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बस्ती: बीजेपी विधायक पर ज़मीन के लिए पीड़ित को ग़ायब कराने का आरोप

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उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भू माफ़िया और अपराध को कम करने में कड़ाई दिखाने के निर्देश दे रहे हैं, लेकिन वहीं बस्ती जिले में उन्ही के विधायक पर कई गंभीर आरोप लगे है. लोकसभा चुनाव नज़दीक है और अपने निजी स्वार्थों के लिए मंत्री और विधायक अपनी ही सरकार की फ़ज़ीहत कराने में लगे हुए हैं.

क्या है मामला:

बस्ती के सदर विधानसभा सीट के भाजपा विधायक दयाराम चौधरी पर एक मुस्लिम ग़रीब परिवार को प्रताड़ित करने का आरोप लगा है.

इतना ही नहीं, विधायक पर आरोप है कि सत्ता का रौब दिखाकर 28 जुलाई 2018 को पीड़ित जाकिर अली के भतीजे शाहिद और उसके पिता रमजान अली को पकड़ कर कोतवाली भिजवा दिया, फिर दूसरे दिन रमजान को तो पुलिस ने छोड़ दिया मगर शाहिद का कुछ पता नही लगा.

एसपी हाईकोर्ट में आज रखेंगे अपना पक्ष:

कोतवाली में विधायक दयाराम चौधरी ने अपने गुर्गा को भेजकर ज़मीन छोड़ने का दबाव भी बनाया, तीन माह बीत जाने के बाद भी जब शाहिद का कुछ पता नहीं लगा तो पीड़ित जाकिर अली हाईकोर्ट की शरण में पहुंचा.

जहां हाईकोर्ट ने बस्ती एसपी दिलीप श्रीवास्तव और कोतवाली एमपी चतुर्वेदी को फटकार लगाई और आदेशित किया कि 23 अक्टूबर को एसपी खुद हाज़िर हो.

साथ ही ग़ायब शाहिद को भी लेकर आयें. वहीं आज एसपी हाईकोर्ट में इस मामले को लेकर अपना पक्ष रखेंगे.

विधायक दयाराम ज़मीन पर जमाना चाहते हैं कब्ज़ा:

बता दें कि मामले की शुरुआत साल 2000 से ही हो गई थी. विधायक दयाराम ने मुन्नीलाल नाम के एक शख्स से फ़र्ज़ी तरीके से कोतवाली थाना एरिया के धर्मशाला रोड रोता चौराहे के पास दो बिस्वा 10 धुर ज़मीन को बैनामा करा लिया.

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जब कि वे कब्ज़ा नही पा सके क्योंकि उस ज़मीन पर पिछले 50 साल से अधिक समय से जाकिर और रमजान अपने परिवार के साथ चार पुश्तों से रह रहें हैं और जिस ज़मीन का विवाद विधायक से चल रहा है वह ज़मीन सरकार के अधीन है.

[penci_blockquote style=”style-3″ align=”none” author=””]साथ ही ऐसी ज़मीनों पर कई सालों से जिसका कब्जा होता है वह दीवानी न्यायालय से उस ज़मीन पर काबिज़ रहता है.[/penci_blockquote]

2005 में करवाया था पीड़ित परिवार पर हमला:

मगर यह सब जानते हुये भी विधायक दयाराम चौधरी अपने पद का दुरुपयोग कर करोड़ों की इस बेस कीमती ज़मीन को हथियाने के लिये पिछले 18 साल से कोशिश कर रहे हैं.

इसी कड़ी में साल 2005 मे विधायक दयाराम ने पीड़ित परिवार पर गोलियों का बौछार तक कराई थी ताकि वे जमीन छोड़कर भाग जाये.

आज भी पीड़ित जाकिर के शरीर मे बंदूक के छर्रे फंसे हुये हैं. इस मामले मे तत्कालीन कोतवाली पुलिस ने विधायक के ड्राईवर सहित दो अन्य पर मुकदमा भी दर्ज किया था, जिसमें आरोपियों को सजा तक हो चुकी है.

सत्ता के बल पर शौचालय निर्माण का काम भी रुकवाया:

वहीं अब जब दयाराम चौधरी सत्ता मे काबिज़ है तो जाहिर सी बात है वे अपने पद का दुरुपयोग करेंगे ही. सो उन्होंने पीड़ित रमज़ान के उपर बिजली चोरी का मुकदमा भी दर्ज करा दिया, जब कि परिवार का दावा है कि उनके घर मे बिजली का कोई कनेक्शन है ही नही.

बावजूद उन पर एक लाख का बकाया बिजली चोरी का विधायक के दबाव में मुकदमा दर्ज कराया गया है. जाकिर अली ने बताया कि हाल ही उसके परिवार को सरकारी शौचालय मिला था.

जिसके लिये उन्होंने जैसे ही शौचालय का काम शुरु कराया तो विधायक ने पुलिस को भेजकर काम रुकवा दिया और आज भी उनके घर की बहु बेटियां खुले मे अपनी इज्ज़त दांव पर लगाकर शौच के लिये जाती हैं.

विधायक ने सरकारी ज़मीन बैमाना कराने के सवाल पर नहीं दिया जवाब:

वहीं जब उनके ऊपर लगे आरोपो को लेकर हमारे संवाददाता ने बीजेपी विधायक दया-राम चौधरी से उनका पक्ष जाने के लिये फोन किया तो उन्होंने शहर में न होने का हवाला देते हुये कहा कि ज़मीन उन्होने बैनामा कराया था, मगर क़ब्जा नहीं कर पाये.

विधायक ने ये भी नहीं बताया कि कुछ लोगो का उनकी बैनामाशुदा ज़मीन पर अवैध क़ब्जा है, जिसे खाली कराया जाना प्रशासन का काम है.

मगर जब उनसे ये सवाल किया गया कि सरकारी ज़मीन का बैनामा किस आधार पर किया गया, तो विधायक माकूल जवाब नही दे सके.

एसपी दिलीप श्रीवास्तव ने नहीं दिया जवाब:

वहीं आज जब बस्ती के एसपी दिलीप श्रीवास्तव से हाईकोर्ट द्वारा पुलिस की अब तक की कार्यवाही को लेकर तलब किये जाने के बारे में फोन करके पूछा गया तो उन्होंने दो टुक जवाब दिया कि मैं इस मामले पर कुछ नहीं बोलुंगा.

गौरतलब है कि 28 जुलाई को पीड़ित परिवार के एक युवक शाहिद को पुलिस पकड़ कर ले गई थी, जिसका आज तक कोई पता नही लगा है और हाईकोर्ट ने बस्ती पुलिस को फटकार भी लगाई है.

बहरहाल सीएम योगी आदित्यनाथ भले ही अपनी ईमानदारी के लिये जाने जाते हो मगर उनके सूबे के कुछ विधायक अपने पद का अतिक्रमण करने से बाज़ नही आ रहे हैं.

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