प्रदेश स्तर पर स्वेटर खरीद में असफल रही राज्य सरकार अब स्कूल स्तर पर स्वेटर खरीदेगी. यूनिफार्म की तर्ज पर अब स्वेटर भी खरीदे जाएंगे और एक महीने के अंदर ही बांट दिए जाएंगे. छह जनवरी से स्वेटर वितरण की प्रक्रिया शुरू की जानी है. इसके लिए बेसिक शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव राज प्रताप ने आदेश जारी कर दिया था.

प्राथमिक शिक्षक संघ की दलील

वहीँ प्राथमिक शिक्षक संघ सरकार के इस दलील को मानने से इंकार कर रहा है. इसके बाद फिर से स्वेटर बांटने की योजना अधर में लटकती हुई दिखाई दे रही है. प्राथमिक विद्यालयो में बांटने वाले स्वेटर फिर अटक चुके हैं. प्राथमिक शिक्षक संघ ने हाथ खड़े किए हैं. टेंडर में हो रही देरी पर सरकार ने सीधे स्वेटर बांटने के दिये है निर्देश दिए थे. शिक्षक संघ की दलील इतने कम पैसे में कहाँ से स्वेटर बाँट पाएंगे.

ये थी सरकार की योजना

राज्य सरकार पहली बार सरकारी प्राइमरी व जूनियर स्कूलों में पढ़ रहे 1.54 करोड़ बच्चों को स्वेटर देने की तैयारी की कर रही है. स्वेटर खरीदने के लिए विभाग से चार सदस्यीय कमेटी बनेगी. इसमें विद्यालय प्रबंध समिति (एसएमसी) का अध्यक्ष, स्कूल के प्रधानाचार्य के अलावा एसएमसी के दो ऐसे सदस्य होंगे,  जो ग्राम पंचायत और पूरी एसएमसी द्वारा नामित किए गए हो.बता दें कि 20 हजार से एक लाख रुपये तक की खरीद के लिए कोटेशन प्राप्त किए जाएंगे जबकि एक लाख रुपये की ज्यादा की खरीद पर टेण्डर निकाला जाएगा.

स्वेटर खरीद में गड़बड़ी होने पर जिम्मेदार के खिलाफ होगी कार्रवाई

स्वेटर खरीद में यदि खण्ड शिक्षा अधिकारी (बीईओ) की संलिप्तता पाई गई ,तो इसे कदाचार की श्रेणी में माना जाएगा और अनुशासनिक कार्रवाई करते हुए रिकवरी की जाएगी। बीईओ ये सत्यापित करेंगे कि सभी भुगतान एकाउंट पेई चेक से किए गए. यदि स्वेटर की गुणवत्ता खराब हुई या फर्जी संख्या दर्शाकर अधिक स्वेटर खरीद दिखाई गई तो संबंधित एसएमसी के अध्यक्ष व प्रधानाचार्य के खिलाफ कार्रवाई करते हुए रिकवरी की जाएगी.

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