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मरीजों के लिए लिए नहीं सामान ढोने के लिए है एम्बुलेंस 108 सेवा- वीडियो

भले ही एम्बुलेंस सेवा 108 पर कॉल करने के बाद भी ये घायल और असहाय मरीजों के लिए ना उपलब्ध हो, लेकर ये सामान ढोने के लिए अवश्य हर समय तत्पर रहती है। अरे ये बात सुनकर आप चौंक गए क्या? कोई बात नहीं चौंकिए मत ये बात सही है। ये हम नहीं बल्कि मथुरा जिला की ये तस्वीरें देखकर आप खुद यही कहेंगे। दरअसल यहां 108 एम्बुलेंस सेवा की गंदी तस्वीर कैमरे में कैद हो गई। यहां एम्बुलेंस (UP 41/G 2917) मरीजों को तो नहीं बल्कि विभागीय स्टेशनरी लाने और ले जाने के लिए प्रयोग की जा रही है। स्वास्थ्य विभाग इन एम्बुलेंस का निजी कार्य में उपयोग कर रहा है। हालांकि ये तस्वीरें कैद होने के बाद विभागीय जिम्मेदार अधिकारी कुछ भी बयान देने से बच रहे हैं।

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ठेलिया और कंधों पर धोए जा रहे मरीज- नहीं मिल रही एम्बुलेंस

उत्तर प्रदेश सरकार भले ही आंकड़ों में स्वास्थ्य सेवाएं बेहतर होने के लाख दावे कर ले, लेकिन जमीनी हकीकत इससे कोसों दूर है। दरअसल यूपी में ध्वस्त हो चुकी 108 एम्बुलेंस सेवा के चलते मरीज कहीं अपने पिता के कंधों पर दम तोड़ रहे हैं तो कहीं परिजन मरीज को ठेलिया और चारपाई से ढो रहे हैं। ये हम नहीं बल्कि पिछली कई घटनाएं इसका जीता जगता उदाहरण है। ये आंकड़े महज स्वास्थ्य विभाग की करतूत बयान करने के लिए हैं। यूपी में रोजाना ऐसे कई मामले होते हैं जिनमें मरीजों को एम्बुलेंस नहीं मिलती।

25 मार्च 2018 को बाराबंकी जिला में मानवता शर्मसार होती दिखी। यहां गरीबों के प्रति सरकारी अफसरों की संवेदनहीनता एक बार फिर सामने आई है। नि:शक्तता के साथ गरीबी की मार झेल रहा बाराबंकी का राजकुमार अपनी छोटी बहन मंजू के साथ ठेलिया पर लादकर बीमार पिता मंसाराम (50) को सीएससी तक ले जाने में सफल हो गया पर उसकी जानना बचा सका। जब 2 घंटे तक कोई नहीं आया तो आंख में आंसू लिए राजकुमार 8 किलोमीटर तक पिता का शव ठेलिया पर ढोकर लोनीकटरा सीएचसी पहुंचा।

2 मई 2018 को कन्नौज जिला में एक मजबूर पति अपनी बीमार पत्नी को करीब 9 किलोमीटर तक पैदल खींचकर ले गया। आरोप है कि वह घंटों 108 एम्बुलेंस सेवा पर कॉल करता रहा लेकिन पहले तो फोन नहीं लगा जब लगा तो डीजल ना होने और गाड़ी पंचर होने का बहाना बनाया गया। पीड़ित के कई बार फोन करने के वाबजूद एम्बुलेंस जब नहीं आयी तो पीड़ित ने मजबूरी में अपनी पत्नी को ठेलिया पर लादा और पैदल खींचकर अस्पताल लेकर गया।

7 मई 2018 को बदायूं जिला के मूसाझाग थाना क्षेत्र के ग्राम मझारा निवासी सादिक की पत्नी मनीषा को इलाज के लिए बदायूं के जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया था। यहां इलाज के दौरान मनीषा की मौत हो गई। मनीषा की मौत से उसके परिवार में कोहराम मच गया। दुःख की इस घड़ी में पीड़ित परिवार को एक और जख्म उस वक्त दे दिया जब उसे अस्पताल प्रशासन ने एक स्ट्रेचर और शव वाहन तक नहीं दिया। ये उस वक्त की बात है जब जिला अस्पताल में दो दो शव वाहन मौजूद थे। अस्पताल प्रसाशन नई निर्दयिता का शिकार सादिक आखिर अपनी पत्नी को कंधे पर ही लादकर लेकर चला गया। पीड़ित का आरोप ये भी था कि जब वह अपनी पत्नी को भर्ती कराने आया था तब उसे एम्बुलेंस भी नहीं मिली थी।

13 मई 2018 को हरदोई के पिहानी थाना क्षेत्र में पिहानी-जंगबहादुर गंज मार्ग पर शौच के लिए गए दो भाइयों को एक तेज रफ़्तार पिकप ने रौंद दिया। घटना से एक बच्चे की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि दूसरे की हालत गंभीर बताई जा रही है। घटना से शादी समारोह की खुशियाँ मातम में बदल गईं। लोगों ने इसकी सूचना 108 नम्बर डायल कर सूचना दी लेकिन ना तो घायल को ले जाने के लिए एम्बुलेंस आई और ना ही मृत बच्चे को लेने शव वाहन। पीड़ित बाप अपने जिगर के दुकड़ों को गोद में लेकर घूमता रहा। इसकी जानकारी जैसे ही पिहानी कोतवाली प्रभारी श्याम बाबू शुक्ला को मिली। उन्होंने फौरन संवेदन शीलता दिखाते हुए बच्चे का पंचनामा भरकर शव को वाहन की व्यवस्था करके पोस्टमार्टम के लिए भेजवाया।

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