उत्तर प्रदेश के कुशीनगर जिला में में भारतीय वायुसेना का लड़ाकू विमान जैगुआर क्रैश हो गया। विमान इंजन में तकनीकी खराबी के चलते हेतिमपुर गांव के खेत में क्रैश हो गया। विमान ने सोमवार सुबह गोरखपुर के हवाई अड्डे से उड़ान भरी थी और इसमें दो पुरुष पायलट सवार थे। विमान में खराबी आते ही पायलट ने विमान का पैराशूट खोल दिया। पैराशूट के जरिए पायलटों ने अपनी जान बचा ली। हादसे के कारण विमान जमीन में धंस गया और आग लग गई। विमान से काले धुएं का गुबार आसमान में छा गया। मौके पर सैंकड़ों किसान जमा हो गए। पायलट ने पुलिस को सूचना दी। इसके बाद सेना का एक हेलीकॉप्टर और अधिकारी राहत एवं बचाव कार्य में जुटे हुए थे। घंटो की मशक्कत के बाद अधिकारियों ने आग पर काबू पा लिया। हालांकि हादसे की वजह अधिकारी तलाशने में जुटे हुए हैं।

भारतीय वायुसेना ने बयान के माध्यम से बताया कि आज सुबह, गोरखपुर से एक नियमित मिशन पर एक जगुआर विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया। पायलट को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया। दुर्घटना की जांच के लिए कोर्ट ऑफ इंक्वायरी का आदेश दिया गया है।

[penci_blockquote style=”style-1″ align=”none” author=””]इससे पहले बागपत में क्रैश हुआ था वायुसेना का विमान [/penci_blockquote]
इससे पहले 5 अक्टूबर 2018 को उत्तर प्रदेश के बागपत में भारतीय वायुसेना का डोर्नियर विमान अभ्यास के दौरान इंजन में खराबी के चलते रंछाड़ गांव के जंगल में क्रैश हो गया था। डोर्नियर विमान ने शुक्रवार सुबह 9:00 बजे गाजियाबाद के हिंडन एयरबेस से उड़ान भरी थी और इसमें एक महिला और एक पुरुष पायलट सवार थे। बता दें कि डोर्नियर विमान में खराबी आते ही महिला पायलट श्वेता ने डोर्नियर का पैराशूट खोल दिया था। पैराशूट के जरिए डोर्नियर को खेत में उतारा जा रहा था, लेकिन सामने पेड़ आ जाने के कारण सामने वाला हिस्सा जमीन में धंस गया था। मौके पर सैंकड़ों किसान जमा हो गए थे।

[penci_blockquote style=”style-1″ align=”none” author=””]लड़ाकू विमान जगुआर की खासियत [/penci_blockquote]
एसईपीईसीएटी (SEPECAT) जगुआर एक सुपरसोनिक कम ऊंचाई पर उड़ने वाला लड़ाकू विमान है। इसके उत्पादन के लिए ब्रिटेन और फ्रांस ने साझेदारी की थी। इस विमान को उतनी सफलता नहीं मिली जितनी इससे उम्मीद लगाई गई थी और विदेशी बाजार पर इसकी बिक्री भी सीमित रही। मेजबान देशों में भारत जगुआर का सबसे बड़ा समर्थक रहा, लेकिन इस विमान को किसी आधुनिक पीढ़ी के विमान से बदलने की योजना बना रखी है। इस विमान की सीमित पहुंच के बावजूद, जगुआर का इस्तेमाल 1990 के दशक के दौरान कई युद्धों में किया गया। कुछ देश अभी भी इस विमान का इस्तेमाल कर रहे हैं। कुल मिलाकर एसईपीईसीएटी, बीएई और भारत के एचएएल ने 543 जगुआर विमानों का निर्माण किया।

➡1962 में ब्रिटिश रॉयल वायुसेना और फ्रांसीसी वायु सेना ने खुद के लिए एक नई सक्षम विमान प्रणाली की जरुरत महसूस की। ➡1965 में दोनों देशों ने औपचारिक रूप से एक समझौता किया और 1966 में ब्रिटिश विमान निगम (वार्टन डिवीजन) और ब्रेगेट ने दोनों पक्षों का प्रतिनिधित्व किया। इस साझेदारी को “एसईपीईसीएटी” का नाम दिया गया – “यूरोपियन प्रॉडक्शन कंपनी फॉर द कॉम्बैट एंड टैक्टिकल सपोर्ट एयरक्राफ्ट।” डिजाइन तैयार करने की कोशिशों में ब्रेगेट ने बढ़त हासिल की और इसे जताने के लिए, बीएसी ने अपनी कंपनी का पंजीकरण फ्रांस में किया। इस संयुक्त प्रयास से ऐसा पहली बार हुआ कि दो प्रमुख यूरोपीय देशों ने संयुक्त रूप से एक लड़ाकू विमान के निर्माण और उत्पादन की कोशिश की।

