भारत कृषि प्रधान देश फिर भी कृषि का गिरता स्तर, किसान की है दयनीय स्थिति

लखनऊ।  बहुत लोग ऑस्ट्रेलिया के लोगों की उत्पादनशीलता, श्रमशीलता, बुद्धिमत्ता, दूरदर्शिता व चतुराई इत्यादि को यह कहकर तिरस्कृत कर देते हैं कि जनसंख्या बहुत कम है। आइए समझते हैं ऑस्ट्रेलिया की कृषि इकोनोमी को। यदि आप पूर्वाग्रह से ग्रस्त नहीं होंगे तो आपको अंदाजा लग जाएगा कि ऑस्ट्रेलिया के लोगों की उत्पादनशीलता, श्रमशीलता, बुद्धिमत्ता, दूरदर्शिता व चतुराई इत्यादि का स्तर क्या है। इतना तो मानेंगे ही कि कृषि घर बैठे अपने आप नहीं होती, मेहनत तो करनी ही पड़ती ही है।

ऑस्ट्रेलिया में केवल लगभग 350,000 (साढ़े तीन लाख) लोग ही या तो किसान हैं या कृषि उत्पादन कार्यों से सीधा जुड़े हुए हैं। इसलिए इस लेख में ऑस्ट्रेलिया में किसानों की संख्या साढ़े तीन लाख मानकर चलेंगे। आइए समझते हैं कि इन साढ़े तीन लाख कृषि- उत्पादन-कार्य से जुड़े लोगों का ऑस्ट्रेलिया की इकोनोमी में योगदान क्या है !! सभी आकड़े लगभग में हैं। –

ऑस्ट्रेलिया प्रतिवर्ष

  • 230,000 करोड़ (दो लाख तीस हजार करोड़) रुपए का कृषि संबंधित उत्पादों का निर्यात करता है।
  • 100,000 करोड़ (एक लाख करोड़) रुपए का अनाज, दलहन व तिलहन का उत्पादन करता है।
  • 50,000 करोड़ (पचास हजार करोड़) रुपए के फल, सब्जी, फूल, ड्राई-फ्रूट्स इत्यादि उद्यानिकी फसलों का उत्पादन करता है।
  • 20,000 करोड़ (बीस हजार करोड़) रुपए का ऊन निर्यात करता है। लगभग 7.5 (साढ़े सात) करोड़ भेड़ों से प्रतिवर्ष ऊन निकाला जाता है।
  • 15,000 करोड़ (पंद्रह हजार करोड़) रुपए का दूध-उत्पादों का निर्यात करता है। 25 करोड़ लीटर दूध प्रतिदिन उत्पादन करता है।
  • 15,000 करोड़ (पंद्रह हजार करोड़) रुपए की वाइन (अंगूर की मदिरा) का निर्यात करता है। अमेरिका व चीन सबसे बड़े आयातक देशों में से हैं।
  • 10,000 करोड़ (दस हजार करोड़) रुपए की शक्कर का निर्यात करता है।
  • 10,000 करोड़ (दस हजार करोड़) रुपए का सूती कपड़ा निर्यात करता है। जिसमें केवल चीन व भारत को ही लगभग 5000 करोड़ रुपए का सूती कपड़ा निर्यात किया जाता है।
  • 70,000 करोड़ (सत्तर हजार करोड़) रुपए का गौ-मांस का उत्पादन करता है।
  • 15000 करोड़ (पंद्रह हजार करोड़) रुपए का भेड़ व भेड़ का मांस का निर्यात करता है।
  • 15000 करोड़ (पंद्रह हजार करोड़) रुपए की मछली का उत्पादन करता है।
  • 5000 करोड़ (पांच हजार करोड़) रुपए से अधिक के पशुओं का निर्यात करता है। इत्यादि-इत्यादि।
4000 करोड़ रुपए चंद लाख किसानों के लिए किए गए खर्च

ऑस्ट्रेलिया के कुल कृषि उत्पादन का लगभग 65वां निर्यात किया जाता है। ऑस्ट्रेलिया के कृषि उत्पादन का चीन सबसे बड़े आयातक देशों में से है। ऑस्ट्रेलिया की कुल जनसंख्या लगभग ढाई करोड़ है। लेकिन पिछले लगभग 10 वर्षों में 90000 करोड़ (नब्बे हजार करोड़) रुपए से अधिक केवल पानी के स्रोतों की सस्टेनेबिलिटी पर खर्च किए गए हैं, जिसमें से 40,000 करोड़ (चालीस हजार करोड़) रुपए से अधिक कृषि से संबंधित जल स्रोतों पर खर्च किए गए हैं। मतलब यह कि प्रतिवर्ष औसतन 4000 करोड़ (चार हजार करोड़) रुपए चंद लाख किसानों के लिए खर्च किए गए हैं। ऑस्ट्रेलिया सरकार का जो विभाग केवल पानी के स्रोतों की सस्टेनेबिलिटी पर ही इतना अधिक खर्च कर रहा है, मेरी जीवनसाथी इसी विभाग में INDIA हैं।

चलते- चलते

दुनिया में ऐसे बहुत पिछड़े देश हैं, ऐसे बहुत कृषि में पिछड़े देश हैं जहां की सरकारें भारत के किसानों को सुविधाएं देती हैं। इसी चक्कर में बहुत लोग अपने आप ही काल्पनिकता गढ़ कर मुझे बताते रहते हैं कि ऑस्ट्रेलिया सरकार भारत के किसानों को बुलाकर सुविधाएं देती है जबकि यह बिलकुल ही झूठी व फिजूल बात है। यथार्थ तो यह है कि ऑस्ट्रेलिया की कृषि व्यवस्था दुनिया की सबसे अधिक उत्पादन-गुणवत्ता वाली कृषि-व्यवस्था में से एक है। भारत में 80 करोड़ से अधिक लोग कृषि-उत्पादन-कार्यों से जुड़े हुए हैं तथा दो लाख करोड़ रुपए का कृषि उत्पाद निर्यात करता है, जो ऑस्ट्रेलिया के महज साढ़े तीन लाख लोगों द्वारा सवा दो लाख करोड़ से भी अधिक के कृषि निर्यात से कम है।

  • ऑस्ट्रेलिया में महज कुल साढ़ेतीन लाख कृषि-उत्पादन-कार्यों से जुड़े लोग प्रतिवर्ष लगभग 350 लाख टन गेहूं का उत्पादन करते हैं।
  • जबकि भारत में 80 करोड़ से अधिक लोग प्रतिवर्ष लगभग 850 लाख टन गेहूं का उत्पादन करते हैं।
  • भारत को यदि कागजी-आकड़ों के तीन-तिकड़म से ऊपर उठकर वास्तव में विकास करना है
  • तो बिना किसी बहानेबाजी या तर्क/वितर्क/कुतर्क के कृषि से जुड़ी तकनीकों, नीतियों, तौर-तरीकों इत्यादि में आमूलचूल परिवर्तन करने की जरूरत है।

रिपोर्ट- संजीत सिंह सनी

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