उ0प्र0 में लगभग 68 लाख (electricity Department) अनमीटर्ड विद्युत उपभोक्ताओं के यहाॅ मीटर लगाने की कवायद शुरू होते ही प्रदेश की बिजली कम्पनियों में मीटर खरीद व स्थापित करने हेतु निविदा की होड़ लग गई। अभी तक पूर्वान्चल व पश्चिामांचल में ही लगभग 350 से 400 करोड़ के आर्डर हो गये। मध्यांचल कम्पनी में लगभग 80 से 100 करोड़ मीटर खरीद की प्रक्रिया चालू है।

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शहरी क्षेत्रों में 40 लाख स्मार्ट मीटर खरीदने की प्रक्रिया शुरू

  • पश्चिमांचल कम्पनी में मीटर खरीद व लगाने का ठेका बड़े पैमाने पर मीटर निर्माताओं के अलावा ठेकेदार फर्मों को भी आवंटित किया गया।
  • इसी बीच शहरी क्षेत्रों में भी लगभग 40 लाख स्मार्ट मीटर खरीदने की भी प्रक्रिया शुरू हो गयी है।
  • आने वाले समय में हजारों करोड़ के मीटर की खरीद होना है।
  • वहीं दूसरी ओर मीटरों की उच्च गुणवत्ता को दरकिनार किया जा रहा है।
  • अनेकों ऐसे मीटर निर्माता है जो कभी उ0प्र0 में दिखाई नहीं दिये आज उन्हें करोड़ों का आर्डर मिल गया।

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  • विगत वर्षो में उ0प्र0 पावर कारपोरेशन द्वारा कुछ मीटर कम्पनियों के खिलाफ कठोर कार्यवाही की गयी आज वह भी सब आर्डर लेकर खुशहाल है।
  • पावर कारपोंरेशन द्वारा ही विगत वर्षो में कुछ मीटर निर्माता कम्पनियों के शैम्पल को आई0आई0टी0 कानपुर भेजा गया।
  • जिसमें बड़ी कमियाॅ निकली आज उन्हें भी आर्डर मिल गया।
  • मीटर लगाने का कार्य एक लम्बी प्रक्रिया का अंग है।
  • वर्षो लग जायेगें मीटर स्थापित होने में, इसके बावजूद भी इतनी बड़ी संख्या में मीटर खरीद किसी के गले नहीं उतर रहा है।

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  • उपभोक्ता परिषद ने प्रदेश के मुख्यमंत्री व ऊर्जा मंत्री से यह मांग की है कि मीटर खरीद से लेकर निरीक्षण परीक्षण की पूरी व्यवस्था की एक उच्च स्तरीय तकनीकी कमेटी से जाॅच कराई जाय।
  • जिन कम्पनियों को करोड़ों रूपये के मीटर का आर्डर दिया गया है उनके शैम्पल को आई0आई0टी0 कानपुर भेजकर पुनः जाॅच कराया जाय।
  • इस पूरे मामले पर नजर रखने के लिये बिजिलेन्स टीम को भी लगाया जाय, क्योंकि कहीं न कहीं घटिया मीटर का खामियाजा विभाग व उपभोक्ता दोनो को भुगतना पड़ता है।

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कुछ कम्पनियों को पीछे दरवाजे से टेण्डर बांटने का आरोप

  • उ0प्र0 राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व विश्व ऊर्जा कौंसिल के स्थायी सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने कहा पावर कार्पोरेशन में क्वालिटी कन्ट्रोल का हाल यह है कि मीटर खरीद करने के पहले शैम्पल की टेस्टिंग अधिशाषी अभियन्ता परीक्षण द्वारा किया जाता है।
  • फिर उन्हें के द्वारा मीटर का निरीक्षण परीक्षण किया जाता है।
  • उसके बाद उन्हीं द्वारा लगवाया जाता है।

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  • बाद में उसकी परफार्मेन्स रिपोर्ट देने की बात आती है।
  • तब भी अधिशाषी अभियन्ता परीक्षण द्वारा ही दिया जाता है।
  • जिससे स्वतः अन्दाजा लगाया जा सकता है कि बिजली कम्पनियाॅ क्वालिटी कन्ट्रोल पर कितना सजग है। विगत दिनों एक मीटर कम्पनी द्वारा सप्लाई किये गये मीटरों में रीडिंग जम्पिंग की शिकायत आयी।
  • उपभोक्ता (electricity Department) परिषद द्वारा मामले को नियामक आयोग में उठाया गया।
  • रिपोर्ट मंगाई अन्ततः मामले को दबा दिया गया आज भी मीटर रीडिंग जम्पिंग की शिकायत सामने आ रही है।

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  • उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष ने कहा पूर्वान्चल कम्पनी में मीटर निविदा में यह अंकित किया गया कि वहीं कम्पनियाॅ शामिल होगी।
  • जिनका टर्नओवर 100 करोड़ या उससे ज्यादा होगा।
  • उ0प्र0 की कम्पनियों के लिये यह सीमा 50 करोड़ रखी गयी।
  • बड़ी चालाकी से उसमें यह भी अंकित कर दिया गया कि दिल्ली और एन0सी0आर0 वेस कम्पनी के लिये भी 50 करोड़ माना जायेगा।
  • सवाल यह उठता है उ0प्र0 के उद्योगों को बढ़ावा देने के लिये यह व्यवस्था ठीक है लेकिन दिल्ली और एन0सी0आर0 जोड़ने के पीछे कुछ (electricity Department) कम्पनियों को पीछे दरवाजे से टेण्डर में शामिल करने हेतु रास्ता साफ करना है, जो गलत है।

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