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UP Election 2017

पारिवारिक कलह ने लिया दो पीढ़ियों के बीच संघर्ष का विकराल रूप!

Mulayam Singh backs brother

समाजवादी पार्टी में छिड़ा महासंग्राम अब सिर्फ चाचा और भतीजे का गृह युद्ध नहीं रहा। परिवार से शुरू हुई इस कलह ने पूरी समाजवादी पार्टी को अपनी जद में ले लिया है। अभी तक अखिलेश और शिवपाल के बीच वर्चस्व की जंग बतायी जा रही थी जिसने अब पिता-पुत्र के रिश्तों को फीका करना शुरू कर दिया है।

बदले हालातों में अब अखिलेश और मुलायम के बीच जंग शुरू हो गई है। या फिर इसे सपा में नई और पुरानी पीढ़ी का संघर्ष माना जा सकता है। इस जंग में जहां पुरानी पीढ़ी मुलायम और शिवपाल हावी होते जा रहें हैं, वहीं नई पीढ़ी के कई योद्धा बलि की भेंट चढ़ गए। अब ऐसे में प्रदेश की सियासत से ज्यादा लोगों की निगाहें इस बात पर टिकीं हैं कि मुलायम कुनबे की यह तकरार कहा तक जाएगी।

जिसके पास होगा तुरूप का इक्का वही जीतेगाः

आपको याद होगा पिछले चुनावों में मुलायम का घर इलेक्शन मैनेजमेट का केन्द्र था, लेकिन इस बार लगता है अखिलेश नये इरादों के साथ मैदान में उतर रहें हैं।

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क्यों अखिलेश से खिन्न हुए मुलायमः

  1. सीएम अखिलेश 2017 के चुनावों में अपनी बेदाग छवि और सरकार के विकास के कामों के साथ जाना चाहते हैं, लेकिन मुलायम और शिवपाल मानते हैं कि सिर्फ विकास के काम गिनाकर चुनाव नही जीता जा सकता।
  2. यूपी सीएम अखिलेश पार्टी में किसी भी दागी या बाहुबली को लिये जाने के खिलाफ है लेकिन मुलायम यूपी की जातीय राजनीति को बखूबी जानते हैं, उन्हें मुख्तार और अमनमणि जैसे लोगो को पार्टी में लेने से कोई परहेज नही है।
  3. मुख्यमंत्री का मानना है कि गठबंधन सपा को कमजोर बनाएगा, जबकि शिवपाल क्षेत्रीय आधार पर दूसरे दलो से गठबंधन के पक्षधर हैं।
  4. अखिलेश की अपनी युवा टीम है जो पुराने लोगो के इशारो पर काम न करके अखिलेश के इशारे पर काम करती है, लेकिन पुरानी पीढ़ी इस बात को नहीं भूलने देना चाहती है कि उन्होंने ही इस पार्टी को खड़ा किया।
  5. सबसे बड़ा पेंच टिकट बंटवारे को लेकर फंसा है, अखिलेश चाहते है कि टिकटो का बंटवारा उनकी मर्जी से हो। इसमें वह पिता की इच्छा का सम्मान तो चाहते हैं लेकिन मुलायम औऱ शिवपाल का दखल उन्हें बेचैन कर रहा है।
  6. अखिलेश को लगता है कि उनके विकास के एजेडे औऱ बदलती सोच की वजह से पांच साल पहले सूबे की जनता से उन्हे वह प्रचंड बहुमत दिया जो कभी मुलायम भी हासिल नही कर सके थें, वहीं मुलायम इस बात से चिंतित है जिस पार्टी को उन्होने खून पसीन से सींचा, अखिलेश उस सोच औऱ विचारधारा के साथ ही उनके पुराने वफादारो को भी खत्म कर रहे हैं।

दो पीढ़ियों के बीच संघर्षः

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