पिछले वर्षो की तरह इस साल भी कर्बला के 72 शहीदों की याद में मोहर्रम यानि ‘यौम-ए-आशूरा’ का जुलूस इमामबाड़ा नाजिम साहब से कर्बला तालकटोरा तक निकाला गया। जुलूस को ध्यान में रखते हुए प्रशाशन ने सुरक्षा व्यवस्था के व्यापक इंतजाम किये थे। दसवीं मोहर्रम के जुलूस पर कड़ी चौकसी रही। एसएसपी कलानिधि नैथानी ने बताया कि जुलूस पर ड्रोन की निगरानी रही। जिन मार्गों से जुलूस निकला गया वहां कई स्थानों पर सीसीटीवी कैमरे लगाये गए थे साथ ही पुलिस और पीएसी के जवान छतों से भी विशेष निगरानी कर रहे थे। इतना ही नहीं जुलूस की पूरी वीडियोग्राफ़ी भी कराई गई। इस दौरान शहरवासियों की परेशानियां ध्यान में रखते हुए पुराने लखनऊ का यातायात भी परिवर्तित रहा। एसएसपी ने बताया कि पुराने शहर में जुलूस के दौरान वीडियोग्राफी भी कराई गई। जगह-जगह पर पुलिस बल तैनात रहा। जुलूस के दौरान सुरक्षा की कड़ी व्यवस्था की गई थी। इसके चलते जुलूस सकुशल संपन्न हुआ।

[penci_blockquote style=”style-1″ align=”none” author=””]खूनी गमगीन माहौल देख गम में डूब गए लोग [/penci_blockquote]
चौक के इमामबाड़ा नाजिम साहब से बड़े ही गमगीन और खूनी माहौल में दसवीं मोहर्रम का जुलूस निकाला गया। इस दौरान नाजिम साहिब इमामबाड़े से जैसे ही अजादार अलम लेकर बाहर आए। वहां मौजूद हजारों अजादारों ने उसे चूमना शुरू कर दिया। जुलूस के आगे अकीदतमंद मातम कर रहे थे। साथ ही पीछे अलम को छूकर लोग मन्नतें मांग रहे थे। इसमें जायरीन खंजर, चाकू, जंजीरे लेकर खुद को लहूलुहान कर मातम मना रहे थे। मातम में छोटे बच्‍चों से लेकर बड़े तक शामिल थे। गमजदा महिलाएं यह खूनी मंजर देखकर रो रहीं थीं। जुलूस में हजारो की संख्या में लोग मातम देख रहे थे जो गमगीन हो जाते थे उन पर पुलिस की विशेष निगरानी थी। ड्रोन कैमरा भी लगातार जुलुस पर विशेष नजर बनाये हुए था।

[penci_blockquote style=”style-1″ align=”none” author=””]या हुसैन की गूंज रही थी सदाएं छतों पर लगा था देखने वालों का तांता[/penci_blockquote]
दसवीं मोहर्रम का जुलूस अकबरी गेट से शुरू हुआ वैसे ही हजरत इमाम हुसैन की शहादत को याद करके लोग रोने लगे। जहां से जुलूस निकला, रास्तों पर लोग चाकू, छुरी और खंजर से खुद को लहूलुहान (कमा) कर गमगीन हो रहे थे। इन्हें देखने के लिए हजारों की भीड़ सड़कों और घरों की छतों से देखने के लिए उमड़े रहे जुलूस राजधानी के हजरतगंज, अलीगंज, चिनहट, चौक, बंथरा, सरोजनीनगर, आलमबाग, बीकेटी समेत सभी इलाकों में निकल गया। कर्बला के 72 शहीदों को यादकर लोग मातम कर रहे थे। छोटे-छोटे बच्‍चें भी खुद को जंजीरों से पीटकर अपने सर पर रॉड मारकर, खंजर, चाकू, जंजीरे लेकर खुद को लहूलुहान कर रहे थे। जुलूस के दौरान हर तरफ अली मौला, हैदर मौला की सदायें गूंज रही थी वहीं, खूनी मंजर देखकर गमजदा महिलाएं रो रही थी।

[penci_blockquote style=”style-1″ align=”none” author=””]इन रास्तों से निकला दसवीं मुहर्रम का जुलूस[/penci_blockquote]
पुराने लखनऊ में दसवीं मुहर्रम का जुलूस अकबरी गेट से शुरू हुआ जो नक्खास, बिल्लौचपुरा, हैदरगंज होते हुए कर्बला तालकटोरा पहुंचकर समाप्त हुआ। जुलूस जैसे ही इमामबाड़े से निकला वैसे ही वहां मौजूद हजारों अजादारों ने उसे चूमना शुरू कर दिया। आजाददार हजरत इमाम हुसैन की शहादत को याद कर रो रहे थे। जुलूस जहां जहां से निकला उन रास्तों पर लोग चाकू, छुरी और खंजर से खुद को लहूलुहान कर गमगीन कर रहे थे। जिन्हें देखने के लिए हजारों की भीड़ सड़को और घरों की छतों पर खड़ी थी। मातम के ये आलम राजधानी के विभिन्न इलाकों में निकाला गया। इनमें चिनहट, हजरतगंज, निशातगंज, आलमबाग, बीकेटी, इटौंजा, निगोहा, नागरम, बंथरा, सरोजनीनगर, मोहनलालगंज, काकोरी, मलिहाबाद, सहित प्रत्येक इलाकों में दसवीं मुहर्रम का जुलूस निकाला गया।

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