बसपा सुप्रीमों मायावती के लिए नेताओं के पार्टी से जाने की मुसीबतें खत्म होने का नाम ही नहीं ले रही हैं। चुनाव के पहले मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्या ने पार्टी छोड़ी थी। चुनाव के नतीजों के बाद नसीमुद्दीन सिद्दकी को बसपा ने निकाल दिया था। इन सभी नेताओं ने पार्टी से बाहर आने पर बसपा सुप्रीमों पर पैसे खाने का आरोप लगाया था। इसी क्रम में आज 1 और शीर्ष नेता ने बसपा की सदस्यता त्याग दी है जिसके बाद से उनके सपा में शामिल होने की चर्चाएँ शुरू हो गयी हैं।

 

अगले पेज पर पढ़ें पूरी खबर :

बुन्देलखंड में बसपा को झटका :

उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड में बहुजन समाज पार्टी को मजबूत करने में कद्दावर नेता तिलकचंद्र अहिरवार का बड़ा हाथ रहा है। वे बसपा के बिहार और झारखण्ड प्रभारी के पदों पर रह चुके हैं। तिलकचंद्र अहिरवार के अचानक इस्तीफ़ा देने के कारण का अभी खुलासा नहीं हो सका है। तिलकचंद्र अहिरवार ने बसपा सुप्रीमों को बीते दिन पत्र लिखकर अपने इस्तीफे की जानकारी दी। इस पत्र में उन्होंने इस्तीफे का कारण अपना खराब स्वास्थ्य बताया है। मगर बुंदेलखंड में बसपा के कद्दावर नेता के अचानक इस्तीफ़ा देने के कई मायने निकाले जा रहे हैं। सियासी गलियारों में चर्चा है कि बसपा के सिकुड़ते जनाधार के कारण उन्होंने इस्तीफ़ा दिया है। साथ ही उनके सपा में जाने की भी चर्चाएँ शुरू हो गयी हैं।

30 वर्षों तक के बसपा की सेवा :

तिलकचंद्र अहिरवार ने पिछले से 30 वर्षों से बहुजन समाज पार्टी को मजबूत करने का काम किया है। इस दौरान वे बसपा में कई बड़े और महत्वपूर्ण पदों पर रह चुके हैं। बसपा से इस्तीफ़ा देने के साथ ही उन्होंने झारखण्ड और बिहार प्रभारी पद से भी इस्तीफ़ा दे दिया है। बसपा की स्थापना के समय से ही अहिरवार पार्टी के सक्रिय और मिशनरी कार्यकर्ता रहे हैं। 2002 में वे बसपा से बबीना विधानसभा का चुनाव भी लड़ चुके हैं। साथ ही उन्होंने बसपा के जालौन और दिल्ली प्रदेश प्रभारी की जिम्मेदारी भी निभाई है।

 

ये भी पढ़ें : सपा विधायक ने डीएम से की ग्राम प्रधान के हत्यारों की गिरफ्तारी की मांग

UTTAR PRADESH NEWS की अन्य न्यूज पढऩे के लिए Facebook और Twitter पर फॉलो करें