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बुक्कल नवाब ने शिया वक्फ बोर्ड सदस्य पद से इस्तीफा दिया

भाजपा के एमएलसी बुक्कल नवाब ने शिया वक्फ बोर्ड पर घोटाले के आरोप लगाते हुए सदस्य पद से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने अल्पसंख्यक विभाग के प्रमुख सचिव को भेजे पत्र में शिया वक्फ बोर्ड को भंग करने की सिफारिश की है। बुक्कल नवाब ने अपनी गलती मानते हुए कहा कि उन्होंने आजम खां के कहने पर शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी को वोट दिया था। उन्होंने कहा कि वह सदस्य होने के नाते आज तक एक भी बोर्ड बैठक में नहीं गए। वहीं, शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी ने कहा कि बुक्कल नवाब बोर्ड के सदस्य ही नहीं है तो फिर उन्होंने किस अधिकार से इस्तीफा दिया है। उन्होंने कहा कि बुक्कल नवाब ने विधान परिषद सदस्य पद से जुलाई 2017 में इस्तीफा दिया था। उसी वक्त वक्फ बोर्ड से भी उनकी सदस्यता खत्म हो गई थी। उन्होंने भी प्रमुख सचिव को पत्र लिखकर सदस्य के रिक्त पद को भरने की मांग की है।

[penci_blockquote style=”style-1″ align=”none” author=””]हनुमान मंदिर में चढ़ाया था 20 किलो वजनी पीतल का घंटा [/penci_blockquote]
गौरतलब है कि बुक्क्ल नवाब, भाजपा में मुस्लिम समाज के प्रगतिवादी नेता के तौर पर पहचाने जाते हैंं। रक्षाबंधन के मौके पर बुक्कल नवाब ने गायों को राखी बांधकर उनकी रक्षा का संकल्प लिया था। इससे पहले हजरतगंज चौराहे पर स्थित हनुमान मंदिर में उन्होंने 20 किलो वजनी पीतल का घंटा चढ़ाया था। बुक्कल नवाब ने उत्तर प्रदेश सरकार के अल्पसंख्यक विभाग के प्रमुख सचिव को पत्र लिखकर अपने इस्तीफे का ऐलान किया है। बुक्कल नवाब ने अपने इस्तीफे का कारण बोर्ड में व्याप्त भ्रष्टाचार को बताया है। पत्र में उन्होंने बोर्ड को भंग करने की सिफारिश भी की है। अपने पत्र में बुक्कल नवाब ने लिखा कि शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी को वोट देने का फैसला उन्होंने तत्कालीन अल्पसंख्यक मंत्री मोहम्मद आजम खान के कहने पर लिया था। अपने पत्र में बुक्कल नवाब ने आजम खान को ‘यजीद’ कहकर भी संबोधित किया है। अपने इस फैसले को बुक्कल नवाब ने अपनी जिंदगी की सबसे बड़ी भूल के तौर पर स्वीकार किया है।

[penci_blockquote style=”style-1″ align=”none” author=””]नए सदस्य की नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू करने की मांग[/penci_blockquote]
वसीम रिजवी ने प्रमुख सचिव अल्पसंख्यक कल्याण को पत्र लिखकर कहा है कि बोर्ड की नियमावली के अनुसार संसद या विधानमंडल की सदस्यता खत्म होते ही बोर्ड का भी सदस्य नहीं रहता। बुक्कल नवाब 27 जुलाई को इस्तीफा देने के बाद बोर्ड के सदस्य नहीं रहे। बुक्कल नवाब के दोबारा विधान परिषद सदस्य बनने के बाद उनके बोर्ड का सदस्य नियुक्त होने या निर्वाचित होने की कोई भी अधिसूचना शासन की ओर से नहीं दी गई है। ऐसे में उनका इस्तीफा स्वीकार हो जाने के बाद से वह बोर्ड के सदस्य नहीं हैं। तब से उनका पद खाली है। उन्होंने प्रमुख सचिव से यह भी मांग की है कि निर्वाचन प्रक्रिया के जरिए नए सदस्य की नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू की जाए।

[penci_blockquote style=”style-1″ align=”none” author=””]पिछले साल दिया था एमएलसी पद से इस्तीफा[/penci_blockquote]
बुक्कल नवाब ने वक्फ बोर्ड की सदस्यता से इस्तीफा देते हुए आजम खान को भी यजीद की संज्ञा देते हुए कहा है कि उनके कहने पर ही मैंने वसीम रिजवी को बोर्ड के चेयरमैन पद के लिए वोट दिया था। बुक्कल नवाब पिछली सरकार में समाजवादी पार्टी के समर्थन से एमएलसी बने थे। नई सरकार बनने के बाद बीजेपी में शामिल हो गए थे और 27 जुलाई 2017 को एमएलसी पद से इस्तीफा दे दिया था। बाद में फिर बीजेपी से एमएलसी चुने गए। शिया वक्फ बोर्ड की सदस्यता से बीजेपी एमएलसी बुक्कल नवाब के इस्तीफे पर बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी ने कहा है कि बुक्कल नवाब बोर्ड के सदस्य ही नहीं हैं। विधान परिषद की सदस्यता खत्म होने के साथ ही जुलाई 2017 में उनकी सदस्यता खत्म हो गई थी।

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