उत्तर प्रदेश सरकार ने आयुर्वेदिक फार्मेसियों के संचालन हेतु गुड मैन्यूफैक्चरिंग प्रेक्टिसेस (जीएमपी) का प्रमाण-पत्र प्राप्त करना अनिवार्य कर दिया है। बीते दिनों ये आदेश अपर मुख्य सचिव, चिकित्सा शिक्षा एवं आयुष ने दिया। आदेशानुसार अब इस प्रमाण-पत्र के बिना कोई भी आयुर्वेदिक फार्मेसियां प्रदेश में संचालित नहीं हो पाएंगी। आंकड़ों से स्पष्ट है कि प्रदेश में आयुर्वेद में 62 प्रतिशत तथा यूनानी में 73 प्रतिशत एवं कुल 64 प्रतिशत संचालित फर्मों के पास जीएमपी प्रमाण-पत्र नहीं है, यह स्थित बिल्कुल ठीक नहीं है।

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54 यूनानी फार्मेसी हैं बंद

  • आयुर्वेद निदेशालय को स्पष्ट निर्देश दिए है कि जिन फार्मेसियों के वैद्य जीएमपी नहीं है।
  • उनका तुरन्त निरीक्षण किया जाए और नियमित रूप से इसका अनुश्रवण सुनिश्चित किया जाए।
  • नियमानुसार फार्मेसियों का संचालन होना चाहिए।
  • निर्मित दवाएं भी उपयुक्त गुणवत्ता की होनी चाहिए।
  • उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि प्रत्येक जनपद से ई-मेल के माध्यम से निर्धारित प्रारूप पर प्रत्येक दिन सूचना प्राप्त करके, उन्हें संकलित करके टिप्पणी उपलब्ध कराई जाए।
  • प्रदेश में आयुर्वेद के निर्गत मूल लाइसेंसों की संख्या 1507, लोन लाइसेसों की संख्या 19, बंद फार्मेसियों की संख्या 209 है।
  • और साथ ही जीएमपी प्रमाण-पत्र धारी संचालित फर्मों की संख्या 383 है।
  • इस प्रकार 934 फर्मों के पास जीएमपी प्रमाण-पत्र नहीं है।
  • इसी तरह यूनानी के तहत निर्गत मूल लाइसेंसों की संख्या 289 है, इनमें 54 फार्मेसी बंद है।
  • जीएमपी प्रमाण पत्र धारी संचालित 24 फर्मेें हैं।
  • इस प्रकार 211 फर्में जीएमपी प्रमाण-पत्र के बिना काम कर रही हैं।
  • अपर मुख्य सचिव ने अधिकारियों को निर्देशित किया कि नॉन जीएमपी प्रमाण-पत्र धारी संचालित फर्मों का तत्काल निरीक्षण किया जाए।
  • साथ ही इन्हें लाइसेंस देने की कार्यवाही सुनिश्चित की जाए।
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