निजी स्कूलों में मनमाने तरीके से अनेक मदों में फीस वसूल करने के विरोध में स्कूली बच्चों के अभिभावकों ने अपनी पांच सूत्रीय मांगों को लेकर हजरतगंज स्थित गांधी प्रतिमा पर प्रदर्शन किया। इस दौरान अभिभावकों ने मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी के नाम से सम्बोधित मांगपत्र जिला प्रशासन को सौंपा!

शिक्षा केंद्रों की जगह बने कमाई का जरिया

  • अभिभावक संघ लखनऊ के अध्यक्ष वालेन्द्र सिंह ने कहा कि देश में बहुत कम ऐसे माता पिता कौन होंगे कि जिन्हें अपने बच्चे की स्कूल फीस को लेकर चिंता न होती हो।
  • दूसरी तरफ निरंकुश निजी स्कूल हैं कि हर साल बढ़ती क्लास के साथ 50 से 60 फीसदी फीस की बढ़ोत्तरी कर देते है।
  • इतना ही नहीं साल भर किसी ना किसी नाम पर यह स्कूल माता-पिता की जेब काटते ही रहते हैं।
  • आखिर क्यों स्कूल अब शिक्षा केंद्रों की जगह किसी दुकान या उद्योग धंधे का रूप लेते जा रहे हैं।

ज्यादा फीस अभिभावकों की बनी मुसीबत

  • प्रदर्शनकारियों का कहना है कि निजी स्कूलों की ज्यादा फीस अभिभावकों की मुसीबत बन रही है।
  • इन निरंकुश निजी स्कूलों द्वारा मनमाने तरीकों से अंधाधुंध फीस वसूली जा रही है।
  • डोनेशन के नाम पर तो कभी दोहरे रंग की यूनीफार्म व कभी दोहरे रंग को जूतों के नाम पर और स्कूल इवेंट के नाम पर बार-बार वसूली की जाती है।
  • इन स्कूलों ने किताबों के लिये निजी प्रकाशन और दुकानें तय कर रखी हैं।
  • जिनमें 50 से 60 प्रतिशत तक स्कूल मालिकों को मिलता है।
  • लेकिन अभिभावकों की इतनी जेब काटने के बावजूद उनके बच्चों को सुविधाओं के नाम पर कुछ भी हासिल नहीं होता।

यह हैं अभिभावकों की मांगें

  • 1. गुजरात सरकार की तर्ज पर निजी स्कूलों की मनमानी पर रोक लगाते हुए फीस की सीमा तय की जायें।
  • 2. स्कूलों में एनसीआरटी की किताबों को अनिवार्य रूप से लागू कर निजी प्रकाशनों की किताबों की प्रतिबंधित किया जायें।
  • 2. अधिक फीस वसूलने वाले स्कलों की मान्यता रद्द की जाये और ऐसे स्कूल प्रबन्धकों के खिलाफ सजा का प्रावधान किया जाये।
  • 4. सभी विद्यालयों में भवनो की फ्लोर मंजिल निधारित की जाये और प्रत्येक मंजिल पर बच्चों के लिये टॉयलेट एवं स्वच्छ पीने के पानी की व्यवस्था की जायें।
  • 5. स्कूल के अन्दर व स्कूल की छुट्टी के समय अराजक तत्व एवं शोहदे इक्ट्ठा होते हैं। स्कूल छात्राओं और महिला शिक्षकों को परेशान करते हैं। इसकी जिम्मेदारी स्कूल प्रबंधन की हो कि वो सुरक्षा के विषय में सम्बन्धित पुलिस चौकी और थाने से लिखित शिकायत करे।

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