गर्भावस्था का समय हर महिला के लिए बहुत ही ख़ास होता है. यही वजह है की वो इस पल में कोई भी ऐसी गलती नहीं करना चाहती है जिससे कोई परेशानी उसे या उसके गर्भ में पल रहे शिशु को हो. गर्भावस्था के दौरान ज्यादातर महिलाओं को ब्लड प्रेशर की समस्या हो जाती है. जो कि कई बार उनके लिए घातक भी हो जाता है.इसलिए इससे बचने के लिए कुछ सावधानियों की जरुरत होती है.

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निगरानी की रहती है जरूरत

  • हालही में हुए एक अध्ययन में कहा गया है कि जिन महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान उच्च रक्तचाप की शिकायत रहती है.
  • उन्हें भविष्य में दिल से जुड़ी गंभीर बीमारियां और अवसाद का शिकार होने का खतरा रहता है.
  • अध्ययन में सामने आया है कि जिन महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान उच्च रक्तचाप की शिकायत होती है.
  • उनमें सामान्य महिलाओं के मुकाबले दिल की गंभीर बीमारियां होने का खतरा दोगुना बढ़ जाता है.
  • ऐसी महिलाओं में गर्भावस्था के बाद अवसाद का शिकार होने का खतरा पांच गुना तक बढ़ जाता है.
  • यह अध्ययन बताता है कि गर्भावस्था के दौरान उच्च रक्तचाप की शिकायत वाली महिलाओं की लंबे तमय तक निगरानी की जरूरत है.

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  • ताकि उन्हें दिल की बीमारी के खतरों से समय रहते बचाया जा सके.
  • “शोध-पत्रिका ‘पेडियाट्रिक एंड पेरिनैटल एपिडीमियोलॉजी’ के ताजा अंक में यह अध्ययन प्रकाशित हुआ है.
  • गर्भावस्था के दौरान उच्च रक्तचाप की शिकायत के कारण प्रीक्लैंपसिया जैसी गंभीर स्थिति का भी सामना करना पड़ सकता है.
  • जो मां और बच्चे दोनों के लिए खतरनाक साबित हो सकता है.
  • यह अध्ययन पहली बार गर्भ धारण करने वाली 1,46,748 महिलाओं पर किया गया।

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रखें इन बातों का ध्यान

  • यदि गर्भवती महिलाएं पी.आई.एच. ग्रस्त हैं तो इनको बाईं करवट लेटकर आराम करना चाहिए.
  • पी.आई.एच. ग्रस्त महिला का जब तक रक्तचाप सामान्य न हो जाए उसका हर दिन वजन लेना चाहिए.
  • हर दूसरे दिन पेशाब में प्रोटीन की जांच तथा हर 4 घंटे पर रक्तचाप की माप होनी चाहिए.
  • गर्भवती को पर्याप्त मात्रा में प्रोटीन, कैल्सियम का सेवन करना चाहिए.
  • पी.आई.एच. ग्रस्त महिलाओं को भोजन में जल और नमक से परहेज की जरूरत नहीं होती है.
  • मरीजों को पर्याप्त आराम करना चाहिए. यदि कोई समस्या है तो हास्पिटल में दाखिल कर जांचें और उपचार कराएं.
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