लखनऊ में बीते 23 मार्च को एक महिला को चलती ट्रेन में कथित रूप से तेज़ाब पिलाने की घटना सामने आई थी। महिला को केजीएमयू के ट्रॉमा सेंटर में भर्ती करवाया गया था। जानकारी पर सीएम योगी आदित्यनाथ और कैबिनेट मंत्री रीता बहुगुणा जोशी ने ट्रॉमा सेंटर पहुंच हर संभव मदद का आश्वासन दिया था। इसके अतिरिक्त सीएम योगी ने एक लाख रूपये की आर्थिक मदद भी की थी. पीड़िता की निशानदेही पर पुलिस ने दो आरोपित भाइयों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था. लेकिन अब इस मामले में पुलिस की जाँच के बाद नया मोड़ आया है जो एसिड अटैक की बात पर प्रश्न चिन्ह लगाता दिखाई दे रहा है.

एंडोस्कोपी डायग्नोसिस में इंटरनल इंजरी नहीं:

केजीएमयू सूत्रों के मुताबिक पीड़ित महिला की एंडोस्कोपी डायग्नोसिस के बाद किसी प्रकार की इंटरनल इंजरी नहीं सामने आई थी. जबकि विशेषज्ञों की मानें तो, एसिड पीने या पिलाए जाने पर गले में अन्दर तक इंजरी पायी जाती है.

पीड़िता के मोबाइल लोकेशन ने मामले पर लगाया प्रश्न चिन्ह:

पीड़िता के अनुसार, उसपर एसिड अटैक तब हुआ था जब वो गंगा गोमती एक्सप्रेस से रायबरेली से लखनऊ आ रही थी.

जबकि पुलिस जाँच के दौरान, पीड़िता का मोबाइल लोकेशन लखनऊ-रायबरेली हाईवे पर पाया गया. पुलिस रिपोर्ट के अनुसार, पीड़िता का मोबाइल लोकेशन सुबह 10: 22 बजे पर लखनऊ-रायबरेली हाईवे पर था. 11:40 बजे पीड़िता का लोकेशन NER एक्सचेंज चार बाग रेलवे स्टेशन लखनऊ था. इसके अतिरिक्त पीड़िता के पति का मोबाइल लोकेशन 11:38 बजे रायबरेली में सुलतानपुर रोड स्थित इंडस्ट्रियल एरिया था. ये लोकेशन पीड़िता के बताये गए लोकेशन से अलग है और इस आधार पर पीड़िता के रेल से लखनऊ आने की बात सही होती नहीं दिखाई दे रही है.

दो आरोपियों को पुलिस ने किया था गिरफ्तार:

वहीँ पूरे मामले में पीड़िता ने आरोप लगाया था कि आरोपी गुड्डू और भोंदू सिंह मोहनलाल गंज स्टेशन से चढ़े और उसकी सीट पर आकर बैठ गए और वहीँ पर जबरन उसे एसिड पिला दिया. 24 घंटे के अन्दर पुलिस ने दोनों आरोपियों को हिरासत में ले लिया था. बता दें कि गुड्डू सिंह को उसके ससुराल से गिरफ्तार किया था.

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