लोकसभा चुनाव को लेकर सरगर्मियां तेज हो गई हैं। पीएम मोदी से लेकर सीएम योगी तक चुनावी तैयारियों में जुट गए हैं, लेकिन क्या सबका साथ लेकर सबका विकास का नारा देने वाले पीएम नरेंद्र मोदी और सीएम योगी आदित्यनाथ अपने ही कार्यकर्ताओं और नेताओं के उम्मीदों पर खरे उतर पा रहे हैं। लोकसभा चुनाव सर पर हैं, पीएम मोदी और सीएम योगी भाजपा के बूथ योद्धाओं का अभिनंदन करने की बात कर रहे हैं, बूथ समिति के सदस्यों के अभिनंदन के अभियान की बड़ी बड़ी बातें की जा रही हैं।

पार्टी के चुनावी लडाई लड़ने वाले योद्धाओं का हौसला बढ़ाने की बात की जा रही है इलाके में उनकी साख व प्रभाव बढ़ाने की भी बड़ी बड़ी बातें की जा रही हैं। जिसके लिए सीएम आवास पर संघ के प्रमुख लोगों की मौजूदगी में इस अभियान को अंतिम रूप देकर योजनाएं बनाई गईं।

कार्यकर्ताओं के हित और उनके सम्मान करने की बात तो की जा रही है, लेकिन क्या वाकई में प्रदेश में कार्यकर्ता अपनी सरकार से खुश दिखाई दे रहे हैं। इसकी एक बानगी देखने को मिली जहां बीजेपी के कद्दावर नेता डा. लक्ष्मीकांत वाजपेई को अपनी ही सरकार में धरने पर बैठना पड़ा। आलम ये है कि प्रदेश में बीजेपी सरकार होने के बावजूद भी कार्यकर्ताओं की तो छोड़िए कद्दावर नेताओं की सुनवाई पुलिस प्रशासन नहीं कर रहा है।

आखिर क्या है पूरा मामला?

सीएम योगी के प्रशासन में जनता तो जनता बल्कि खुद भाजपाई भी त्रस्त सा महसूस कर रहे हैं। जी हां हम बात कर रहे हैं बीजेपी के कद्दावर नेता और बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष डा. लक्ष्मीकांत वाजपेई की। जिनकी कि अपनी ही सरकार ने कोई सुनवाई नहीं हो पा रही है। डा. लक्ष्मीकांत अपनी सरकार में भी पुलिस-प्रशासन के रवैये से खफा दिख रहे हैं।

एफआईआर दर्ज नहीं होने पर सिविल लाइंस थाने में धरने पर बैठे पूर्व प्रदेश अध्यक्ष

दरअसल चोरी के एक मामले में एफआईआर दर्ज नहीं होने पर गुरुवार को उन्हें सिविल लाइंस थाने में धरने पर भी बैठना पड़ा। यह कोई पहला मामला नहीं है जब खुद बीजेपी नेता और कार्यकर्ता अपनी ही सरकार ने नाराज नजर आए। योगी सरकार बनने के बाद भी भाजपाइयों और पुलिस प्रशासन के बीच तालमेल नहीं बन पा रहा है। माना जा रहा है कि अपनी सरकार की वजह से भाजपाइयों को बैकफुट पर रहना पड़ रहा है।

लक्ष्मीकांत वाजपेई ने पुलिस प्रशासन से नाराजगी जताते हुए कहा कि प्रदेश सरकार के स्पष्ट निर्देश के बावजूद पुलिस एवं प्रशासन के कुछ अधिकारी सरकार की छवि खराब करने का प्रयास कर रहे हैं। आपको बता दें कि कुछ दिनों पहले ही प्रभारी मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह के सामने भी भाजपाइयों ने अधिकारियों की नीयत पर सवाल उठाते हुए एसएसपी को हटाने की मांग उठाई थी। बता दें कि पूर्व मंडलायुक्त डा. प्रभात द्वारा प्राधिकरण का कोष हिंडन की सफाई के लिए देने की घोषणा का भी लक्ष्मीकांत ने विरोध किया था। बता दें कि विवाह मंडपों के खिलाफ कार्रवाई को लेकर भी डा. प्रभात और भाजपाइयों में तल्ख रिश्ते रहे हैं। नगर आयुक्त और नगर स्वास्थ्य अधिकारी को हटाने के लिए भाजपाइयों ने सीएम से लेकर प्रभारी मंत्री समे सभी से गुहार की, लेकिन सरकार ने उनकी मांगों पर कोई ध्यान नहीं दिया।

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