यूपी के सरकारी दफ्तरों में भ्रष्टाचार सिर चढ़कर बोल रहा है। जन्म प्रमाण पत्र बनवाना है तो पैसा, मृत्यु प्रमाण पत्र चाहिए तो पैसा। आरटीओ से लाइसेंस चाहिए तो पैसा। हर कदम पर खर्च करना पड़ता पैसा। घूस नहीं तो एक काउंटर से दूसरे काउंटर के चक्कर लगाते रहिए। कमोबेश यही हाल लखनऊ विकास प्राधिकरण (LDA) का भी है। उत्तर प्रदेश में नई सरकार आते ही पिछली सरकार का ड्रीम प्रोजेक्ट जेपी कन्वेंशन सेंटर के निर्माण की किश्त पर शासन ने रोक लगा दी है।

अधिकारियों ने प्रोजेक्ट की लागत बढ़ाई

लखनऊ विकास प्राधिकरण के अधिकारियों ने 200 करोड़ रुपये के इस प्रॉजेक्ट को धीरे-धीरे बढ़ाकर 800 करोड़ रुपये तक पहुंचा दिया। आरोप है कि आर्किटेक्ट ने बिल्डिंग का फाइनल आर्किटेक्चर प्रॉजेक्ट शुरू होने से पहले बनाया ही नहीं था। एलडीए अधिकारियों के इशारे पर आर्किटेक्ट ने कई बार डिजाइन में बदलाव किया, जिसके लिए हर बार बजट बढ़ाया जाता रहा।

ऑडिट सेल ने दर्ज कराई थी आपत्ति

प्रॉजेक्ट की लागत में चार गुना तक हुए इजाफे पर ऑडिट सेल ने भी आपत्ति दर्ज कराई थी। इसके साथ ही प्रॉजेक्ट के कागज मांगे, लेकिन एलडीए अधिकारियों ने उन्हें इससे जुड़े दस्तावेज ही नहीं सौंपे। जिसके बाद मामले की शिकायत शासन में हो गई।

विभाग ने रोका बजट

प्रदेश में बीजेपी की नई सरकार बनते ही अधिकारी भी एक्शन मोड में आ गए है। बताया जा रहा है कि मार्च में इस प्रॉजेक्ट की अगली किश्त जारी होनी थी, लेकिन शिकायतों को देखते हुए आवास विभाग के अधिकारियों ने प्रोजेक्ट का बजट रोक दिया है। वहीं, दूसरी ओर इस पूरे मामले में एलडीए के आला अधिकारियों की भूमिका पर भी सवाल  उठ रहे हैं।

ऐसे बढ़ाया प्रॉजेक्ट

सूत्रों की माने तो जेपी कन्वेंशन सेंटर प्रोजेक्ट पहले 200 करोड़ का था। बाद में इसमें म्यूजियम, स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स, होटल, हर फ्लोर पर स्वीमिंग पूल और अमिताभ बच्चन की आवाज में थीम फ्लोर बनाया गया। निर्माण का बहाना बना एलडीए अधिकारियों ने प्रॉजेक्ट की लागत बढ़ाकर जनता के पैसे को पानी की तरह बहाया।

टेंडर पर उठे सवाल

आरोप है कि जेपी कंवेशन सेंटर में निर्माण से जुड़े करोड़ों रुपये के टेंडर को ऑनलाइन नहीं किया गया, जबकि 25 लाख रुपये से ज्यादा का काम बिना ऑनलाइन टेंडर नहीं जारी हो सकता। यही नहीं प्रॉजेक्ट में बाद में जोड़े गए कामों के लिए भी किसी बाहरी एजेंसी को शामिल नहीं होने दिया गया।

वहीं, इस पूरे मामले पर प्रमुख सचिव आवास सदाकांत का कहना है कि जेपी कन्वेंशन सेंटर के ठेकों में मनमाने खर्च की शिकायतें थीं। इसके बाद बजट रोक लिया गया है। यह छोटा प्रॉजेक्ट था लेकिन इसे बड़ा बना दिया गया।

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