घोसी लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र पूर्वांचल के मऊ जिले का हिस्सा है| आज मऊ और बुनाई एक दुसरे के पर्यायवाची बन चुके है| मऊ में बुनाई की शुरुआत मुग़ल सम्राट जहाँगीर के काल में हुई|अगर यूँ कहे की बुनाई की कला इस क्षेत्र की आबो-हवा में बहती है और अब यह कला मऊ की संस्कृति का हिस्सा बन चुकी है| पूर्वी उत्तर प्रदेश में हथकरघो से कपडा बनाने की शुरुआत 16वीं शताब्दी में मऊ से हुई थी जो आगे चलकर अन्य इलाकों में फैली| 1957 में तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरु ने इसे भारत का मैनचेस्टर बताया था| एक अनुमान के मुताबिक़ यहाँ वर्तमान में 85 हज़ार से ज्यादा लूम चल रहे है| साड़ियों की बुनाई अब यहाँ के लोगो की पहचान बन चुकी है| यह कला आज पीढ़ी दर पीढ़ी चलती जा रही है यही कारण है की इस इलाके में बेरोज़गारी अपेक्षकृत कम है|

तमसा नदी के किनारे यह इलाका खुद में रामायण और महाभारत काल की सांस्कृतिक और पुरातात्विक अवशेष समेटे हुए है| कभी इसी तमसा के तट पर महर्षि वाल्मीकि का आश्रम हुआ करता था और ऐसा माना जाता है की वनयात्रा की पहली रात भगवान श्रीराम ने यही बिताई थी| टर्की में ‘मऊ’ का अर्थ पड़ाव या छावनी होता है| कुछ लोगों के अनुसार मऊ संस्कृत के मयूर शब्द का ही अपभ्रंस है|

घोसी तहसील मऊ जिले का हिस्सा है, यह आजमगढ़ मंडल में पड़ता है और इसका प्रशासनिक मुख्यालय मऊनाथ भंजन है| 2011 की जनगणना के मुताबिक़ यहाँ की आबादी 22,05,968 लाख है जिनमे पुरुषों की आबादी 11,14,888 लाख और महिलाओं की संख्या 10,90,282 लाख है| यूपी के लिंगानुपात 912 के मुकाबले 1,713 किमी में फैले इस जिले में प्रति 1000 पुरुषों पर 978 महिलायें है| साक्षरता दर की बात करे तो मऊ की औसत साक्षरता दर 75.16% है  है जिनमे पुरुषों की साक्षरता दर 84.16% और महिलाओं की साक्षरता दर 65.59% है| मऊ की 77.34% जनता ग्रामीण इलाकों में जबकि 22.66% जनता शहरों में रहती है| राष्ट्रीय राजमार्ग 29 घोसी से होकर गुजरता है|

घोसी लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों में 70वें नंबर की सीट है| यहाँ पहली बार 1957 में चुनाव हुए थे | अस्तित्त्व में आने के बाद से ही यह सीट सामान्य श्रेणी की रही है| चुनाव आयोग की 2009 की रिपोर्ट के अनुसार घोसी लोकसभा में 16,93,231 वोटर्स है जिनमे पुरुष वोटर्स की संख्या 9,09,640 और महिला वोटर्स की संख्या 7,83,591 है|

    वर्तमान में हरिनारायण राजभर यहाँ के सांसद है.

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1957 में हुए पहले चुनावों में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उमराँव सिंह जीते| 1962 में हुए आमचुनाव में कम्युनिस्ट पार्टी के जय बहादुर और 1967 मके चुनाव में कम्युनिस्ट पार्टी के ही झारखंडे राय ने जीत दर्ज की| 1968 में उपचुनाव हुए और कम्युनिस्ट पार्टी के झारखंडे राय दोबारा जीते| 1971 में झारखंडे राय ने कम्युनिस्ट पार्टी को फिर से जीत दिलाई| 1977 में कम्युनिस्ट पार्टी की नज़रे एक और जीत पर थी मगर जनता पार्टी के शिवराम राय ने जीत हासिल करके उनकी उम्मीदों पर पानी फ़ेर दिया| 1980 में झारखंडे राय(कम्युनिस्ट पार्टी) और 1984 में राजकुमार राय(भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस) ने इस सीट पर कब्ज़ा किया|  1989 से 1998 तक भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के कल्पनाथ राय घोसी के सांसद बने| मऊ जिले के निर्माण में कक्प्नाथ राय ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी| 1999 में बहुजन समाज पार्टी के बाल कृष्ण चौहान ने कल्पनाथ राय का विजयरथ रोका और जीत हासिल करके संसद पहुंचे| 2004 में समाजवादी पार्टी और 2009 में बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी इस सीट पर जीत कर लोकसभा पहुंचे| वर्तमान में हरिनारायण राजभर यहाँ के सांसद है| 2014 में उन्होंने घोसी में भारतीय जनता पार्टी को पहली बार जीत दिलाई थी| पहली बार निर्वाचित हुए राजभर सोलहवीं लोकसभा में विज्ञान-तकनीक,पर्यावरण और वन सम्बन्धी मामलों की स्थाई समिति के सदस्य है|

लोकसभा वर्ष पार्टी नाम
 दूसरी 1957 भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस उमराँव सिंह
तीसरी 1962 कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ़ इंडिया जय बहादुर सिंह
चौथा 1967 कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ़ इंडिया झारखंडे राय
पांचवां 1971 कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ़ इंडिया झारखंडे राय
छठा 1977 जनता पार्टी शिव राम राय
सातवाँ 1980 कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ़ इंडिया झारखंडे राय
आठवां 1984 भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस राज कुमार राय
नौवा 1989 भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस कल्पनाथ राय
दसवां 1991 भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस कल्पनाथ राय
ग्यारहवां 1996 निर्दलीय कल्पनाथ राय
बारहवां 1998 समता पार्टी कल्पनाथ राय
तेरहवां 1999 बहुजन समाज पार्टी बाल कृष्ण चौहान
चौदहवां 2004 समाजवादी पार्टी चन्द्र देव प्रसाद राजभर
पन्द्रहवां 2009 बहुजन समाज पार्टी दारा सिंह चौहान
सोलहवां 2014 भारतीत जनता पार्टी हरिनारायण राजभर
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