17 जुलाई से प्रस्तावित लोकसभा के मानसून सत्र के मद्देनजर आरक्षण बचाओ संघर्ष समिति, उ0प्र0 ने केन्द्र की मोदी सरकार (modi government) से यह सवाल किया है कि क्या इस बार सत्र में मोदी सरकार पदोन्नति में आरक्षण संवैधानिक संशोधन 117वां बिल ला रही है अथवा नहीं। जब भी संसद सत्र समाप्त होता है उस दौरान केन्द्र की मोदी सरकार लगातार पूरे देश के दलितों को भरमाने के लिये यह शगूफा फेकती है कि अगले सत्र में पदोन्नति बिल पास किया जायेगा। यह कृत्य पिछले लगभग 3 वर्षों से लगातार चला आ रहा है।

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30 संसदीय कमेटी की प्रबल संस्तुति

  • सवाल यह उठता है कि लोकसभा की 30 संसदीय कमेटी की प्रबल संस्तुति कि पदोन्नति बिल को अविलम्ब पास किया जाये।
  • केन्द्रीय मंत्रिमण्डल के कुछ सदस्यों द्वारा भी पदोन्नति बिल पास करने की वकालत की गयी है।
  • अब जब 5 दिन बाद लोकसभा का सत्र शुरू होने वाला है।

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  • तो केन्द्र की मोदी सरकार पूरे देश के दलितों के इस संवैधानिक सवाल का जवाब दें कि उसकी मंशा क्या है?
  • पदोन्नति बिल पास करेगी भाजपा सरकार अथवा नहीं।
  • इस बार संसद सत्र में यदि पदोन्नति बिल न लाया गया तो पूरे प्रदेश में 8 लाख आरक्षण समर्थक कार्मिक पुनः एकबार दलित सांसद चुप्पी तोड़ो, दलितों के संवैधानिक हक से नाता जोड़ो, का अभियान उनके संसदीय क्षेत्र में अनवरत् चलायेंगे।

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मोदी सरकार पूरे देश के दलितों को कर रही गुमराह

  • आरक्षण (modi governmentबचाओ संघर्ष समिति,उ0प्र0 के संयोजकों अवधेश कुमार वर्मा, के0बी0 राम, डा0 रामशब्द जैसवारा, आर0पी0 केन, अनिल कुमार, अजय कुमार, श्यामलाल, अन्जनी कुमार ने कहा कि केन्द्र की मोदी सरकार लगातार इस बात का प्रोपोगण्डा करती है कि भाजपा देश में सबसे ज्यादा दलितों की हितैषी है।

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  • लेकिन वहीं दूसरी ओर बाबा साहब द्वारा बनायी गयी संवैधानिक व्यवस्था में प्रदत्त अधिकारों के तहत देश के दलित समाज को प्राप्त पदोन्नतियों में आरक्षण के मुद्दे पर चुप रहती है।
  • जो यह सिद्ध करता है कि केन्द्र की मोदी सरकार पूरे देश के दलितों को गुमराह कर अपना कार्यकाल पूरा कर रही है, उसे पदोन्नति बिल से कोई लेना देना नहीं है।

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3 वर्षों में लोकसभा में पदोन्नति बिल

  • संघर्ष समिति के नेताओं ने कहा कि यह बड़े दुर्भाग्य की बात है कि (modi governmentपिछले 3 वर्षों में लोकसभा में पदोन्नति बिल कभी एजेण्डे में ही नहीं शामिल किया गया।
  • देश के 147 दलित सांसदों के लिये भी यह बहुत ही सोचनीय विषय है कि संसद में जिस समाज का वह प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।

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  • उसी समाज का संवैधानिक अधिकार उसी संसद में लम्बित हैं।
  • सके चलते पूरे देश में लाखों दलित कार्मिकों का उत्पीड़न हो रहा है।
  • अभी भी समय है कि सभी दलित सांसदों को एकजुट होकर इस संवैधानिक मुहिम में अपना योगदान देना चाहिए।
  • अन्यथा वह (modi government) दिन दूर नहीं जब आरक्षित सीट से जीतकर आने वाले दलित सांसदों को भी समाज सबक सिखायेगा।

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