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विहिप प्रवक्ता शरद शर्मा:अगर निर्मोही अखाड़े को मानने के लिए तैयार है, तो हम भी तैयार हैं। अगर वे तैयार नहीं हैं, तो हम भी तैयार नहीं हैं।

Supreme-Court-Ayodhya-Case-

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अयोध्या.  सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या विवाद को लेकर सुनवाई पूरी हो चुकी है। सुप्रीम कोर्ट अब 23 दिन के अंदर फैसला सुना सकता है। लेकिन इससे पहले अयोध्या में मंदिर निर्माण को लेकर दावों का दौर शुरू हो गया। विहिप ने दावा किया कि अगर फैसला हिंदुओं के पक्ष में आया तो 6 महीने में राम मंदिर का ढांचा खड़ा कर देंगे। वहीं, दूसरी तरफ निर्मोही अखाड़ा का कहना है कि मंदिर तो हम ही बनाएंगे।

विहिप प्रवक्ता शरद शर्मा ने कहा, ‘‘पक्ष में फैसला आया तो हमारे पास तराशी हुई इतनी शिलाएं हैं कि हम 6 महीने में राम मंदिर का ढांचा खड़ा कर देंगे। 1990 में अयोध्या में कार्यशाला बनाई गई थी, जहां उच्चकोटि के कारीगरों द्वारा तराशे पत्थर रखे हुए हैं।’

निर्मोही अखाड़ा ने कहा- मंदिर का नक्शा और मॉडल तैयार  
निर्मोही अखाड़े के महंत दिनेंद्र दास का कहना है कि हमारे लिए मंदिर वहीं था। मंदिर बनाने में निर्मोही अखाड़ा सक्षम है। विहिप अगर निर्मोही अखाड़े को मानने के लिए तैयार है, तो हम भी तैयार हैं। अगर वे तैयार नहीं हैं, तो हम भी तैयार नहीं हैं।

मंदिर निर्माण के लिए विहिप से सहयोग लेने के सवाल पर निर्मोही अखाड़ा के महंत दिनेंद्र दास ने कहा, ‘‘हम सहयोग राम जी से लेंगे। मैं राम जी के कारण ही यहां हूं।’’ मंदिर बनाने की क्या तैयारी है, इस पर दास ने कहा कि गोवर्धन, वृंदावन, चित्रकूट, राजस्थान और उज्जैन में बैठे हमारे पंच तैयार हैं। मंदिर का मॉडल भी तैयार कर रखा है। डिजाइन भी फाइनल है। बस सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार है।

विहिप का दावा- मंदिर निर्माण की पूरी तैयारी
विहिप प्रवक्ता शरद शर्मा ने दावा किया कि पूरा मंदिर बनने में 1 लाख 75 हजार घनफुट पत्थर लगना है। इसमें से 1 लाख घनफुट से ज्यादा पत्थर तराशे जा चुके हैं। मंदिर का सिंह द्वार, नित्य मंडप, गर्भगृह की शिलाएं और भूतल का हिस्सा पूरी तरह तैयार है।

शर्मा ने यह भी बताया कि मंदिर दो तल का होगा। दूसरे तल के लिए शिलाओं का काम किया जाना है। मंदिर के नीचे के भाग में 106 खंभे लगने हैं, वे तैयार हैं। 106 खंभे ऊपर भी होंगे। हर खंभे पर 16-16 मूर्तियां बनाई जाएंगी। खंभों पर नक्काशी का काम होना बाकी है।

कार्यशाला में अभी कोई कारीगर नहीं 
शर्मा ने बताया कि फिलहाल कार्यशाला में कोई कारीगर पत्थर तराशने का काम नहीं कर रहा है। जो कारीगर काम कर रहे थे, उनकी मृत्यु हो गई। इसकी वजह से काम रुक गया। इससे पहले 1992 से 1998 तक कार्यशाला में 80 से 100 कारीगर काम कर रहे थे। पत्थरों में काई जम गई है। इन्हें साफ करने के लिए 300 कारीगर लगाए जाएंगे। मंदिर 265 फीट लंबा, 140 फीट चौड़ा होगा। 128 फीट ऊंचा शिखर बनाया जाएगा।

रामचरितमानस में वर्णित राम के हर रूप की मूर्तियां लगेंगी
शर्मा के मुताबिक, ‘‘रामलला का जो क्षेत्र है, वह करीब 77 एकड़ में है। रामजन्मभूमि न्यास ने 1992 में लगभग 45 एकड़ में रामकथा कुंज बनाने कि योजना बनाई थी। इसके लिए हमने तैयारी कर रखी है। राम के जन्म से लेकर लंका विजय और फिर अयोध्या वापसी तक के स्वरूप को पत्थरों पर उकेरा जाएगा। 125 मूर्तियां बनाई जानी हैं। अब तक करीब 24 मूर्तियां तैयार हो चुकी हैं।’’

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