बीते शनिवार को सीएमओ डॉ. जीएस बाजपेयी को खुद ऐशबाग बाल महिला अस्पताल में प्रसूताओं की सिजेरियन डिलीवरी कराने जाना पड़ा। महज इसकी वजह ये थी राजधानी के बाल महिला अस्पतालों में एनेस्थिसिस्ट का अभाव है। लेकिन, ये कमी आज की नहीं बरसों से हैं। बावजूद इसके स्वास्थ्य विभाग इस कमी को दूर नहीं कर पा रहा है, यही वजह है कि इन अस्पतालों में एनेस्थिसिया डाक्टरों की कमी के चलते अक्सर प्रसूताओं को रेफर कर दिया जाता है।

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किसी महिला अस्पताल में नहीं हैं एनेस्थिसिस्ट

  • एनेस्थिसिया डाक्टरों की कमी को दूर करने की कोशिश कई बरसों से की जा रही है।
  • बावजूद इसके अब तक स्वास्थ्य विभाग को अब तक इसमें सफलता नहीं मिल सकी है।
  • यही वजह है कि आये दिन बाल महिला अस्पतालों में आने वाली गर्भवती महिलाओं को रेफर किया जाता है।
  • राजधानी में कुल नौ बाल महिला अस्पताल हैं। इसमें एनेस्थिसिया डाक्टरों की कमी बनी हुई है।
  • इन नौ बाल महिला अस्पतालों में से बमुश्किल दो अस्पतालों में एनेस्थिसिस्ट हैं।
  • बाकी सभी अस्पतालों में एनस्थिसिस्ट ऑन कॉल ही रहते हैं।
  • इससे इन अस्पतालों में सिजेरियन डिलीवरी कराने में डाक्टरों को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।

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  • बाल महिला अस्पताल में सीजिरियन डिलीवरी कराने के लिए एनेस्थिसिया के स्थायी डाक्टर नहीं है।
  • संविदा पर अलीगंज, इंदिरा नगर व एनके रोड पर एनेस्थिसिया के डाक्टर तैनात है।
  • इस कारण यहां तो सिजेरियन आपरेशन कराने में कोई खास दिक्कत नहीं आती है।
  • लेकिन अन्य बाल महिला अस्पतालों में एनेस्थिसिया के डाक्टर ऑन काल रखे गये है।

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  • ऐसे में प्रसव पीड़ा से तड़पती गर्भवती जब पहुँचती है तो उसे मजबूरी में या तो रेफर कर दिया जाता है।
  • या फिर एनस्थिसिस्ट को कॉल किया जाता है ऐसे में कई बार गर्भवती की जान पर भी बन आती है।

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