उत्तर प्रदेश के पुलिस महकमे में रिश्वतखोरी कम होने का नाम नहीं ले रही है। रिश्वतखोरी पर सीनियर अफसरों की तरफ से लगातार सख्ती के बाद भी घूस लेनेवाले पुलिसकर्मी घूस लेने का कोई न कोई नया रास्ता निकाल ही लेते हैं। ऐसा ही एक मामला उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले से सामने आया है। जहां पुलिस के तीन सिपाही एक शख्स को मोबाइल चोरी के फर्जी मामले में फंसाकर उससे रिश्वत वसूल रहे थे।

क्या है पूरा मामला:

मामला बाराबंकी में नगर कोतवाली क्षेत्र की बड़ेल चौकी का है। जहां तैनात सुभाषचंद्र, प्रवीण कुमार, जवाहर लाल यादव नाम के तीन सिपाही शशिकांत नाम के एक शख्स से 32 हजार रूपए की रिश्वत लेने के आरोप में धरे गए हैं। शशिकांत पीएचसी बरौली में होम्योपैथी फर्मेसिस्ट के पद पर काम करता है। मामले की सूचना पर बाराबंकी के पुलिस अधीक्षक वीपी श्रीवास्तव ने जांच के निर्देश दिए। एसपी के निर्देश पर कार्रवाई करते हुए अपर पुलिस अधीक्षक दिगंबर कुशवाहा ने तीनों सिपाहियों को रंगे हाथों पकड़ा और सिपाहियों के पास से रिश्वत के 11 हजार पाँच सौ रूपए भी बरामद कर लिए।

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पैसे लेने के लिए फ़र्ज़ी केस में फंसाने का आरोप:

दरअसल पूरी कहानी एक बैंक से शुरू होती है। शशिकांत एक बैंक में अपनी सैलरी का पैसा निकालने गया था। जहां उसे किसी दूसरे शख्स का छूटा हुआ मोबाइल मिल गया। शशिकांत के मुताबिक उसने वह मोबाइल उठाकर उस शख्स को वापस दे दिया। जब ये पूरा मामला इन सिपाहियों तक पहुंचा तो ये तीनों शशिकांत को मोबाइल चोरी के आरोप में फंसाकर जेल भेजने की धमकी देने लगे। सिपाहियों ने उससे कहा कि तुम्हारी हरकत बैंक में लगे सीसीटीवी में कैद हो गई है। सीसीटीवी फुटेज में साफ दिख रहा है कि तुमने मोबाइल चोरी किया।

32 हज़ार में तय हुआ सौदा:

सिपाहियों ने उसे इस आरोप से बचाने के एवज में उससे 35 हजार रूपए रिश्वत की मांग की। शशिकांत के मुताबिक जेल जाने के डर से वह पैसे देने के लिए तैयार हो गया और सौदा 32 हजार रूपए में तय हुआ।
इस काम में एक वकील भी इन तीनों सिपाहियों का साथ दे रहा है।

क्या बोले ज़िम्मेदार:

वहीं इस पूरे मामले में बाराबंकी के पुलिस अधीक्षक वी पी श्रीवास्तव ने बताया कि दोषी पुलिसकर्मियो को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है।
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