[nextpage title=”election” ]

चुनाव हमारे देश में लोकतांत्रिक ढाचे के निमार्ण के लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण पर्व की तरह है। लेकिन कुछ लोग इसे मज़ाक के तौर पर लेते हैं, यह कहना भी गलत नहीं होगा। क्योंकि 1980 से अब तक के विधानसभा चुनावों पर नज़र डाले तो पता चलता है कि लगभग हर बार 85 प्रतिशत से ज्यादा प्रत्याशियों की जमानत जब्त होने का सिलसिला जारी है।

अगले पेज पर देखें हैरान करने वाले आंकड़ें

[/nextpage]

[nextpage title=”election2″ ]

केंद्र का रास्ता यूपी से

उत्तर प्रदेश में विधानसभा का चुनाव महज प्रदेश के लिए ही महत्वपूर्ण नहीं, बल्कि इसे देश के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। ऐसा इसलिए है कि इस प्रदेश में लोकसभा की 80 सीटें हैं। जो यह तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है कि देश की सत्ता को कौन चलाएगा। इसलिए प्रदेश की विधानसभा पर जीत हासिल करने वाली पार्टी के लिए लोकसभा की जीत थोड़ी आसान मानी जाती है।

प्रत्याशियों की हार का काला सच

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में 1980 से 2012 तक हुए 9 विधानसभा चुनाव में लगभग 8 में करीब 85 प्रतिशत प्रत्याशियों की जमानत जब्त हुई। सबसे आश्चर्य की बात ये है कि 1993 के विधानसभा चुनाव के नजीते आने पर यह आकड़ा 89.05 प्रतिशत था। यानी 10.95 प्रतिशत प्रत्याशियों को छोड़कर सबकी जमानत जब्त हुई।

 

इनकी हार के पीछे सबसे बड़ा कारण पब्लिक फिगर बनने की लालसा हैं। बता दें कि जमातब जब्त होने वाले प्रत्याशियों में से ज्यादातर वोट पाने में 1000 वोट का आकड़ा भी पार नहीं कर पाते। इनमें से कुछ ऐसे है जो कि अपने परिवार के वोट तक ही सीमित रह जाते हैं। इनका मकसद केवल चुनाव के जरिये खुद को पहचान दिलाने का होता है ना कि चुनाव जीतने का।

2017 में और बढ़ सकता है आंकड़ा

1980 से लेकर 2012 तक विधानसभा चुनाव में प्रत्याशियों की संख्या में तेजी से बढ़ोत्तरी हुई है। इस दौरान उसी तेजी से प्रत्याशियों की जमानत जब्त होने का सिलसिला भी बढ़ा है। एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) की रिपोर्ट के मुताबिक 2017 के विधानसभा चुनाव में 403 सीटों पर 4853 प्रत्याशी मैदान में है। वहीं चुनाव विशेषज्ञयों कि मानें तो इस बार भी जमानत जब्त होने का आकड़ा कम से कम 80 प्रतिशत रहने वाला है। इस बार ऐसा इसलिए संभव है क्योंकि इस चुनाव में 2012 के मुकाबले लगभग 907 प्रत्याशी मैदान में कम उतरे हैं। हालांकि इस चुनाव में भी कई प्रत्याशियों ने महज नाम और शोहरत के लिए ही चुनाव लड़ा है, जिन्हें वास्तविकता में जीत से खास लेना-देना नहीं है।

क्या होता है जमानत जब्त होना

चुनाव लड़ने के लिए सभी प्रत्याशियों को जमानत के रूप में चुनाव आयोग के पास एक निश्चित रकम जमा करनी होती है। अगर प्रत्याशी निश्चित प्रतिशत मत हासिल नहीं कर पाता है, तब उसकी जमानत जब्त हो जाती है यानी यह राशि चुनाव आयोग की हो जाती है।

[/nextpage]

UTTAR PRADESH NEWS की अन्य न्यूज पढऩे के लिए Facebook और Twitter पर फॉलो करें