देश में आधी आबादी की स्थिति अभी सुधरी नहीं है। यहां आधी से अधिक महिलाएं खून की कमी की समस्या से जूझ रही हैं। महिलाओं की स्थिति नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (एनएफएचएस-4) में सामने आई है। अंतर्राष्ट्रीय जनसंख्या विज्ञान संस्थान के सांख्यकी वैज्ञानिकों ने प्रेसवार्ता में यह आंकड़े जारी किए। (pregnant women)

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  • सांख्यिकी वैज्ञानी प्रोफ़ेसर एसके सिंह ने बताया कि यूपी में 51 फ़ीसदी गर्भवती महिलाएं और 59 फीसदी स्तनपान कराने वाली महिलाएं खून की कमी से पीड़ित हैं।
  • एनएफएचएस-4 के अनुसार प्रदेश में 4 महिलाओं में से केवल एक ही गर्भावस्था के दौरान प्रसव पूर्व जांच (एएनसी) के लिए अस्पताल पहुंची।
  • वहीं गर्भावस्था की पहली तिमाही के दौरान मात्र 46 फ़ीसदी ही एएनसी की सेवा ली।
  • प्रदेश में लगभग 68 फ़ीसदी बच्चों का ही जन्म स्वास्थ्य केंद्रों पर हुआ।
  • 32 फ़ीसदी प्रसव घर पर हुए।
  • एनएफएचएस-4 में सिफारिश की गई है कि प्रसव के 2 दिनों के अंदर देखभाल की सेवा मिलनी चाहिए।

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घरेलू हिंसा की शिकार भी है महिलाएं

  • एनएफएचएस-4 के आंकड़ों के अनुसार उत्तर प्रदेश की प्रत्येक दिन विवाहित महिलाओं में से एक से अधिक महिला पति की शारीरिक किया यौन हिंसा का शिकार हुई।
  • कम से कम 12वीं तक पढ़ी 5 में से एक महिला ऐसी हिंसा की शिकार हुई।
  • घरेलू हिंसा झेलने वाली 7 में से केवल एक महिला ने इसे रोकने के लिए किसी प्रकार की सहायता ली।

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कम उम्र में शादी भी गिरते स्वास्थ्य की वजह

  • प्रदेश में लड़कियों की जल्दी शादी होना भी उनके गिरते स्वास्थ्य का एक कारण है।
  • 20 से 24 वर्ष की महिलाओं में 20 से 24 वर्ष की मकहिलाओं की शादी 18 वर्ष से पहले हो गई।

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गर्भनिरोधक का इस्तेमाल

  • प्रदेश में 46 फ़ीसदी महिलाएं ही गर्भनिरोधक का इस्तेमाल करती हैं।
  • जबकि राष्ट्रीय औसत 54 फ़ीसदी है। (pregnant women)
  • वहीं महिला नसबंदी भी 10 साल में घटकर 40 से 38 फ़ीसदी ही रह गई है।
  • सिर्फ 47 फीसदी महिलाएं ही जानती हैं कि कंडोम के इस्तेमाल से HIV एड्स से बचा जा सकता है।

प्रजनन दर अभी सबसे ज्यादा

  • प्रोफेसर एसके सिंह ने बताया कि यूपी में छोटे परिवार का चलन बढ़ा है।
  • इसके बावजूद यहां प्रजनन दर अन्य राज्यों से ज्यादा है।
  • प्रदेश में कुल प्रजनन दर प्रति महिला 2.7 है।
  • जबकि भारत में यह दर दो से कुछ ज्यादा है।
  • प्रदेश के शहरी क्षेत्र में प्रजनन दर 2.1 है।
  • जबकि ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं के औसतन तीन बच्चे हैं।
  • हालांकि एनएफएचएस 3 और 4 के अनुपात में प्रजनन दर में 1.1 की गिरावट आई है।

महिलाओं के बढ़ते आयाम

  • 55 फ़ीसदी महिलाओं के पास बैंक के बचत खाते हैं, जिनका संचालन वे स्वयं करती हैं।
  • 33 फीसदी महिलाएं अकेले या संयुक्त रुप से घर की मालकिन हैं।
  • 26 फ़ीसदी महिलाएं अकेले या संयुक्त रुप से या किसी अन्य के साथ जमीन की मालकिन हैं।
  • 37 फ़ीसदी महिलाओं के पास फोन है।
  • 15 से 24 वर्ष की उम्र वाली केवल 25 फ़ीसदी महिलाएं सर्वेक्षण के पहले 12 महीनों में नौकरी कर रही है।
  • 15 में से 24 वर्ष की 47 फीसदी महिलाओं में मासिक धर्म के दौरान सेनेटरी नैपकिन या टेम्पोन का प्रयोग किया है।

आंकड़ों में बयां हकीकत

  • 16 बच्चों में एक ही जीवन के पहले वर्ष में मौत हुई।
  • 13 में से एक बच्चे की 5 वर्ष का होने से पहले मौत हुई।
  • 12 से 23 महीने की उम्र वाले मात्र 51 फ़ीसदी का ही 6 बीमारियों से बचने का टीकाकरण हुआ।
  • छोटे बच्चों के लिए दस्त (डायरिया) प्रमुख स्वास्थ्य समस्या है।
  • 6 से 59 माह की उम्र वाले 63 फीसदी बच्चों में खून की कमी है।
  • 5 वर्ष से कम उम्र के 46 फ़ीसदी बच्चे कुपोषित हैं। (pregnant women)
  • 5 वर्ष से कम उम्र के 18 फ़ीसदी बच्चे लंबाई के अनुपात में ज्यादा दुबले-पतले हैं।
  • 5 वर्ष से कम उम्र के 40 फ़ीसदी बच्चे कम वजन के हैं।
  • 15 से 49 वर्ष की उम्र वाले एक चौथाई महिला एवं पुरुष अधिक दुबले-पतले हैं।

ऐसा हुआ सर्वे

  • 14 क्षेत्रीय एजेंसियां, 15 से 49 वर्ष की उम्र की 6,99,686 महिलाओं का साक्षात्कार हुआ।
  • 15 से 54 वर्ष की उम्र के 1,12,122 पुरुषों का साक्षात्कार हुआ। (pregnant women)
  • HIV, हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज के लिए महिलाओं पुरुषों की जांच हुई।
  • खून की कमी का पता लगाने के लिए वयस्कों छोटे बच्चों का परीक्षण हुआ।
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