वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 में भारतीय जीव जंतु की तस्करी और और उन्हें रखना अपराध है। इसी तरह अंतरराष्ट्रीय साईटिस कन्वेंशन ऑफ इंटरनेशनल ट्रेड ऑफ इन डेंजर स्पीशीज ऑफ फ्लोरा एंड फोना के तहत भी किसी जीव-जंतु की खरीद-फरोख्त पर रोक है। प्रदेश में जीव-जंतु के यहां आने से स्थानीय जीव-जंतु पर खतरा हो सकता है। डॉ. समीर कुमार सिन्हा, रीजनल हेड वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया इटौजा थाना क्षेत्र के उसरना गाँव में स्थित जिरौनी तालाब में बुधवार को सैकडों की संख्या में कछुए तालाब के पानी में बिलबिलाने लगे। देखते ही देखते यह कछुए मरकर पानी में तैरने लगे।

खानापूर्ती करके गयी पुलिस :

ग्रामीणों की सूचना पर पहुँची इटौजा पुलिस महज खानापूर्ति करके चली गई। उसरना गाँव का जिरौनी तालाब लगभग दस एकड़ में फैला हुआ है। इसके गहरे पानी में सैंकड़ों की तादात में कछुए थे लेकिन अचानक यह कछुए मरने लगे। तालाब में कछुए मरने के पानी में उतराने लगे। इन मरे कछुओ के सड़ने से तालाब के किनारे बसे ग्रामीणों को सडांध और भारी बदबू का सामना करना पड़ा।

तालाब किनारे बसे ग्रामीणों ने बताया कि गरीब जनशक्ति पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजेंद्र रावत ने कछुआ तस्करों के खिलाफ उचित धाराओं में मुकदमा दर्ज कर और दोषियों को जेल भेजा जाए। राजस्व विभाग विभाग के खिलाफ कानूनगो लेखपाल की मिलीभगत से तालाब पर कब्जा किया गया था। दोषी लेखपाल के खिलाफ उचित कानूनी कार्रवाई राजस्व कर्मियों को जेल भेजने की मांग की।

खेती की आड़ में हो रही तस्करी :

सिंधाडे की आड़ में कछुआ तस्करी ग्रामीणों से जब बात की गई तो उन्होने बताया कि इसमें अमानीगंज निवासी व्यक्ति ने ग्राम प्रधान के संरक्षण में सिंघाड़े की फसल डाल रखी है जिसकी आड़ में कछुआ पकड़ कर बेचे जाते रहे हैं। पानी को नशीला बनाकर पकड़े जाते है। कछुए उसरना के ग्रामीणों ने आशंका जताई कि पानी में जहरीली दवाई डालकर पहले पानी का नषीला बनाया गया। कई सालों से कछुए की तस्करी लगातार चल रही है।

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