दलितों के बीच पैठ बनाने के लिए बीजेपी का ‘दलित के घर भोजन’ अभियान बैकफायर होता दिख रहा है. इस बार यूपी सरकार के एक और मंत्री अनुपमा जायसवाल ने ऐसा बयान दे डाला कि नये सिरे से विवाद पैदा हो गया है. अनुपमा जायसवाल ने कहा कि मच्छर काटने के बावजूद बीजेपी नेता दलितों के घर जाते हैं और खाना खाते हैं.

बेसिक शिक्षा राज्य मंत्री के बयान पर विपक्ष का वार:

उत्तर प्रदेश सरकार की मंत्री अनुपमा जायसवाल ने गुरुवार को एक विवादित बयान देते हुए कहा कि मच्छर काटने के बावजूद बीजेपी नेता दलितों के घर जाते हैं और खाना खाते हैं। बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री जायसवाल ने कहा, समाज के सभी वर्गों को लाभ पहुंचाने के लिए योजनाएं बनायी जाती हैं. इसे लागू कराने और लोगों को लाभ पहुंचाने के लिए सरकार के मंत्री कई क्षेत्रों में दौरा करते हैं. बावजूद इसके कि उन्हें सारी रात मच्छर काटते रहते हैं.

अनुपमा जयसवाल के बयान पर समाजवादी पार्टी नेता सीपी राय ने कहा, “हम उनका (बीजेपी) नाटक लंबे समय से देख रहे हैं. दलितों के घर खाने से बेहतर है कि उन्हें पौष्टिक खाना, बेहतर शिक्षा और ज़िंदगी दी जाएगी. लेकिन बीजेपी की दिलचस्पी सिर्फ नाटक में है.”

अनुपमा जायसवाल बीजेपी नेता सुरेश राणा के दलितों के घर खाना खाने के बाद उपजे विवाद का जवाब दे रहीं थीं. इस बीच उनके सफाई से खुद विवाद पैदा हो गया है.

सुरेश राणा का दलित भोज भी बना था विवाद:

बता दें कि इससे पहले यूपी सरकार के गन्ना विकास और जिला मंत्री सुरेश राणा ने भी दलित के घर खाना खाया था. सुरेश राणा के साथ भाजपा के अन्य नेता भी थे. राणा हलवाइयो के बने पालक पनीर, मखनी दाल, छोला, रायता, तंदूर, कॉफी, रसगुल्ला और बोतलबंद पानी का स्वाद चखा था.
इसकी तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हुई और पूरी घटनाक्रम से बीजेपी की खासी किरकिरी हुई थी. विपक्षी पार्टियों ने पूरे अभियान को पाखंड करार दिया.

बीजेपी की दलित सांसद ने भाजपा नेताओं के दलित भोज पर उठाये सवाल:

खुद बहराइच से भाजपा सांसद सावित्री बाई फूले ने इस घटनाक्रम की निंदा की है. उन्होंने कहा कि बात तो तब हो जब दलित के हाथ का बनाया हुआ खाना खाएं और खुद उसके बर्तनों को धोएं. उन्होंने कहा कि अगर अनुसूचित जाति के लोगों का सम्मान बढ़ाना है तो उनके घर पर खाना खाने के बजाय उनके लिये रोटी, कपड़े, मकान और रोजगार का इंतजाम किया जाए. हम सरकार से मांग करते हैं कि वह अनुसूचित जाति के लोगों के लिये नौकरियां सृजित करे. केवल खाना खाने से अनुसूचित जाति के लोग आपसे नहीं जुड़ेंगे.

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