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मायावती पर असंसदीय टिप्पणी से विधानसभा में हंगामा, भाजपा नेता ने मांगी माफी तो शांत हुआ सदन

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राज्यपाल के अभिभाषण पर चर्चा के दौरान विधानसभा में उस समय माहौल गरमा गया जब भाजपा के दल बहादुर कोरी ने बसपा अध्यक्ष मायावती को लेकर असंसदीय टिप्पणी कर दी। बसपा विधानमंडल दल के नेता लालजी वर्मा और सुखदेव राजभर ने कड़ा विरोध जताया और सदस्य से माफी मांगने की मांग की।

इस बीच श्रम मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने न केवल भाजपा सदस्य का बचाव किया वरन बसपा सुप्रीमो पर भी आरोपों की बौछार कर दी। मामला बढ़ता देख विधानसभा ने सदन की कार्यवाही चार बार में 55 मिनट के लिए स्थगित की। बाद में कोरी द्वारा अपने शब्द वापस लेने पर ही इस मामले का पटाक्षेप हुआ।

अभिभाषण पर चर्चा के दौरान दल बहादुर कोरी ने सपा, बसपा को निशाने पर लिया। पहले उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव का नाम लेकर टिप्पणी की तो विधानसभा अध्यक्ष ने उन्हें टोक दिया। इस पर कोरी ने अपने शब्द वापस ले लिए। इसके बाद उन्होंने बसपा सुप्रीमो पर निशाना साधा। उन पर असंसदीय टिप्पणी का आरोप लगाते हुए बसपा के सुखदेव राजभर ने आपत्ति जताई। बसपा विधानमंडल दल के नेता लालजी वर्मा ने कहा कि एक पार्टी की अध्यक्ष पर आरोप लगाना संसदीय गरिमा के विपरीत है।

उन्होंने आपत्तिजनक शब्दों को सदन की कार्यवाही से निकालने और सदस्य द्वारा खेद व्यक्त करने की मांग की। संसदीय कार्यमंत्री की सीट पर बैठे श्रम मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि कोरी ने आरोप नहीं लगाए हैं, अपनी आप बीती सुनाई है। उन्होंने किसी नेता का काम नहीं लिया। इस पर लालजी वर्मा ने कहा कि मौर्य जो कुछ भी है बसपा अध्यक्ष की वजह से हैं। मौर्य ने कहा कि जब तक मायावती बाबा साहब व कांशीराम के मिशन पर चल रही थीं, वह उनके साथ थे। बसपा से अलग होकर वह अपनी ताकत के बल पर जीतकर आए हैं।

नेता प्रतिपक्ष रामगोविंद चौधरी ने कहा, सदन की परंपरा रही है कि जो व्यक्ति सदन में नहीं है, उस पर आरोप न लगाए जाएं। मौर्य ने कहा कि दलबहादुर ने किसी नेता का नाम नहीं लिया, यदि किसी का नाम लिया है तो कार्यवाही से निकाल दिया जाए। लालजी वर्मा ने कहा कि मौर्य 25 साल बसपा में रहे हैं। वह भाजपा सरकार में मंत्री भले ही बन गए हैं लेकिन जो सम्मान उन्हें बसपा में मिला वह मंत्री बनने के बाद भी नहीं मिला।

इस दौरान मौर्य व लालजी वर्मा के बीच तीखी नोकझोंक और आरोप-प्रत्यारोप हुए। इस बीच संसदीय कार्यमंत्री सुरेश खन्ना भी सदन में आ गए। लालजी वर्मा ने कहा कि किसी का अपमान करने के बाद टिप्पणी को कार्यवाही से निकालना पर्याप्त नहीं है। जिस सदस्य ने आपत्तिजनक शब्द कहे हैं, उसे अपने शब्द वापस लेने चाहिए।

आहत हुए हैं तो शब्द वापस लेता हूं: दल बहादुर
55 मिनट सदन स्थगित रहने के बाद बाद कार्यवाही शुरू होते ही अध्यक्ष ने दलबहादुर कोरी को बोलने का मौका दिया। कोरी ने कहा कि उन्होंने किसी नेता का नाम नहीं लिया है। एक नेता का नाम आया है तो मैं अपने शब्दों को वापस लेता हूं। उन्होंने कहा कि बहनजी (मायावती) ने लालजी टंडन को राखी बांधी थी। ब्रह्मदत्त और मैंने उनकी जान बचाई थी लेकिन उन्होंने हमेशा भाजपा को दगा दिया है। यदि मेरे शब्दों से कोई आहत हुआ है तो मैं शब्दों को वापस लेता हूं। इसी के बाद जाकर सदन सामान्य हुआ।

संसदीय कार्यमंत्री सुरेश खन्ना ने कहा कि विवाद ठीक नहीं था। उन्होंने अध्यक्ष से आग्रह किया कि जो शब्द गलत हैं, उन्हें कार्यवाही से निकाल दें। उन्होंने खुद भी घटनाक्रम पर दुख जताया। अध्यक्ष ने कहा कि वह तीनों नेताओं दलबहादुर कोरी, लालजी वर्मा और स्वामी प्रसाद मौर्य के वक्तव्य के जो भी अंश ठेस पहुंचाने वाले हैं, उन्हें कार्यवाही से निकलवा देंगे।

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