बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर केन्द्रीय विश्वविद्यालय (बीबीएयू) की
एकेडमिक काउंसिल ने 7वें दीक्षांत समारोह में राष्ट्रपति के हाथों मेडल लेने के लिए मात्र चार विद्यार्थियों के नामों पर अपनी मुहर लगाई थी। साथ ही कौंसिल ने डॉ. आरडी सोनकर समता समाज पुरस्कार और विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय योगदान के लिए दिए जाने वाले रत्न अवार्ड के नामों पर अपनी
संस्तुति प्रदान की थी।

कुल 210 मेधावियों को दिया गया मेडल:

  • बीबीएयू के 7वें दीक्षांत समारोह में शैक्षिक सत्र 2016 और 2017 के कुल 210 मेधावियों को गोल्ड मेडल दिया गया।
  • साथ ही करीब दो हजार से अधिक डिग्री प्रदान की गयीं।
  • बुधवार को एकेडमिक कौंसिल की हुई बैठक में दीक्षांत समारोह में दिए जाने वाली डिग्री, मेडल और रत्न आवार्ड सहित आरडी सोनकर समता समाज पुरस्कार के नामों अपनी संस्तुति प्रदान की थी।
  • जिसके मुताबिक दीक्षांत समारोह में राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द ने केवल प्रत्येक शैक्षिक सत्र के केवल दो-दो विद्यार्थियों को मेडल दिए।
  • बाकी मेधावियों को कुलपति ने मेडल प्रदान किया।
  • इसके अलावा विज्ञान रत्न, विधि रत्न, सामाजिक विज्ञान रत्न और स्पोर्टस मेडिसिन रत्न आवार्ड दिए जाने वालों लोगों के नामों पर अपनी स्वीकृत दी गयी थी।
  • इसके अलावा दीक्षांत में दोनों शैक्षिक सत्र की प्रदान की जाने वाली डिग्री और सभी 210 मेडल पर भी अपनी स्वीकृत दे दी थी।

राष्ट्रपति के हाथों मेडल पाने वाले विद्यार्थी:

  • शैक्षिक सत्र-2016 के पीजी कोर्स में सामान्य वर्ग में सर्वोच्च स्थान पाने वाले एमएससी एप्लाइड मैथमेटिक्स के विकास चौरसिया (94.69 फीसदी) और एससीएसटी वर्ग में महेन्द्र (89.06 फीसदी) को राष्ट्रपति ने मेडल दिया।
  • शैक्षिक सत्र -2017 के पीजी कोर्स में सामान्य वर्ग में सर्वोच्च स्थान पाने वाले एमएससी इंफार्मेशन टेक्नोलॉजी की ऋचा वर्मा (90.83 फीसदी) और एससीएसटी वर्ग में एप्लाइड इकोनॉमिक्स के मंजेश कुमार राष्ट्रपति से मेडल प्राप्त किया।

सुधाकर पुष्कर ने 7वें दीक्षांत समारोह का किया था बहिष्कार:

  • बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर केन्द्रीय विश्वविद्यालय (बीबीएयू) के एमफिल (मैनेजमेंट) के छात्र सुधाकर पुष्कर ने 7वें दीक्षांत समारोह का बहिष्कार कर दिया था।
  • सुधाकर ने बताया था कि, यह कदम विश्वविद्यालय प्रशासन के दलित विरोधी व्यवहार के कारण उठाया था।
  • सुधाकर वर्तमान में विश्वविद्यालय से पीएचडी कर रहा है। उसका कहना है कि, उसके इस फैसले को राष्ट्रपति से जोड़कर नहीं देखा जाए।
  • मेरा राष्ट्रपति से कोई विरोध नहीं है। वह केवल विश्वविद्यालय प्रशासन और कुलपति प्रो.आरसी सोबती द्वारा दलित छात्रों के साथ किए जा रहे भेदभाव पूर्ण व्यवहार का विरोध कर रहा है।

UTTAR PRADESH NEWS की अन्य न्यूज पढऩे के लिए Facebook और Twitter पर फॉलो करें