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उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव से पहले समाजवादी पार्टी जो टूट की स्थिति बनी थी वह अभी तक बरक़रार है। समाजवादी पार्टी की इस कलह की शुरुआत शिवपाल सिंह यादव और अखिलेश यादव के साथ हुई थी। जिसके बाद अखिलेश यादव ने पार्टी पर अपनी प्रभुता स्थापित करते हुए, शिवपाल सिंह यादव को शक्तिविहीन कर दिया था। शिवपाल सिंह यादव यूपी चुनाव के बाद अपनी तैयारी के साथ सियासत की नई कहानी लिख सकते हैं।

यूपी चुनाव के बाद शिवपाल सिंह यादव की ये है ‘तैयारी’:

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पहला विकल्प:

  • यूपी विधानसभा चुनाव के बाद शिवपाल सिंह यादव अपनी खुद की नई पार्टी बना सकते हैं।
  • गौरतलब है कि, शिवपाल सिंह यादव ने इसका ऐलान चुनाव शुरू होने के कुछ समय बाद ही कर दिया था।
  • जिसके बाद इस बात की प्रबल सम्भावना है कि अपनी बेइज्जती से आहत हुए शिवपाल सिंह यादव नई पार्टी बना सकते हैं।
  • ज्ञात हो कि, शिवपाल सिंह यादव की अगुवाई में इटावा में ‘मुलायम के लोग’ नाम से कार्यालय भी खोला गया था।

दूसरा विकल्प:

  • यूपी चुनाव के बाद शिवपाल सिंह यादव के पास दूसरा विकल्प यह होगा कि, वो समाजवादी पार्टी के साथ बने रह सकते हैं।
  • हालाँकि, अखिलेश द्वारा शिवपाल का पार्टी में कद कम करने के बाद इसकी सम्भावना प्रबल नहीं है।
  • लेकिन शिवपाल सिंह ने मुलायम सिंह के साथ काफी कठिनाइयों के बाद पार्टी को खड़ा किया था।
  • इस कारण पार्टी से उनका भावनात्मक रिश्ता भी है, जिसके चलते शिवपाल सिंह यादव सपा में भी रह सकते हैं।

तीसरा विकल्प:

  • यूपी चुनाव के बाद शिवपाल सिंह यादव के पास जो तीसरा विकल्प मौजूद है, वह थोड़ा अप्रत्याशित है।
  • शिवपाल सिंह यादव यूपी चुनाव के बाद बहुजन समाज पार्टी का भी हाथ थाम सकते हैं।
  • हालाँकि, इस बात की सम्भावना बेहद कम हैं, लेकिन यूपी चुनाव के घटनाक्रमों पर नजर डालें तो इससे इंकार भी नहीं किया जा सकता है।
  • बसपा सुप्रीमो अपने हर भाषण में मुलायम सिंह द्वारा शिवपाल को अपमानित करने की बात दोहराती रही हैं।
  • जिससे साफ़ है कि, सपा के घमासान के बाद शिवपाल सिंह में जो गुस्सा है, मायावती उसे भुनाने की कोशिश कर रही हैं।
  • साथ ही कई सपा नेता जो शिवपाल के करीबी थे वे बसपा के साथ हो चुके हैं।
  • ऐसे में यदि चुनाव के बाद शिवपाल सिंह यादव बसपा के साथ नजर आये तो अतिश्योक्ति नहीं होगी।

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