2019 के लोकसभा चुनावों के बीच समाजवादी पार्टी को बड़ा झटका लगा है। सपा से अलग होकर पूर्व मंत्री और कद्दावर नेता शिवपाल सिंह यादव ने अपना समाजवादी सेक्युलर मोर्चा बना लिया है। इसके अलावा उन्होंने अपने इस सेक्युलर मोर्चे के जरिये यूपी की सभी 80 सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है। शिवपाल यादव सपा में जमीनी नेता के तौर पर पहचाने जाते हैं। यही कारण है कि अखिलेश यादव ने शिवपाल के इस समाजवादी सेक्युलर मोर्चे नाने से उन पर भी काफी गहरा असर पड़ा है।

संगठन को मजबूत कर रहे अखिलेश यादव :

पूर्व मंत्री शिवपाल सिंह यादव के समाजवादी सेक्युलर मोर्चा बनाने के बाद अब अखिलेश यादव भी एक्टिव मोड में आ गए हैं। वे समाजवादी पार्टी के संगठनात्मक ढांचे को चुस्त-दुरुस्त करने लगे हुए हैं। इसी क्रम में वे पार्टी के वरिष्ठ नेताओं और संगठन के पदाधिकारियों से मीटिंग भी कर रहे है। सपा प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने कहा कि अखिलेश यादव पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से लगातार बैठक कर रहे हैं। प्रदेश और राष्ट्रीय स्तर पर वरिष्ठ नेताओं के साथ उनकी कई बैठकें भी हो चुकी हैं। इतना ही नहीं उन्होंने विश्वविद्यालय छात्र जागरूकता अभियान की शुरुआत की है और अखिलेश यादव यूथ ब्रिगेड के साथ बैठक कर चुके है।

[penci_blockquote style=”style-1″ align=”none” author=””]सपा से अलग शिवपाल यादव ने समाजवादी सेक्युलर मोर्चा बनाया है[/penci_blockquote]

शिवपाल को मानते हैं पुराने सपाई :

लंबे समय तक उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के संगठनात्मक ढांचे को शिवपाल सिंह यादव ने मजबूती प्रदान करने में अहम भूमिका निभाई है। माना जाता है कि आज भी संगठन में पुराने सपाई मुलायम और शिवपाल की काफी इज्जत करते हैं। अब शिवपाल ने सपा के उपेक्षित और हाशिए पर ढकेले गए नेताओं को अपने मोर्चे से जोड़ने का ऐलान कर दिया है तो अखिलेश के सामने चुनौती भी खड़ी हो गई है।

सूत्रों के अनुसार, शिवपाल के सेक्युलर मोर्चे के साथ कुछ सीनियर नेता जुड़ सकते हैं। इसकी शुरुआत उस दिन हो गई जब पार्टी के संस्थापक सदस्यों में शामिल रहे डुमरियागंज के पूर्व विधायक मलिक कमाल यूसुफ बसपा छोड़ शिवपाल यादव के साथ आ गए।

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