उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव का पहला चरण 11 फरवरी से शुरू हो रहा है, जिसके तहत सूबे की समाजवादी पार्टी और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के बीच गठबंधन हो चुका है। वहीँ अमेठी के राजघराने की दोनों रानियाँ गरिमा सिंह और अमिता सिंह भी इस चुनाव में अपनी किस्मत आजमा रही हैं।

अमेठी राजघराने से अमिता सिंह ने दाखिल किया हलफनामा:

  • यूपी चुनाव के तहत अमेठी राजघराने से दोनों रानियां गरिमा सिंह और अमिता सिंह अब चुनावी मैदान में आमने-सामने हैं।
  • गरिमा सिंह जहाँ भाजपा उम्मीदवार के रूप में मैदान में हैं, वहीँ अमिता सिंह ने गुरुवार को कांग्रेस से अपना नामांकन भरा है।
  • इस दौरान उनके साथ राजकुमारी आकांक्षा सिंह और डॉ० संजय सिंह मौजूद रहे।
  • डॉ० संजय सिंह की पहली रानी गरिमा सिंह के अभियान की कमान राजकुमार अनंत विक्रम सिंह के हाथ में है।
  • गौर करने वाली बात यह है कि, अमिता सिंह और गरिमा सिंह दोनों के ही पर्चे में पति के नाम में डॉ० संजय सिंह है।
  • जिस पर संजय सिंह का कहना है कि, ‘मेरी सिर्फ एक ही रानी है और वह हैं अमिता सिंह’।

सीटों में फंसा है पेंच:

  • उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के तहत ही समाजवादी पार्टी और कांग्रेस ने गठबंधन किया है।
  • वहीँ गठबंधन के समझौते में अमेठी की सीट को लेकर ही पेंच फंसा हुआ है।
  • कांग्रेस की यह पारंपरिक सीट रही है, जिसे लेकर वह अपना हक़ इस सीट पर छोड़ना नहीं चाह रही है।
  • वहीँ सपा के प्रत्याशी गायत्री प्रजापति पहले ही अमेठी से अपना नामांकन भर चुके हैं।

गठबंधन की खुलती पोल:

  • सपा-कांग्रेस के गठबंधन के बाद भी रायबरेली और अमेठी की सीटों को लेकर पेंच फंसा हुआ है।
  • इसी पेंच के फंसने से सपा-कांग्रेस के गठबन्धन की भी पोल खुल रही है।
  • अमेठी से गायत्री प्रजापति पहले ही अपना नामांकन भर चुके हैं।
  • वहीँ कांग्रेस के डॉ० संजय सिंह ने कहा है कि, अमेठी और रायबरेली सीट पर शुरू से हमारी ही दावेदारी थी।
  • उन्होंने आगे कहा कि, हम यहाँ पर एक भ्रष्ट मंत्री के खिलाफ लड़ रहे हैं।
  • इशारा साफतौर पर खनन मंत्री रह चुके गायत्री प्रजापति की ओर था।

अखिलेश यादव कर सकते हैं किनारा:

  • संजय सिंह का यह बयान सूबे के राजनीतिक गलियारे में हलचल पैदा करने वाला है।
  • गायत्री अवैध खनन के मामले बदनाम रहे हैं, जिसकी छींटे अखिलेश यादव तक भी पहुंची थी।
  • विरोधियों ने भी गायत्री के बहाने अखिलेश सरकार की बखिया उधेड़ी।
  • ऐसा कहा जाता है कि, अखिलेश गायत्री को नापसंद करते हैं।
  • साथ ही अखिलेश यादव ने खुद गायत्री को भ्रष्ट बताकर पार्टी से बाहर निकाला था।
  • हालाँकि, सपा प्रमुख के दबाव के बाद गायत्री कैबिनेट में वापस आ गए थे।
  • ऐसे कयास भी लगाये जा रहे हैं कि अखिलेश यादव गायत्री से किनारा कर सकते हैं।
  • लेकिन इस बात की सम्भावना न के बराबर है, अखिलेश यादव ने सभी शिवपाल समर्थकों के टिकट काटे थे।
  • फिर गायत्री को क्यों बख्शा गया?
  • सपा प्रमुख का दबाव अन्य नेताओं के लिए भी था लेकिन अखिलेश ने उन्हें टिकट नहीं दिया।
  • हमें यह भी नहीं भूलना चाहिए कि अखिलेश ने ही गायत्री को खनन विभाग सौंपा था।
  • अखिलेश यादव ने गायत्री को कैबिनेट से बाहर तब किया था, जब प्रदेश में चुनाव की धमक शुरू हो गयी थी।
  • क्या उससे पहले अखिलेश यादव को गायत्री के भ्रष्ट होने की जानकारी नहीं थी?
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