यूपी के गोरखपुर स्थित बीआरडी मेडिकल कॉलेज (brd gorakhpur deaths case) में हुई मौतों के मामले में मंगलवार को मुख्य सचिव राजीव कुमार ने अपनी जांच रिपोर्ट मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को सौंप दी। प्रदेश सरकार के प्रवक्ता श्रीकांत शर्मा ने बताया कि रिपोर्ट के तथ्य बाद में सामने रखे जाएंगे।
- हालांकि कुछ देर बाद शासन ने अनिता भटनागर जैन को हटाते हुए प्रमुख सचिव राजस्व रजनीश दुबे को चिकित्सा शिक्षा विभाग का अतिरिक्त प्रभार सौंप दिया।
- देर शाम तक इस मामले से जुड़े कुछ प्रमुख लोगों पर हजरतगंज थाने में एफआईआर दर्ज कराने की चर्चा थी।
- रिपोर्ट मिलते ही योगी आदित्यनाथ ने मेडिकल कॉलेज पर एफआईआर कराने का निर्देश दिए।
- जिसके बाद देर रात लखनऊ के हजरतगंज थाने में ऑक्सीजन गैस सप्लाई करने वाली कंपनी पुष्पा सेल्स पर भ्रष्टचार, काम में लापरवाही बरतने और डॉक्टरों द्वारा प्राइवेट प्रैक्टिस करने को लेकर तीन एफआईआर दर्ज की गईं।
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प्रदेश सरकार के प्रवक्ता ने दी जानकारी
- प्रदेश सरकार के प्रवक्ता व ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा ने बताया कि मुख्य सचिव ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है।
- उपयुक्त समय आने पर इसे सार्वजनिक किया जाएगा।
- उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री ने गोरखपुर मेडिकल कॉलेज का भ्रमण करने के बाद मुख्य सचिव की अध्यक्षता में चार सदस्यीय जांच समिति गठित की थी।
- इसमें सचिव वित्त मुकेश मित्तल, एनएचएम के डायरेक्टर आलोक कुमार व एसजीपीजीआई के डॉक्टर हेम चंद्र शामिल थे।
- मुख्य सचिव ने अपनी जांच रिपोर्ट में गोरखपुर के डीएम द्वारा कराई गई मजिस्ट्रेटी जांच व केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारियों की रिपोर्ट का भी संज्ञान लिया है।
- समिति को 20 अगस्त तक रिपोर्ट सौंपने का समय दिया गया था।
- 20 अगस्त को रविवार व 21 को मुख्यमंत्री के राजधानी से बाहर होने की वजह से समिति ने 22 अगस्त को अपनी रिपोर्ट मुख्यमंत्री को सौंपी।
- मुख्य सचिव की जांच रिपोर्ट के तथ्य सामने आने से पहले ही चिकित्सा शिक्षा विभाग ने यह मान लिया है कि गोरखपुर स्थित बीआरडी मेडिकल कॉलेज के जिम्मेदार डॉक्टरों ने यदि समय रहते उपलब्ध सुविधाओं का तत्काल उपयोग किया होता तो न ऐसी घटना होती और न ही विभाग की छवि धूमिल होती।
- विभाग की ओर से जारी सूचना में इस बात को शामिल करते हुए सभी मेडिकल कॉलेजों के प्राचार्यो को कई निर्देश दिए गए हैं, ताकि किसी और मेडिकल कॉलेज में फिर ऐसा हादसा न हो सके।
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डीएम की रिपोर्ट में थे आठ दोषी
- जिलाधिकारी की जांच रिपोर्ट में बीआरडी कॉलेज के प्राचार्य डॉ. राजीव मिश्र को जहां ऑक्सीजन का समय से भुगतान न करने का दोषी माना गया था, वहीं ऑक्सीजन आपूर्ति के जिम्मेदार एनेस्थीसिया विभाग के एचओडी डॉ.सतीश को बिना अनुमति और बिना किसी को जिम्मेदारी सौंपे मुंबई जाने का दोषी पाया गया था।
- 100 बेड एइएस वार्ड के नोडल प्रभारी डॉ. कफील खान को कई गड़बड़ियों के लिए दोषी माना गया, जबकि स्टॉक रजिस्टर और ऑक्सीजन की लॉग बुक में हेराफेरी के लिए चीफ फार्मासिस्ट गजानन जायसवाल को भी जिम्मेदार माना गया था।
- बजट मिलने के बाद समय से प्राचार्य को सूचना न देने और ऑक्सीजन भुगतान की पत्रवली प्रस्तुत न करने के लिए लेखा अनुभाग के कार्यालय सहायक उदय प्रताप शर्मा, लेखा लिपिक संजय कुमार त्रिपाठी और सहायक लेखाकार सुधीर कुमार पांडेय को दोषी माना गया था।
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क्या है पूरा मामला?
- बीआरडी मेडिकल कॉलेज में 10 व 11 अगस्त को अधिक बच्चों की मौत होने के बाद गोरखपुर के जिलाधिकारी को जांच सौंपी गई थी।
- डीएम की रिपोर्ट में मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य से लेकर कई अन्य जिम्मेदार डॉक्टरों को लापरवाही का तो दोषी माना गया था, लेकिन ऑक्सीजन की कमी की बात सामने नहीं आई थी।
- मुख्यमंत्री ने जिलाधिकारी की रिपोर्ट पर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में जांच समिति गठित कर एक हफ्ते में रिपोर्ट मांगी थी।
- मामले में कई स्तरों पर अधिकारियों की उदासीनता और लापरवाही की बातें सामने आई थीं।
- ऑक्सीजन की आपूर्ति करने वाली फर्म ने कॉलेज के प्राचार्य से लेकर महानिदेशक चिकित्सा शिक्षा और अपर मुख्य सचिव चिकित्सा शिक्षा तक को कई पत्र भेजे थे, फिर भी किसी ने इसे गंभीरता से लेकर भुगतान के लिए तत्परता नहीं बरती।
- चर्चा में यह भी था कि घटना से एक दिन पहले मुख्यमंत्री बीआरडी मेडिकल कॉलेज गए थे, जबकि अपर मुख्य सचिव अनिता भटनागर जैन सीएम दौरे से एक दिन पहले ही गोरखपुर पहुंच गईं थीं, फिर भी ऑक्सीजन का भुगतान रुका (brd gorakhpur deaths case) होने की बात सामने नहीं आई।
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Sudhir Kumar
I am currently working as State Crime Reporter @uttarpradesh.org. I am an avid reader and always wants to learn new things and techniques. I associated with the print, electronic media and digital media for many years.