अमेठी के इन्हौना में एक निजी नर्सिग होम पर गलत तरीके से आपरेशन कर प्रसूता को मौत के मुँह में धकेलने का बेहद संगीन आरोप लगा. प्रसूता की मौत होने से नाराज परिजनों ने गुरुवार को शव को घर छोड़ने पहुंची वैन को भी बंधक बना लिया था. मृतका के परिजनों का आरोप है कि नर्सिंग होम की संचालिका ने परिजनों को बगैर सूचित किए ही प्रसूता का आपरेशन कर डाला मोटी रकम ऐंठने की नीयत से जल्दबाजी में किया गया आपरेशन सफल नहीं हो सका और कुछ ही देर में प्रसूता की हालत बिगड़ने लगी. परिजन जब तक उपचार हेतु दूसरा कदम उठाते प्रसूता ने दम तोड़ दिया .अमेठी में इस प्रकार के मामले निजी अस्पतालों की मनमानी और लापरवाही के उदाहरण मात्र भर है. तमाम निजी अस्पतालों ने जिस तरह कमाई के अनुचित और अनैतिक तौर तरीके अपना लिए हैं, उसके चलते वे अपने साथ निजी क्षेत्र के सभी अस्पतालों को बदनाम करने और एक तरह से अपने हाथों अपनी छवि खराब करने का काम कर रहे हैं.


निस्तारण की प्रभावी हो व्यवस्था-

  • यह आम धारणा गहराती जा रही है कि वे उपचार में खर्च के नाम पर लूट खसोट करते हैं.
  • कई निजी अस्पताल तो इसके लिए कुख्यात हो रहे हैं कि वहां जानबूझकर अनाप-शनाप बनाया जाता है.
  • एक समस्या यह भी है कि उनकी मनमानी के खिलाफ कहीं कोई सुनवाई नहीं होती.
  • अगर इन शिकायतों का सही तरीके से संज्ञान लिया जा रहा होता और उनके निस्तारण की कोई प्रभावी व्यवस्था बनाई गई होती तो शायद हालत इतनी खराब नहीं होते.
  • निसंदेह निजी अस्पतालों के संचालकों से अपेक्षा नहीं की जाती और ना ही किसी को करनी चाहिए कि वह अपने आर्थिक हितों की अनदेखी कर समाज सेवा करें.
  • लेकिन यह भी नहीं होना चाहिए कि वह मरीजों को सोने का अंडा देने वाली मुर्गी समझ ले.
  • लगातार गिर रही निजी अस्पतालों की गरिमा-
    समझना कठिन है कि निजी अस्पताल अपनी साख बनाने और साथ ही मेडिकल पेशे की गरिमा बरकरार रखने के प्रति सतर्क क्यों नहीं है.

  • ऐसा लगता है कि वे साबुन तेल कंपनियों की तरह मुनाफे का लक्ष्य तय करके येन केन प्रकारेण पूरा करने की कोशिश में यह भूल जाते हैं चिकित्सा व्यवसाय की अपनी एक मर्यादा है.
  • या मानने के लिए अच्छे भले कारण है कि निजी क्षेत्र के अस्पतालों की मनमानी के लिए प्रभावी नियम कानूनों के साथ-साथ सक्षम नियामक संस्थाओं का अभाव जिम्मेदार है.
  • इससे अधिक निराशा जनक और कुछ नहीं की एक और जहां सरकारी स्वास्थ्य ढांचा जहाँ लस्त पस्त होता जा रहा है और वहां आम आदमी मजबूरी में जाना पसंद कर रहा है वहीं दूसरी और निजी क्षेत्र के अस्पताल बेलगाम होते जा रहे हैं.

ताकि मुनाफाखोरी की दुकानों में न हो तब्दील-

  • इसमें दो राय नहीं है कि निजी अस्पताल खोलने चलाने के साथ उपचार का खर्च लगातार बढ़ रहा है.
  • लेकिन किसी को यह देखना ही होगा कि मरीजों के साथ लूट न होने पाए उपचार में लापरवाही बरतने और इलाज में खर्चे के नाम पर करने वाले अस्पतालों को बंद करने जैसे सख्त कदम समस्या का एक हद तक ही उचित समाधान है.
  • सरकारों का जोर बेलगाम अस्पतालों को बंद करना नहीं यह सुनिश्चित करना होगा कि वे मुनाफाखोरी की दुकानो में तब्दील न हो.
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