[penci_blockquote style=”style-1″ align=”none” author=””]जगुआर की खासियत[/penci_blockquote]
➡जगुआर के डिजाइन की खासियत यह है कि इसके हाई-विंग लोडिंग डिजाइन की वजह से कम-ऊंचाई पर एक स्थिर उड़ान और जंगी हथियारों को ले जाने में सहूलियत होती है। विमान के कंधों पर स्थित पंखों से इसे शानदार ग्राउंड क्लीयरेंस मिलता है और जमीन पर हमला करने की विमान की खासियत के मुताबिक है।
➡जगुआर जीआर 1 ए का निर्माण 1973 में फ्रांस में किया गया। यह अभी भी इस्तेमाल में लाया जाता है लेकिन इसकी सेवाएं सीमित हैं। यह एक लड़ाकू विमान है। इसका निर्माण फ्रांस, बिट्रेन में बीईए और भारत में एचएएल करता है।

➡यह जगुआर एक सीट वाला विमान है।
➡विमान 55.22 फीट लंबा और 28.51 फीट चौड़ा और 16.04 फीट ऊंचा है।
➡वजन – एक खाली जगुआर विमान का वजन 7700 किलोग्राम है।
➡स्पीड – विमान 1700 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से उड़ सकता है।
➡हथियार क्षमता – 30 एमएम के दो एडीईएन या डीईएफए गोले।

इसके अतिरिक्त साढ़े चार हजार किलोग्राम वजन तक के हवा से हवा में हमला करने वाले और हवा से जमीन पर हमला करने वाले रॉकेट समेत कई तरह के हथियार इसमें लोड हो सकते
हैं।

संचालन करने वाले देश – इक्वाडर, फ्रांस, भारत, नाइजीरिया, ओमान, ब्रिटेन

[penci_blockquote style=”style-1″ align=”none” author=””]ब्रेगेट बीआर.121 – फ्रेंच मॉडल की डिजाइन[/penci_blockquote]
➡जगुआर ए – एक सीट वाला, फ्रांसीसी उपयोग के लिए जमीन पर हमला करने वाला लड़ाकू विमान जिसका हर मौसम में इस्तेमाल किया जा सकता है
➡ जगुआर बी – दो सीट वाला ट्रेनर विमान
➡जगुआर ई – दो सीट वाला ट्रेनर विमान
➡जगुआर एस – सिंगल सीट, हर मौसम में जमीन पर हमले वाला लड़ाकू विमान
➡जगुआर जीआर.एमके 1 – रॉयल एयर फोर्स (आरएएफ) जगुआर एस
➡जगुआर जीआर.एमके 1 ए – अपग्रेड जीआर.एमके 1 मॉडल
➡जगुआर जीआर.एमके 1 बी – टीआईएएलडी-सक्षम अपग्रेड जीआर.एमके 1 मॉडल
➡जगुआर जीआर.एमके 3 – जीआर.एमके 1 ए और जीआर.एमके 1 बी मॉडल जगुआर 96 एवियनिक्स सिस्टम में अपग्रेड किए गए
➡जगुआर जीआर.एमके 3 ए – जीआर.एमके 3 मॉडल जगुआर 97 एवियनिक्स सिस्टम में अपग्रेड किया गया।
➡ जगुआर टी.एमके 2 – आरएएफ दो सीट वाला, ट्रेनर जगुआर बी पर आधारित
➡जगुआर टी.एमके 2 ए – टी.एमके 2 ट्रेनर विमान, जीआर.एमके 1ए मानक में अपग्रेड किया गया
➡जगुआर टी.एमके 2 बी – टीआईएलडी क्षमता के साथ अपग्रेडेड टी.एमके 2 ए मॉडल
➡जगुआर टी.एमके 4 – टी.एमके 2 ए ट्रेनर मॉडल जगुआर 96 मानक में अपग्रेड किए गए
➡जगुआर एम – प्रस्तावित सिंगल सीट नेवी लड़ाकू विमान; मूल्यांकन के लिए एक प्रोटोटाइप तैयार किया गया, जिसका कभी उत्पादन नहीं हुआ
➡जगुआर एसीटी – “सक्रिय नियंत्रण प्रौद्योगिकी” अनुसंधान के लिए प्लेटफॉर्म बदलाव
➡ जगुआर “इंटरनेशनल” – जगुआर बी और जगुआर एस मॉडल का निर्यात संस्करण
➡ जगुआर ईएस – इक्वाडोर के लिए निर्यात किया गया जगुआर एस मॉडल
➡जगुआर ईबी – इक्वाडोर के लिए निर्यात किया गया जगुआर बी मॉडल
➡ जगुआर ओएस – ओमान के लिए निर्यात किया गया जगुआर एस मॉडल
➡ जगुआर ओबी – ओमान के लिए निर्यात किया गया जगुआर बी मॉडल
➡जगुआर आईएस – भारत के लिए निर्यात किया गया और भारत में स्थानीय रूप से निर्माण किया गया जगुआर, जिसका उत्पादन बीएई और एचएएल ने किया। यह हर मौसम में जमीन पर हमला करने और रणनीतिक तौर पर भारत के लिए मुफीद है
➡जगुआर आईटी – भारत के लिए निर्यात किया गया और स्थानीय रूप से उत्पादित जगुआर दो सीट ट्रेनर मॉडल (बीएई और एचएएल द्वारा उत्पादन)
➡ जगुआर आईएम – भारतीय वायु सेना के लिए अंतरराष्ट्रीय एंटी-शिपिंग मॉडल
➡ जगुआर एसएन – नाइजीरिया के लिए निर्यात किया गया जगुआर एस मॉडल
➡जगुआर बीएन – नाइजीरिया के लिए निर्यात किया गया जगुआर बी मॉडल

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