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अमेठी लोकसभा क्षेत्र : जानिए, अमेठी (Amethi) लोकसभा सीट का इतिहास

Amethi

Amethi

राय बरेली की ही तरह अमेठी भी कांग्रेस पार्टी का गढ़ रहा है, क्योंकि 1966 में लोकसभा क्षेत्र बनने के बाद यह नेहरु-गाँधी परिवार का ही संसदीय क्षेत्र रहा. यहाँ अमेठी अपने जिले का सबसे बड़ा शहर है. यह फैजाबाद डिवीज़न के अंतर्गत आता है. अमेठी में एक विश्व प्रसिद्ध हनुमानगढ़ी मंदिर हैं. यहाँ देश के कुछ बड़े शिक्षण संस्थान हैं.

पुराने समय में अमेठी को रायपुर-अमेठी कहा जाता था. रायपुर वो जगह थी जहाँ अमेठी के राजा का किला था. उनके पूर्वज रायपुर-फुलवारी में रहते थे, जहाँ अब भी उनके पुराने किले हैं. अमेठी के हनुमानगढ़ी और एक मस्जिद है और दोनों ही 100 साल पुराने हैं. अमेठी से 3 किलोमीटर दूर प्रसिद्ध कवि मालिक मोहम्मद जायसी का मकबरा है.

3,063 वर्ग किलोमीटर में फैले अमेठी जिले की कुल जनसँख्या करीब 1,500,000 है. इसमें से 52% पुरुष और 48% महिलाऐं हैं. यहाँ प्रति 1000 पुरुषों पर 850 महिलाएं हैं. और यहाँ की औसत साक्षरता दर लगभग 60% है. यहाँ मुस्लिम बहुसंख्य हैं. चुनाव समिति की 2009 की रिपोर्ट के अनुसार अमेठी लोकसभा संसदीय क्षेत्र में कुल 1,431,787 मतदाता हैं, जिसमें से 679,304 महिलाएं और 752,483 पुरुष हैं. अमेठी सुल्तानपुर से केवल 40 किलोमीटर दूर है.

अमेठी लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र के अंतर्गत 4 तहसील और 5 विधान सभा क्षेत्र आते हैं. इन 5 विधान सभा क्षेत्र में से 2 अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है. ये 5 विधान सभा क्षेत्र हैं;

तिलोई

सलोन- अनुसूचित जाति के लिए अरक्षित

जगदीशपुर- अनुसूचित जाति के लिए अरक्षित

गौरीगंज

अमेठी

अमेठी लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र 1967 के चुनाव से पहले बना था. इसलिए यहाँ पहले लोकसभा चुनाव 1967 में हुए थे. विद्या धर वाजपेयी जो की कांग्रेस के नेता थे अमेठी के पहले सांसद बने.

अमेठी में कांग्रेस ने केवल 2 बार हार का स्वाद चखा है. पहली बार 1977 में जब 2 बार के विजेता विद्या धर को करा कर जनता पार्टी के रविन्द्र प्रताप सिंह ने ये सीट अपने नाम कर ली.

हालाँकि अगले ही चुनाव ने कांग्रेस ने दोबारा यहाँ अपनी सत्ता जमा ली. इस बार यहाँ के सांसद बने इंदिरा गाँधी के छोटे बेटे और प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु के प्रपौत्र संजय गाँधी. पर यहाँ के सांसद बनने  के कुछ ही महीनो बाद संजय की एक हवाई जहाज़ दुर्घटना में सर में लगी चोट की वजह से दुखद मौत हो गयी.

जिसकी वजह से अगले साल, यानि 1981 में अमेठी में उप-चुनाव हुए. जिसमें उनके बड़े भाई राजीव गाँधी विजयी रहे.

राजीव इसके बाद लगातार 4 बार इस सीट से जीते और 10 सालों तक यहाँ के सांसद रहे. पर अपने कार्यकाल के दौरान ही 1991 में मद्रास के एक गाँव श्रीपेरुमबुदुर में उनकी हत्या कर दी गयी. बता दे की उनकी यात्रा के दौरान एक महिला उनसे मिलने के लिए आगे बढ़ी और पैर छूने के बहाने झुक कर अपने बेल्ट में लगा बम का बटन दबा के विस्फोट कर दिया, जिसमें राजीव गाँधी सहित 25 लोग मरे गये.

अमेठी की सांसद की सीट खली होने के बाद उसी साल दोबारा यहाँ उप-चुनाव हुए जिसमें कांग्रेस नेता सतीश शर्मा विजयी हुए.

सतीश शर्मा अगले आम चुनाव में भी जीते.

फिर 1998 में दूसरी बार कांग्रेस ने हार का मुह देखा. इस बार कांग्रेस की हराने वाली पार्टी थी भारतीय जनता पार्टी. भाजपा नेता डॉ. संजय सिंह इस बार यहाँ के सांसद बने.

अगले ही चुनाव में फिर ये सीट कांग्रेस को वापस मिल गयी और इस बार राजीव गाँधी की पत्नी इटालियन मूल की सोनिया गाँधी संसद की कुर्सी पर बैठीं. राहुल गाँधी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष हैं.

[penci_blockquote style=”style-1″ align=”none” author=””]2004 से अब तक इस सीट को सोनिया और राजीव गाँधी के पुत्र राहुल गाँधी संभाल रहे हैं[/penci_blockquote]

लोकसभा वर्ष से वर्ष तक नाम पार्टी
चौथी 1967 1971 विद्या धर वाजपई भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
पांचवी 1971 1977 विद्या धर वाजपई भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
छठवीं 1977 1980 रविन्द्र प्रताप सिंह जनता पार्टी
सातवीं 1980 संजय गाँधी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
उपचुनाव 1981 1984 राजीव गाँधी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
आठवीं 1984 1989 राजीव गाँधी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
नौवीं 1989 1991 राजीव गाँधी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
दसवीं 1991 राजीव गाँधी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
उपचुनाव 1991 1996 सतीश शर्मा भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
ग्यारहवीं 1996 1998 सतीश शर्मा भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
बारहवीं 1998 1999 डॉ संजय शर्मा भारतीय जनता पार्टी
तेरहवीं 1999 2004 सोनिया गाँधी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
चौदहवीं 2004 2009 राहुल गाँधी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
पंद्रहवीं 2009 2014 राहुल गाँधी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
सोलहवीं 2014 अब तक राहुल गाँधी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस

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