उत्तर प्रदेश की समाजवादी पार्टी में पिछले कुछ दिनों से जारी नाटकीय उठापटक फ़िलहाल समाप्त हो चुकी है। सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव फिर एक बार अपने कुनबे को थामने में सफल होते दिखाई दे रहे हैं। हालाँकि, इस पारिवारिक मतभेद में सपा प्रमुख अपने भाई के साथ नजर आये, लेकिन उनके लिए पार्टी के चारों ही स्तम्भ अखिलेश-शिवपाल-रामगोपाल-अमर सिंह बेहद जरुरी हैं।

अखिलेश यादव:

अखिलेश यादव सपा प्रमुख के बड़े बेटे हैं, सपा प्रमुख उन्हें ही अपनी राजनीतिक विरासत सौंपेंगे। जिसका उदाहरण वो 2012 में अखिलेश यादव को मुख्यमंत्री बना कर पेश कर चुके हैं। सपा प्रमुख अपनी राजनीतिक समझ अखिलेश यादव में विकसित करना चाहते हैं।

शिवपाल सिंह यादव:

शिवपाल सिंह यादव सपा प्रमुख के छोटे भाई हैं, जिस कारण शिवपाल से सपा प्रमुख का लगाव किसी से छुपा नहीं है। इसके अलावा 6 दिन तक चले इस पारिवारिक घमासान में सपा प्रमुख अपने भाई के साथ ही खड़े नजर आये। गौरतलब बात है कि, साल 1980 में जसवंत नगर में बूथ कैप्चरिंग के दौरान सपा प्रमुख पर जानलेवा हमला हुआ था, जिससे शिवपाल सिंह ने उनकी जान बचायी थी। इतना ही नहीं पार्टी संगठन को खड़ा करने में शिवपाल की भूमिका काफी महत्वपूर्ण रही है। शिवपाल सिंह यादव को पार्टी में अपने तरीके से लोगों को जोड़ना आता है।

रामगोपाल यादव:

रामगोपाल यादव सपा प्रमुख के चचेरे भाई हैं, लेकिन वो भी सपा और मुलायम सिंह यादव के लिए काफी महत्वपूर्ण हैं। जब सपा प्रमुख ने पार्टी बनायी तो पढ़ने-लिखने का काम प्रो० रामगोपाल यादव ने ही किया था। इसके अलावा राष्ट्रीय स्तर पर पार्टी को पहचान दिलाने का श्रेय भी रामगोपाल को ही जाता है। वहीँ मुश्किल में समय में सभी को इकठ्ठा करा सुलह का काम भी अक्सर रामगोपाल ही करते हैं।

अमर सिंह:

सपा प्रमुख और अमर सिंह की दोस्ती की गहराई सभी जानते हैं, इसके अलावा अमर सिंह ने बड़े-बड़े उद्योगपतियों को पार्टी से जोड़ने का काम किया है। साथ ही अमर सिंह ने पार्टी की फंडिंग के लिए बहुत काम किये हैं। वहीँ अमर सिंह ने पार्टी की कई पॉलिटिकल डील्स और कोर्ट केस को लेकर डील करवाई है।

UTTAR PRADESH NEWS की अन्य न्यूज पढऩे के लिए Facebook और Twitter पर फॉलो करें