उत्तर प्रदेश का अलीगढ़ लोकसभा क्षेत्र अठारहवीं शताब्दी से पहले कोल कहलाता था. अपने तालों की वजह से मशहूर ये शहर उत्तर प्रदेश सबसे बड़े शहरों में से एक है. यह क्षेत्र की दृष्टि से भारत में 55वें स्थान पे आता है. अच्छे या बुरे किसी भी कारणों की वजह से सुर्ख़ियों में रहने वाला केंद्रीय विश्वविद्यालय अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय यही पर स्थित है.

बारहवीं शताब्दी से पहले का अलीगढ़ का इतिहास अनिश्चित है.

1875 एडविन एटकिनसन की एक विवरणिका के अनुसार इसका नाम कोल बकाराम ने रखा था जिन्होंने कोल नाम के राक्षस को यहाँ ममार गिराया था और अहीरों के साथ मिल के इस क्षेत्र पर अपना आधिपत्य स्थापित कर लिया था. अपने दूसरे कथन में एटकिनसन ने ये कहा है की डोर जनजाति के राजपूतों ने कोल की स्थापना की थी. वर्तमान नगर में एक तबाह हो चुका डोर का किला भी मौजूद है.

मुस्लिम विजय से पहले कोल डोर राजपूतों के हाथ में था. उत्खनन में भगवान बुद्ध और बौद्ध अनुयायियों के अवशेष मिले हैं जो उस समय इस क्षेत्र में बौद्ध प्रभाव की तरफ इशारा करते हैं.

क़ुतुबुद्दीन ऐबक ने हिसमउद्दीन ऐबक को कोल का पहला मुस्लिम राज्यपाल नियुक्त किया था.

इब्न बतूता ने अपने रिहला में भी कोल का ज़िक्र किया है जब काम्बे की यात्रा के दौरान बतूता कोल से गुज़रा था. इब्न बतूता ने कोल को “आम के बगीचों वाला अच्छा शहर” कहा है. इन्हीं आम के बगीचों के कारण कोल के इलाकों को सब्ज्बाद भी कहा गया. अकबर और जहाँगीर अक्सर कोल में शिकार के लिए आया करते थे, जहाँगीर ने कोल के जंगलों का ज़िक्र किया है.

2011 की जनगणना के अनुसार अलीगढ़ की जनसँख्या 1,240,896 है. अलीगढ़ जिला 3,700 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है. अलीगढ़ जिले में 1,345,351 मतदाता हैं जिनमें से 744,060 पुरुष और 601,291 महिला मतदाता हैं. यहाँ की साक्षरता दर 71% है.

अलीगढ़ के तत्कालीन सांसद भारतीय जनता पार्टी के सतीश कुमार गौतम हैं.

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अलीगढ़ लोकसभ क्षेत्र के अंतर्गत 5 विधान सभा क्षेत्र आते हैं;

खैर- अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित

बरौली

अतरौली

कोइल

अलीगढ़ 1952 में हुए पहले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के चाँद सिंघल और नारदेओ स्नातक 2 अलग क्षेत्रों से विजयी हुए और अलीगढ़ के सांसद बने. नारदेओ स्नातक अगले चुनाव में एकाकी रूप से जीटे. 1962 मे रीपब्लिकन पार्टी ऑफ़ इंडिया के बुद्ध प्रिय मौर्या स्नातक को हरा कर भरी मतों से विजयी हुए.

इसके बाद भारतीय क्रांति दल ने अलीगढ़ में अपना खाता खोला और लगातार 2 बार अलीगढ़ में रही. इस दौरान शिव कुमार शास्त्री सांसद के पद पर रहे.

जनता पार्टी के नवाब सिंह चौहान 1977 के लोकसभा चुनाव में जीते और इसके बाद जनता पार्टी सेक्युलर की नेता इंद्रा कुमारी सांसद की कुर्सी पर बैठी.

1984 में कांग्रेस ने अलीगढ़ में वापसी की और उषा रानी तोमर को यहाँ सांसद बनाया.

इसके बाद फिर जनता पार्टी यहाँ जीती और सत्य पाल मालिक सांसद बने.

1991 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने अलीगढ़ में कदम रखा और 2004 तक किसी और यहाँ आने नहीं दिया. इस दौरान भाजपा की नेता शीला गौतम अलीगढ़ की सांसद रही और 13 सालों तक यह पद संभाला. 2004 में आये कांग्रेस नेता बिजेंद्र सिंह जिनका कार्यकाल अगले चुनाव में समाप्त हो गया जब वे बहुजन समाज पार्टी के राज कुमारी चौहान के हाथों मात खा गये.

अलीगढ़ के तत्कालीन सांसद भारतीय जनता पार्टी के सतीश कुमार गौतम हैं. गौतम रसायन और उर्वरक विभाग के स्थायी सदस्य रहे हैं. और रेल मंत्रालय के परामर्श समिति के सदस्य भी रहे हैं.

लोकसभा वर्ष से वर्ष तक नाम पार्टी
पहली 1952 1957 चांद सिंघल कांग्रेस
1952 1957 नारदेओ स्नातक कांग्रेस
दूसरी 1957 1962 नारदेओ स्नातक कांग्रेस
तीसरी 1962 1967 बुद्ध प्रिय मौर्या आर पी आई
चौथी 1967 1971 शिव कुमार शास्त्री भारतीय क्रांति दल
पांचवी 1971 1977 शिव कुमार शास्त्री भारतीय क्रांति दल
छठवीं 1977 1980 नवाब सिंह चौहान जनता पार्टी
सातवीं 1980 1984 इंद्रा कुमार जनता पार्टी
आठवीं 1984 1989 उषा रानी तोमर कांग्रेस
नौवीं 1989 1991 सत्य पाल मालिक जनता दल
दसवीं 1991 1996 शीला गौतम भारतीय जनता पार्टी
ग्यारहवीं 1996 1998 शीला गौतम भारतीय जनता पार्टी
बारहवीं 1998 1999 शीला गौतम भारतीय जनता पार्टी
तेरहवीं 1999 2004 शीला गौतम भारतीय जनता पार्टी
चौदहवीं 2004 2009 बिजेंद्र सिंह कांग्रेस
पंद्रहवीं 2009 2014 राज कुमारी चौहान बहुजन समाज पार्टी
सोलहवीं 2014 अब तक सतीश कुमार गौतम भारतीय जनता पार्टी
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