मोक्ष की नगरी काशी! बाबा विश्वनाथ की नगरी है काशी.लेकिन काशी इन दिनों कुरुक्षेत्र मे तब्दील हो गई है. सत्ता संग्राम के अंतिम पायदान तक पहुँचते-पहुँचते काशी कुरुक्षेत्र में तब्दील हो गई है.छठा औऱ सातंवा चरण पूर्वांचल मे सिमट गया है.पूर्वांचल जहाँ दागी-बागी से लेकर नेता औऱ योगी तक मैदान मे हैं. लेकिन पूर्वांचल की अहमियत तब औऱ बढ जाती है जब देश के वजीर ए आजम की प्रतिष्ठा खुद दांव पर हो.

लिहाजा बनारस के घाटो पर चुनावी चौपालें सज गई हैं..आने वाली 6 तारीख तक काशी की धरती से यूपी के महाभारत का अंतिम अध्याय लिखा जायेगा. लिहाजा खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 4 मार्च से काशी मे डेरा जमा रहे हैं. 4 मार्च औऱ फिर 5 मार्च को वह बनारस की धरती से यूपी फतह करने के लिये अंतिम जोर लगाएंगे. लेकिन यूपी की महाभारत मे मोदी औऱ उनकी सेना को विरोधियों की चुनौती से भी जूझना होगा.

अंतिम 2 चरणो मे 14 जिलो की 89 विधानसभा सीटे यूपी औऱ सियासी दलो की तकदीर तय करेगी.मैदान मे मुख्तार जैसे बाहुबली भी है तो अंबिका चौधऱी. नारद राय से लेकर राम गोविंद चौधऱी तक मैदान मे हैं .लेकिन जिनका सियासत औऱ साख दांव पर है उनमे खुद मुलायम सिंह यादव,नरेंद्र मोदी, कलराज मिश्रा, योगी आदित्यनाथ जैसे बडे नाम शामिल हैं.

4 मार्च को बाबा विश्वनाथ के दर्शन के साथ मोदी काशी से अपने विरोधियों पर अंतिम हमला करेंगे. उनके साथ उनकी पूरी टीम जो पहले से ही काशी को बेस कैंप बना चुकी है. वह लगातार पूरे पूर्वांचल पर काम कर रही है. वहीं चार मार्च को ही राहुल औऱ अखिलेश की जोडी काशी की सडको पर निकल रही है. काशी को क्योटो बनाने का सपना भुनाने की कोशिश भी हो रही है तो अखिलेश कैंप से दर्द ए बनारस जैसे अभियान भी चलाये जा रहे हैं.

अंतिम दो चरण यूपी की तकदीर लिख देंगे. मोदी मैजिक या अच्छे लडको की जुगल बंदी या फिर माया का मन्त्र कौन प्रभावी होगा यह सब कुछ देखने को बेताब है काशी की धरती.

द्वारा:

मानस श्रीवास्तव

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