आम आदमी पार्टी लखनऊ के संयोजक गौरव माहेश्वरी ने बुधवार को को मुख्यमंत्री को पत्र लिख कृषि विभाग के टेंडरो (tender scam) में बड़े पैमाने पर हो रही सांठगांठ एवं लूटपाट की तैयारी का पर्दाफाश किया गया।

  • पत्र में कहा कि वह मुख्यमंत्री के संज्ञान में लाना चाहते है कि संयुक्त कृषि निदेशक, प्रसार शिक्षा एवं प्रशिक्षण ब्यूरो, 9 विश्वविद्यालय मार्ग, लखनऊ द्वारा समाचार पत्र में वर्ष 2017-18 में विभिन्न प्रकार के साहित्यों का चार रंगो में मुद्रण कार्य हेतु निविदा प्रकाशित करवाई गयी थी।
  • निविदा की नियम व शर्तो का अध्यन करने के बाद बड़े पैमाने पर लूटपाट एवं भ्रष्टाचार की तस्वीर उजागर हो रही है।
  • जिसका गंदा खेल पिछले कई वर्षो से खेला जा रहा है।
  • लखनऊ के कुछ चुनिन्दा प्रिंटिंग प्रेस के मालिकों द्वारा उपरोक्त वर्णित संयुक्त कृषि निदेशक के साथ सांठगांठ का मामला प्रथम दृष्टया बड़े भ्रष्टाचार की तरफ संकेत करता हुआ दिख रहा है।

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निविदा में है ये उल्लेख

  • उन्होंने बताया कि निविदा में उल्लेखित नियम व शर्तो में बिंदु संख्या 32 पर लिखा है कि सम्बंधित फर्म/ कंपनी का प्रेस लखनऊ में स्थापित होना अनिवार्य है।
  • प्रेस में 28 इंच x 40 इंच साइज़ की एक फोर कलर प्रिंटिंग मशीन अथवा 28 इंच x 40 इंच साइज़ की कम से कम दो टू कलर प्रिंटिंग मशीन होना अनिवार्य है।
  • जिसका प्रमाण पत्र तकनीकी निविदा के साथ अपलोड करना अनिवार्य है।

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ये हैं कुछ तथ्य

  • 1- चूंकि 28 इंच x 40 इंच की फोर कलर और टू कलर मशीनें लखनऊ के कुछ ही चुनिन्दा प्रेस में लगी हैं। जिसके कारण उन प्रेस के मालिकों द्वारा संयुक्त कृषि निदेशक से सांठगांठ कर नियम व शर्तो में जानबूझ कर 28 इंच x 40 इंच की मशीनों का अनिवार्य होना उल्लेखित करवाया गया है।

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  • 2- उपरोक्त निविदा में विभिन्न प्रकार के साहित्यों का चार रंगों में जो मुद्रण मांगा गया है। वह 28 इंच x 40 इंच के अलावा 18 इंच x 28 इंच व 19 इंच x 25 इंच की फोर कलर व टू कलर प्रिंटिंग मशीनों पर भी हो सकता है जो कि लखनऊ सहित प्रदेश के तमाम प्रिंटिंग प्रेस में लगी हैं।

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  • 3- सम्बंधित फर्म/कंपनी का प्रेस लखनऊ में स्थापित होना अनिवार्य लिखा गया है। आखिर ऐसी क्या मजबूरी है कि प्रेस लखनऊ में स्थापित होना जरुरी है? ऐसा जानबूझ कर नियम व शर्तों में डलवाया गया है ताकि लखनऊ के बाहर की कोई फर्म/कंपनी इसमें भाग न ले सके।

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  • 4 – यह जांच में पता चलेगा कि पिछले कई वर्षों से अधिकतम 3 से 5 निविदाएं ही इस प्रकार के काम में विभाग के पास आ रहीं थी। जिसके पीछे जानबूझ कर ऐसी नियम व शर्तों को उल्लेखित करवाने का गन्दा खेल खेला गया है और सरकार धन की सामूहिक लूटपाट सुन्योजित तरीके से की गयी है। कुछ चुनिन्दा प्रिंटिंग प्रेस द्वारा निविदाओं में भाग लेकर कार्य किया जा रहा था।

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सीएम से जांच करवाने का किया अनुरोध

  • गौरव माहेश्वरी ने सीएम को लिखे पत्र में अनुरोध किया है कि इस पूरे मामले की जांच करवाकर उपरोक्त निविदा को निरस्त करवाएं।
  • भविष्य में प्रकाशित होने वाली निविदाओं में इस प्रकार की शर्तें डालने से रोका जाए।
  • पूर्व में हुए कार्यों की भी जांच करवाई जाए ताकि दोषी संयुक्त कृषि निदेशक सहित अधिकारियों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई हो सके।
  • उन्होंने लिखा है कि किसी भी दशा में इस पत्र को प्राप्त होने के बाद अगर मुख्यमंत्री द्वारा कोई कार्रवाई नहीं करवाई गयी तो हमें प्रदर्शन एवं आन्दोलन करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा।

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