मुख्यमंत्री अखिलेश यादव द्वारा बुंदेलखंड वासियों को समाजवादी मुख्यमंत्री राहत किट के नाम पर भले ही अपनी पवित्र मंशा जाहिर की हो लेकिन डिब्बे का रंग और स्थानीय जनपद में इसके आड़ में किये जा रहे सीडीओ और बीडीओ की कालाबाजारी ने हद ही पार कर दी है।

  • बाँदा में नरैनी विकासखंड के गांवों में ग्राम प्रधान और कोटेदार बेबस होकर इन सामानों को खरीदने को मजबूर हो रहे है।

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  • जिस तरह पानी के टैंकर का सियासी उपयोग हुआ जो समाजवादी विधानसभा प्रत्याशी है उसके ही हाथों हरी झंडी दिखला कर मनचाहे गाँव में टैंकर भेजा जा रहा है, उसी तरह बुंदेलखंड को दी गयी राहत सामग्री का भी उपयोग हो रहा है।
  • ग्राम पंचायत रेहुंची और पंचमपुर के लिए 30 अप्रैल को ब्लाक से सड़े आलू की बोरी को भिजवाया गया है।

1290 रूपये में यह राहत किट फुटकर में ही मिल रही है।

  • जिसको ठेकेदार के द्वारा 1900 रूपये में क्रय किया गया है।
  • जबकि यह राहत किट बड़े पैमाने में क्रय की गई है। उस हिसाब से इसका मूल्य और भी कम होगा।
  • इस राहत किट में 10 किलो आटा, 5किलो चने की दाल, 5 लीटर सरसों का तेल,एक किलो घी, एक किलो मिल्क पाउडर, 25 किलो आलू भरा है।

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इस किट को बाँदा के गाँव में ‘ समाजवादी वोट किट ‘ में रंग दिया गया है।

  • किसान को मुफ्तखोरी और काम न करों हम सब है न की तर्ज पर इस तरह राशन देना क्या न्यायोचित है।
  • चुनाव के आते ही साड़ी,राशन बांटा जाना ही इस इलाके प्रदेश की सूरत नही बदलने दे रहा है।
  • किसानों को हौसलामंद बनाये न कि नकारा आदमी।
  • बाकि आपके सरकारी कर्मचारी और अधिकारी इसके रास्ते क्या क्या गुल खिला रहे हैं उसका अनुश्रवण भी मुख्यमंत्री करते तो और बेहतर होता।

-आभार आशीष सागर दीक्षित

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