- जिला प्रशाशन को नही है बेटी शिक्षा व सुरक्षा की परवाह, उधारी के भवन पर पढ़ने को मजबूर है बेटियां
- एक तरफ सरकार बेटी शिक्षा व सुरक्षा पर काफी गंभीर है।
- वहीं दूसरी तरफ जिले में बालिकाओं के लिए बनाए गए कस्तूरबा आवासीय विद्यालयों के जर्जर भवन कभी भी बडी दुर्घटना का कारण बनकर सरकार के बेटी शिक्षा व सुरक्षा पर सवालिया निशान खड़ा कर सकते है।
- ऐसे में जिला प्रशासन कस्तूरबा भवन निर्माण कार्यदायी संस्था पर कार्रवाई न कर शायद बड़े हादसे के इंतजार में है।
- जिला मुख्यालय से करीब 40 किमी दूर तराई क्षेत्र के शिवपुरा ब्लाक में बनाया गया कस्तूरबा आवासीय विद्यालय का भवन हैंड ओवर से पहले ही कंडम बन चुका है।
- विद्यालय की दिवारें दरकी, छत के प्लास्टर उजडे़, फर्श नदारद, ध्वस्त शौचालय, विधुतीकरण कमीशनखोरी की भेट चढ़ गया है।
- इतना ही नही दरवाजे, खिड़की के शीशे गायब हो चुके है।
- प्रवेश द्वार पर लगा लोहे का गेट क्षतिग्रस्त पड़ा कार्यदायी संस्था के कार्यो को बयां कर रहा है।
- विभागीय सूत्रों की माने तो वर्ष 2008-09 में बनाए गए इस भवन की लागत लगभग 36 लाख रूप्ए थी।
- यूपीआईएल कार्यदायी संस्था को भवन निर्माण की जिम्मेदारी दी गई थी।
- भवन निर्माण में कार्यदायी संस्था के ठेकेदारों ने मानक की अनदेखी कर आधा अधूरा निर्माण कराकर चंपत हो गए।
- केजीबीवी शिवपुरा का आवासीय भवन के निर्माण में कार्यदाई संस्था ने मानक की अनदेखी कर बजट का बन्दर बांट कर लिया।
- भवन की छत काफी कमजोर है जो कस्तूरबा की 100 बेटियों के रहने योग्य नहीं है।
- शौचालय की सीट तक नही लगाई गई, वाशबेसिन, पंखे, विधुतीकरण भी कमीशनखोरी की भेंट चढ़ गया।
- संचालन व हैंड ओवर के पहले ही विद्यालय भवन जर्जर होकर झाड़ झंखाड से पटा हुआ है।
- नवनिर्मित भवन मौजूदा समय में जीव जन्तुओं का रैन बसेरा बना हुआ है।
- सरकार भले ही बेटी शिक्षा व सुरक्षा को लेकर काफी गंभीर है वही बेसिक शिक्षा महकमा बेटियों की सुरक्षा व शिक्षा को लेकर कोई ठोस कदम उठााने में विफल रहा है।
- कस्तूरबा विद्यालय के जर्जर भवन कभी भी बड़े हादसे का कारण बन सकते है।
- बरसात के माह मे निजी भवनों में संचालित स्कूलों की हालत काफी खराब है।
- सारे भवन बारिश के दौरान टपकते है।
- कुछ भवन नियम कानून को ताक पर रखकर गडढ़े में बनाए गए जो बरसात में टापू नजर आते है।
- जिले में 11 कस्तूरबा विद्यालयों में आठ को निजी भवन बिना हैंड ओवर के संचालित है।
- वहीं तीन विद्यालयों के भवन निर्माण के बाद भी बेटियों को निजी बिल्डिंग में तालीम हासिल करने का अवसर नहीं दे सके हैं ।
- विद्यालयों में अव्यवस्थाओं का बोल बाला है लेकिन विभाग कागजों में आल इज वेल का दावा कर स्वयं की पीठ थपथपा रहा है।
- जिलाधिकारी कृष्णा करुणेश ने कहा कि मामला संज्ञान में आया है जांच कराकर कार्यवाही कराई जाएगी।
महज कुछ ही सालों में जर्जर हुआ कस्तूरबा आवासीय विद्यालय का भवन

महज कुछ ही सालों में जर्जर हुआ कस्तूरबा आवासीय विद्यालय का भवन