हैं और उनकी छवि भी आकर्षक है।

स्मृति ईरानी और अनुप्रिया पटेल भी काफी पढ़ी लिखी नेता हैं. ख़ास बात ये है कि ये दोनों बहुत अच्छे ढंग से बोलती हैं, लोगों के बीच अपनी बात पहुंचाने की काबिलियत दोनों में है. ऐसे में प्रियंका और डिम्पल के लिए ये दोनों महिला नेता चुनौती साबित हो सकती हैं।

महिला सुरक्षा के मुद्दे पर डिंपल-प्रियंका को बढ़त:

विश्लेषकों की मानें तो अनुप्रिया पटेल का असर पूर्वी उत्तर प्रदेश की कुर्मी बहुल्य सीटों तक ही दिखेगा. जबकि स्मृति का किरदार अहम होगा।

अनुप्रिया और स्मृति शहरी मतदाताओं को अपनी बातों से आकर्षित कर सकती हैं, लेकिन यूपी के ग्रामीण इलाकों में इन्हें मुश्किलें आ सकती हैं। जबकि प्रियंका और डिंपल शीर्ष स्तर के राजनीतिक पारिवारिक की विरासत के कारण इन परिस्थितियों से काफी हद तक अवगत हैं।

विश्लेषकों के मुताबिक, प्रियंका गांधी और डिंपल यादव की जोड़ी का आम चुनाव में बहुत असर दिखेगा, ये कहना जल्दबाजी होगी। क्योंकि कांग्रेस अपना वोट समाजवादी पार्टी को ट्रांसफर करा पाए, ऐसा संभव नहीं दिखता, डिम्पल का स्वाभाव काफी सौम्य रहा है, ऐसे में डिम्पल महिला वोटरों को आकर्षित करने में कामयाब हो सकती हैं।

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