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फ़तेहपुर की रैली में पीएम मोदी ने ऐसी बहस छेड़ दी जिसकी चर्चा यूपी सहित दिल्ली और अन्य जगहों पर भी हो रही है. यूपी चुनाव में जहाँ सभी दल विकास, अपराध, नयी तकनीक की बात कर रहे थे, अचानक चुनावों में श्मशान और कब्रिस्तान को लेकर बहस तेज हो गई है.

देखें 5 साल में किसको कितना दिया अखिलेश सरकार ने:

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नरेंद्र मोदी ने फतेहपुर से की इस बहस की शुरुआत:

  • फतेहपुर में पीएम मोदी ने कहा कि अगर कब्रिस्तान बनते हैं तो श्मशान भी बनने चाहिए।
  • उन्होंने कहा कि अगर रमजान पर बिजली मिलती है तो दिवाली पर भी मिलनी चाहिए।
  • उन्होंने कहा कि अगर होली पर बिजली मिलती है तो ईद पर भी बिजली मिलनी चाहिए।
  • नरेंद्र मोदी ने कहा कि विकास कार्य में किसी प्रकार का भेदभाव नहीं होना चाहिए।
  • ये भेदभाव ख़त्म होना चाहिए।

हालाँकि इसका जवाब अखिलेश यादव ने दिया रायबरेली में, जब उन्होंने कहा कि अमिताभ बच्चन को ‘गुजरात के गधों’ का प्रचार नहीं करना चाहिए। आपको बता दें कि अमिताभ बच्चन WILD ASS सेंक्चुअरी के ब्रांड एम्बेसडर हैं. ये वही अमिताभ बच्चन हैं जिन्होंने 2007 में यूपी की अखिलेश सरकार के लिए भी प्रचार किया था, जो खूब पॉपुलर हुआ था, अमिताभ बच्चन ने यूपी को लेकर ‘यूपी में हैं दम क्योंकि यहाँ है अपराध कम’ विज्ञापन में भी काम किया था, जिसपर सवाल उठे कि यूपी में तो अपराध बहुत है और इसको लेकर गाजीपुर के एक युवक ने याचिका भी दायर कर दी थी.

कब्रिस्तान के लिए बजट:

  • 2012-13 अल्पसंख्यक समुदाय के अन्त्येष्टि स्थलों एवं कब्रिस्तानों की सुरक्षा के लिए यूपी सरकार ने 200 करोड़ का बजट दिया।
  • जबकि 2013-14 के बजट में इसी काम के लिए 300 करोड़ रुपये के बजट का प्रावधान किया गया.
  • सत्र 2014-15 में 200 करोड़ रूपये का बजट इसी कार्य के लिए रखा गया.
  • 2015-16 में कब्रिस्तान के चारों तरफ दीवार बनाने का बजट सरकार ने 200 करोड़ रखा था.
  • 2016-17 में कब्रिस्तान की चहारदीवारी बनाने के लिए बजट को दो गुना बढ़ाकर 400 करोड़ कर दिया गया. इस बजट की राशि से 87,694 कब्रिस्तान में से केवल 5314 कब्रिस्तानों की बाउंड्री वॉल ही यूपी सरकार बनवा सकी.

लेकिन बाउंड्री वॉल बनाने को लेकर विवादों की बात करें तो 65255 वारदातों 9790 से अधिक वारदातें कब्रिस्तान की जमीन पर बाउंड्री वॉल बनाने को लेकर हुईं। अधिकांश जगहों पर कब्रिस्तान की दीवार निर्धारित नहीं हो पाने के कारण आपसी सौहार्द बिगड़ा और तनाव की स्थिति पैदा हुई.

श्मशान के लिए बजट:

वर्ष 2014-15 से शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में अंत्येष्टि के लिए श्मशान बनाने का कार्यक्रम शुरू किया। जिसके लिए यूपी सरकार ने शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में अलग-अलग राशि की व्यवस्था बजट में की. इसके पूर्व के बजट में इसके लिए कोई प्रावधान नहीं था.

  • 2014-15 में श्मशान के लिए यूपी में 200 करोड़ के बजट के साथ 755 श्मशान बनाये गए.
  • 2015-16 में 755 श्मशान बनाने के लिए 200 करोड़ का बजट था.
  • वहीँ 2016-17 के अनुपूरक बजट 521 श्मशान बनाने के लिए 227 करोड़ का बजट प्रस्तावित था.
  • जिसमें 383 श्मशान मार्च तक बना देने का दावा सरकार ने किया था.

हैरानी की बात ये है कि यूपी में एक बड़ा तबका जहाँ बिजली, पानी, सड़क, मकान और शौचालय जैसी बुनियादी सुविधाओं के लिए लालायित है वहीँ नेताओं को श्मशान और कब्रिस्तान बनाने को लेकर जुबानी जंग शुरू हो गई है. लेकिन सवाल ये है कि आज यूपी में श्मशान और कब्रिस्तान की इस जंग में इंसान कहाँ है!

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