कहते हैं की आँखे दिल का आईना होती है. यदि किसी की भी आँखों में गहराई से देखा जाये तो वो उस व्यक्ति का पूरा हाल बयां कर देती हैं.कुछ ऐसे ही हालात उस वक़्त दिखे जब बिना कपड़ों के एक दिव्यांग व्यक्ति जिसका एक पैर नहीं था. सड़क पर अपने हाथों के बल खुद हो खीचते हुए इंसान रुपी किसी ऐसे देवता कि राह देख रहा था जो की उसके तन को ढकने के लिए कपड़े दे दें.लेकिन उस पर तरस खाने के बजाये लोग उसे घ्रणा की नज़रों से देख रहे थे. और लोहिया हॉस्पिटल के पास  मुस्तैद पुलिस भी मुख्यमंत्री के आने वाले काफिला के चलते उसे हटाने में लगी थी.

तन पर नहीं था एक भी कपड़ा

divyang near lohia hospital

  • इसे हमारे देश की विडंबन ही कहेंगे कि देश भले ही लगातार तरक्की कर रहा है.
  • लेकिन अभी भी हमारे देश में तमाम ऐसे लोग हैं जो की किसी के दर्द को अपना नहीं समझते.
  • मंगलवार को भी राजधानी के लोहिया अस्पताल के पास ऐसा ही उदहारण देखने को मिला.
  • जहाँ बिना कपड़ों के एक व्यक्ति घंटों से सड़क पर पड़ा था लेकिन कोई भी उसकी मदद को नहीं आ रहा था.
  • उस अजनबी व्यक्ति की ज़ुबान कुछ बोलना चाह रही थी मगर अफ़सोस की उसके बोलने के तरीके को कोई समझ नहीं पा रहा था.
  • तस्वीरें लोहिया हॉस्पिटल के पास बने पिकअप भवन वाली रोड की है जहाँ से कुछ देर में मुख्यमंत्री का काफिला निकलने वाला था.
  • ये ज़मीन पर चलने की बजाये अपने हांथों के बल से खुद को खींच रहा था .

divyang near lohia hospital

  • तन पर एक कपडा तक नहीं था जिसके उसे सब बस ऐसी निगाहों से देख रहे मनो कहीं वो कुछ कर न दे उनके साथ.

पुलिस ने भी नहीं कि मदद

  • लोहिया अस्पताल के पास मौके पर मुख्यमंत्री के काफिले के स्वागत में पुलिस भी मुस्तैद थी.
  • लेकिन उस व्यक्ति की मदद करने के बजाये पुलिस वाले बोले की ‘इसे हटाओ वरना कहीं मुख्यमंत्री के काफ़िले के सामने ना कूद जाये’.

divyang near lohia hospital

  • उसकी मदद करने कि जगह उसे लोहिया हॉस्पिटल से पुलिस वालों ने हांकना शुरू किया.
  • वो रगड़ता हुआ भीगता हुआ बिना कपड़ों के पिकअप भवन के पास तक आया .
  • तभी लोहिया हॉस्पिटल के एडमिनिस्ट्रेटिव डिपार्टमेंट में काम करने वाले आदिल किदवई की नज़र उस इंसान पर पड़ी .
  • जिसके तन पर एक कपडा तक नहीं था, जो बस यहाँ वहां देख रहा था .
  • और राह चलते लोग उसे देख भर रहे थे.किसी के पास समय नहीं था उसके लिए.
  • किसी एक व्यक्ति ने भी वहां रुकने की ज़हमत तक नहीं उठायी.
  • आदिल ने अपने एक साथी के साथ मिलकर उसे कुछ खाने को दिया .
  • लेकिन उसने खाने के सामान को नहीं लिया और आदिल को पथराई नज़रों से एक इशारा किया .
  • अगर कुछ कपडा मिले नीचे का तन ढकने को तो दे दो .
  • आदिल ने अपने दोस्त को कुछ कपडे लाने के लिए भेजा.
  • उसके बाद आदिल का दोस्त उसके लिए खाने का सामान और कपडे लेकर आया.
  • फिर उसे रोड पर कपडे पहनाये और कपडे पहनते ही उस इंसान के चेहरे पर रौनक आ गयी .

divyang near lohia hospital

  • वो खड़े होकर जूडो कराटे के स्टेप एक पैर पर  ही अचानक खड़े होकर करने लगा .
  • फिर आदिल ने अपने हांथो से उसे  खाना खिलाया रोड के किनारे बिठाया .
  • तभी सिपाही महोदय ने आवाज़ लगायी की मुख्यमंत्री का काफिला आने वाला है .

divyang near lohia hospital

  • इसे ओवरब्रिज के नीचे बिठा दो तो उन लोगों ने उसे रिक्शे पर बिठा के छायादार जगह पर पहुंचाया.

आदिल के इस जज्बे को सलाम

  • दुनिया में हर इंसान गरीबों कि गरीबों को दूर करने की बातें करता है .
  • सरकारें भी मजबूरों का सहारा बनने की बड़ी बातें करती है लेकिन ऐसा होता नहीं है .

divyang near lohia hospital

  • ऐसी मदद शायद ही कोई करे जैसी आदिल ने की.इसके लिए आदिल को कोई पुरस्कार भले ही ना मिले.
  • मगर जिसने भी ये नज़ारा देखा हर कोई और ख़ास कर उस दिव्यांग ने आदिल को दिल से दुआ दी.
  • क्योंकी किसी भी व्यस्त ज़िन्दगी वाले इंसान के पास इतना समय नहीं की वो अपने बीजी ज़िन्दगी से एक पल भी किसी को दे पाए .

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  • आदिल और उसके दोस्त के इस काम के लिए सलाम, जिन्होंने जात बिरादरी छुआ छूत से उठकर एक इंसान की मदद करना ज़रूरी समझा.

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