पीएम मोदी से लेकर पूरी भारतीय जनता पार्टी अपना दलित प्रेम समय-समय पर दिखाती रही है लेकिन एससी-एसटी एक्ट में बदलाव के बाद सवर्णों के निशाने पर आई मोदी सरकार कई दलित नेताओं नेताओं की नाराजगी झेल रही है। अब लोकसभा चुनावों से पहले बहराइच से बीजेपी सांसद सावित्री बाई फुले ने पार्टी से इस्तीफा दिया है। खास बात है कि उन्होंने बीजेपी से परित्याग का निर्णय संविधान निर्माता भीमराव आंबेडकर के महापरिनिर्वाण दिवस पर लिया। भाजपा से इस्तीफे और बाबा साहब के आदर्शों पर चलने वाली सावित्री बाई फुले के बसपा में शामिल होने की चर्चायें तेज हो गयी हैं।

भाजपा को जमकर कोसा :

गुरुवार को लखनऊ में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में पार्टी से इस्तीफे के ऐलान के साथ ही सावित्री बाई फुले ने भाजपा और आरएसएस पर जमकर हमला बोला। सांसद फुले ने कहा, ‘भाजपा दलितों के विरोध में है। बाबा साहेब की प्रतिमा पूरे देश में कई जगह तोड़ी गईं, लेकिन तोड़नेवालों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई। मंदिर-मस्जिद का खौफ दिखाकर आपसी भाईचारा खत्म किया जा रहा है।’ उन्होंने कहा था कि ‘मैं सांसद नहीं बनती, अगर बहराइच की सीट सुरक्षित नहीं होती। भाजपा की मजबूरी थी कि उन्हें जिताऊ उम्मीदवार चाहिए था तो मुझे टिकट दिया।

बसपा में हो सकती हैं शामिल :

भाजपा सांसद सावित्री बाई फुले दलितों के मुद्दे को लेकर भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ बगावती सुर अपनाये हुए थीं। पार्टी से इस्तीफे के साथ ही सियासी गलियारों में उनकी नई पॉलिटिकल पारी की चर्चा शुरू हो गई है। ऐसे में चर्चा हो रही है कि वे अब बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ सकती हैं। हालाँकि सावित्री बाई फुले का अगला राजनीतिक कदम क्या होगा ? इसे लेकर कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है।

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